नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार की उस याचिका को सुनवाई योग्य माना, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री आवास पर AAP सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. इस पर दिल्ली पुलिस का रुख पूछा गया है. इससे पहले न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने 31 मई को बिभव कुमार की याचिका पर विचार करने पर आदेश सुरक्षित रख लिया था.
वहीं, न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की एक अन्य पीठ ने बिभव कुमार की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए मालीवाल के वकील को सोमवार को समय दिया और इसे 8 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. दरअसल, बिभव कुमार के खिलाफ 16 मई को एफआईआर विभिन्न भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) प्रावधानों के तहत दर्ज की गई थी. इसमें एक महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से आपराधिक धमकी, हमला या आपराधिक बल से संबंधित और गैर इरादतन हत्या का प्रयास शामिल था.
बिभव कुमार ने याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अवैध और आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थिति का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन के साथ कानून के जनादेश के खिलाफ घोषित करने के निर्देश देने की मांग की है. उन्होंने दावा किया है कि उन्हें 'परोक्ष उद्देश्य' से गिरफ्तार किया गया था. जबकि, उनकी अग्रिम जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट में लंबित थी, जो उनके मौलिक अधिकारों के साथ-साथ कानून का भी उल्लंघन था.
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साथ ही उन्होंने गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए उचित मुआवजे और उनकी गिरफ्तारी का निर्णय लेने में शामिल दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने की भी मांग की है. बता दें कि तीस हजारी कोर्ट ने सात जून को बिभव कुमार को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि वह "गंभीर" आरोपों का सामना कर रहे हैं और ऐसी आशंका है कि वह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
गौरतलब है कि उनकी पहली जमानत याचिका 27 मई को एक अन्य सत्र अदालत ने खारिज कर दी थी, जिसमें कहा गया था कि एफआईआर दर्ज कराने में स्वाति मालीवाल के आरोपों को "खारिज" नहीं किया जा सकता है. बिभव इस वक्त न्यायिक हिरासत में हैं. उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था.
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