जींद: हरियाणा लोक सेवा आयोग की हरियाणा सिविल सेवा (HCS) परीक्षा के घोषित परिणाम में बांगर के युवाओं का दबदबा रहा. खटकड़ गांव के अभिषेक ने 399.8 अंक प्राप्त करके हरियाणा में पहला स्थान प्राप्त किया है. वहीं उचाना कलां गांव की बेटी ऋतु ने भी एचसीएस की परीक्षा में 30वीं रैंक हासिल की है. इस सफलता से दोनों के परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई और घर पर बधाई देने वालों को तांता लग गया.
अभिषेक खटकड़ ने बताया कि उसका सपना पुलिस ऑफिसर बनने का है. उसने एचसीएस की तैयारी बिना कोचिंग लिए घर पर की है. तैयारी के दौरान उसने सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखी. ये अभिषक का दूसरा प्रयास था. उन्होंने बताया कि मेहनत के आधार पर ये उम्मीद थी कि वो नंबर वन आयेगा. अभिषेक ने बताया कि वो 8 से 10 घंटे पढ़ाई करता था. उसके परिवार में पिता राजकुमार खेतीबाड़ी करते हैं तो मां कविता कसूहन के राजकीय स्कूल में लेक्चरर है.
अभिषेक ने कहा कि जीवन में हमेशा प्रयास जारी रखने चाहिए. सफलता कब मिल जाए पता नहीं होता. ये जरूरी नहीं है कि शहरी क्षेत्र के बच्चे ही आगे आते हैं. ग्रामीण अंचल के बच्चे भी निरंतर सफलता हासिल कर रहे हैं. बड़े सपने जीवन में देखने चाहिए और उन सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. कोई भी मंजिल दूर नहीं होती सब उसको पाने के लिए आपके अंदर जुनून होना चाहिए. इसके बाद अब अभिषेक का सपना आईएएस बनने का है.
अभिषेक के पिता राजकुमार खटकड़ ने कहा कि अभिषेक ने परिवार का ही नहीं बल्कि गांव और जिले का नाम रोशन किया है. हरियाणा में नंबर वन एचसीएस की परीक्षा में आना बड़ी बात है. सबसे बड़ी बात ये है कि उसने बिना कोचिंग के तैयारी की है. जब परिणाम आया तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा. बधाई देने वालों को घर पर तांता लग गया है.
उधर उचाना कलां की बेटी ऋतु शर्मा ने एचसीएस की परीक्षा में 30वीं रैंक प्राप्त की है. पोती के एचसीएस की परीक्षा पास करने का पता चलने के बाद दादा टेकचंद शर्मा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने ने कहा कि ये उचाना कलां के लिए गर्व की बात है कि गांव की बेटी ऋतु ने एचसीएस की परीक्षा में 30वीं रैंक हासिल की है. शुरू से ही पढ़ाई में ऋतु होशियार है.
ऋतु शर्मा ने कहा कि तैयारी में परिवार के सदस्यों का पूरा सहयोग उसे मिला है. दादा का सपना था कि पोती अफसर बने. दादा के सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की. बेटियां आज किसी मामले में बेटों से पीछे नहीं हैं. बेटी भी माता-पिता, गांव का नाम रोशन कर रही हैं. अभिभावकों को चाहिए कि बेटियों को भी बेटों की तरह प्रोत्साहित करें. परिवार के सदस्यों ने हमेशा बेटे की तरह की उसको प्रोत्साहित किया है. पूरे परिवार का सहयोग उसे इस मुकाम पर पहुंचने के लिए मिला है.