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प्रमोद को इलाज न मिलने के मामला: अब लोकनायक अस्पताल के डॉ. पीएन पांडे हुए सस्पेंड

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 1, 2024, 8:31 AM IST

Pramod Death Case: दिल्ली में प्रमोद नामक व्यक्ति की इलाज के आभाव में मौत होने के मामले में अब लोकनायक अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. पीएन पांडे सस्पेंड कर दिया गया है. इससे पहले भी मामले में कई डॉक्टरों पर कार्रवाई की जा चुकी है.

pramod death case
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नई दिल्ली: बीते दो जनवरी को दिल्ली पुलिस की जिप्सी से कूदने के बाद चार अस्पतालों में इलाज न मिलने के कारण व्यक्ति की मौत के मामले में कार्रवाई जारी है. दिल्ली सरकार अब तक करीब पांच डॉक्टरों पर कार्रवाई कर चुकी है. इसी कड़ी में लोकनायक अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर पीएन पांडे को भी सस्पेंड कर दिया गया है. दिल्ली के सरकार के स्वास्थ्य विभाग की विजिलेंस ब्रांच द्वारा जारी सस्पेंशन ऑर्डर में कहा गया है कि सब रूल एक में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए डॉक्टर पीएन पांडे को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है. अगले आदेश तक सस्पेंशन की अवधि में डॉक्टर पीएन पांडे का मुख्यालय लोकनायक अस्पताल ही रहेगा. वह बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की पूर्व आज्ञा के मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे.

अगले आदेश तक डॉ. पांडे को लोकनायक अस्पताल में सस्पेंशन की अवधि में नियमानुसार लागू भत्ता मिलता रहेगा. इससे पहले मामले में जीटीबी अस्पताल के एक रेजिडेंट डॉक्टर सहित लोकनायक अस्पताल के चार अन्य डॉक्टरों पर भी गाज गिर चुकी है. इसके अलावा दो दिन पहले ही हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा था की दिल्ली के चार अस्पतालों ने प्रमोद को इलाज देने से इनकार करने के अलावा उसे स्ट्रेचर तक भी उपलब्ध नहीं कराया था. अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा कागजी कार्रवाई के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

यह था मामला: गौरतलब है कि दो जनवरी को न्यू उस्मानपुर थाने की पुलिस को लड़ाई और मारपीट के मामले की एक पीसीआर कॉल मिली थी. इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची, जहां से प्रमोद नामक 47 वर्षीय व्यक्ति को जिप्सी में बैठा लिया. उस वक्त प्रमोद शराब के नशे में था. पुलिस प्रमोद को थाने ले ही जा रही थी, कि रास्ते में प्रमोद ने जिप्सी से छलांग लगा दी. इससे प्रमोद के सिर में गंभीर चोट लग गई. घायल अवस्था में दो पुलिस कॉन्स्टेबल प्रमोद को लेकर थाने के नजदीक स्थित जग प्रवेश चंद्र अस्पताल पहुंचे, जहां न्यूरो सर्जरी का डॉक्टर न होने के चलते प्रमोद को जीटीबी अस्पताल रेफर किया गया. वहीं जीटीबी अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीन खराब होने की बात कहकर प्रमोद को लोकनायक अस्पताल रेफर किया गया.

यह भी पढ़ें-पुलिस वैन से कूदने वाले को इलाज नहीं मिलने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जताई चिंता, मांगा खर्च का ब्यौरा

जब पुलिसकर्मी लोकनायक अस्पताल पहुंचे, तो वहां पर वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कहकर प्रमोद को राम मनोहर लोहिया अस्पताल भेजा गया. लेकिन वहां भी प्रमोद को वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कह कर लौटा दिया गया. अंत में पुलिसकर्मी प्रमोद को लेकर वापस जग प्रवेश चंद्र अस्पताल पहुंचे, जहां सुबह उसकी मौत हो गई. बाद में यह बात सामने आई कि लोकनायक अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में उस समय चार वेंटीलेटर बेड खाली थे. साथ ही कैजुअल्टी में 15 वेंटिलेटर बेड और मेडिसिन इमरजेंसी में 10 वेंटीलेटर बेड खाली थे. इसके बावजूद प्रमोद को अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया गया. जब मामले ने तूल पकड़ा तो दिल्ली सरकार ने लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर सुरेश कुमार से रिपोर्ट मांगी. जांच रिपोर्ट में डॉ. पीएन पांडे की लापरवाही मानते हुए उनके सस्पेंशन की सिफारिश की गई थी, जिसके बाद अब उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें-प्रमोद की मौत मामले में जांच के दायरे में लोकनायक अस्पताल, जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली: बीते दो जनवरी को दिल्ली पुलिस की जिप्सी से कूदने के बाद चार अस्पतालों में इलाज न मिलने के कारण व्यक्ति की मौत के मामले में कार्रवाई जारी है. दिल्ली सरकार अब तक करीब पांच डॉक्टरों पर कार्रवाई कर चुकी है. इसी कड़ी में लोकनायक अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर पीएन पांडे को भी सस्पेंड कर दिया गया है. दिल्ली के सरकार के स्वास्थ्य विभाग की विजिलेंस ब्रांच द्वारा जारी सस्पेंशन ऑर्डर में कहा गया है कि सब रूल एक में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए डॉक्टर पीएन पांडे को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है. अगले आदेश तक सस्पेंशन की अवधि में डॉक्टर पीएन पांडे का मुख्यालय लोकनायक अस्पताल ही रहेगा. वह बिना किसी सक्षम प्राधिकारी की पूर्व आज्ञा के मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे.

अगले आदेश तक डॉ. पांडे को लोकनायक अस्पताल में सस्पेंशन की अवधि में नियमानुसार लागू भत्ता मिलता रहेगा. इससे पहले मामले में जीटीबी अस्पताल के एक रेजिडेंट डॉक्टर सहित लोकनायक अस्पताल के चार अन्य डॉक्टरों पर भी गाज गिर चुकी है. इसके अलावा दो दिन पहले ही हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा था की दिल्ली के चार अस्पतालों ने प्रमोद को इलाज देने से इनकार करने के अलावा उसे स्ट्रेचर तक भी उपलब्ध नहीं कराया था. अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा कागजी कार्रवाई के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

यह था मामला: गौरतलब है कि दो जनवरी को न्यू उस्मानपुर थाने की पुलिस को लड़ाई और मारपीट के मामले की एक पीसीआर कॉल मिली थी. इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची, जहां से प्रमोद नामक 47 वर्षीय व्यक्ति को जिप्सी में बैठा लिया. उस वक्त प्रमोद शराब के नशे में था. पुलिस प्रमोद को थाने ले ही जा रही थी, कि रास्ते में प्रमोद ने जिप्सी से छलांग लगा दी. इससे प्रमोद के सिर में गंभीर चोट लग गई. घायल अवस्था में दो पुलिस कॉन्स्टेबल प्रमोद को लेकर थाने के नजदीक स्थित जग प्रवेश चंद्र अस्पताल पहुंचे, जहां न्यूरो सर्जरी का डॉक्टर न होने के चलते प्रमोद को जीटीबी अस्पताल रेफर किया गया. वहीं जीटीबी अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीन खराब होने की बात कहकर प्रमोद को लोकनायक अस्पताल रेफर किया गया.

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जब पुलिसकर्मी लोकनायक अस्पताल पहुंचे, तो वहां पर वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कहकर प्रमोद को राम मनोहर लोहिया अस्पताल भेजा गया. लेकिन वहां भी प्रमोद को वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कह कर लौटा दिया गया. अंत में पुलिसकर्मी प्रमोद को लेकर वापस जग प्रवेश चंद्र अस्पताल पहुंचे, जहां सुबह उसकी मौत हो गई. बाद में यह बात सामने आई कि लोकनायक अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में उस समय चार वेंटीलेटर बेड खाली थे. साथ ही कैजुअल्टी में 15 वेंटिलेटर बेड और मेडिसिन इमरजेंसी में 10 वेंटीलेटर बेड खाली थे. इसके बावजूद प्रमोद को अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया गया. जब मामले ने तूल पकड़ा तो दिल्ली सरकार ने लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉक्टर सुरेश कुमार से रिपोर्ट मांगी. जांच रिपोर्ट में डॉ. पीएन पांडे की लापरवाही मानते हुए उनके सस्पेंशन की सिफारिश की गई थी, जिसके बाद अब उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है.

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