नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पा और मसाज सेंटरों में क्रॉस-जेंडर मसाज पर प्रतिबंध लगाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के पास पहले से ही यह मामला है, जिसमें दिल्ली में स्पा व मसाज केंद्रों के संचालन के लिए 18 अगस्त, 2021 को जारी दिशा-निर्देशों की वैधता की जानकारी दी गई है.
चूंकि एकल न्यायाधीश पहले से ही विवाद से घिरा है, इसलिए अदालत का मानना है कि वर्तमान सार्वजनिक हित (मुकदमेबाजी) पर विचार नहीं किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि वर्तमान याचिका खारिज की जाती है. खारिज की गई याचिका में याचिकाकर्ता ने अदालत से अधिकारियों को स्पा और मसाज केंद्रों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को नियमित आधार पर दिल्ली महिला आयोग के साथ साझा करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया था.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा 18 अगस्त, 2021 को जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए राष्ट्रीय राजधानी में ऐसी विभिन्न सुविधाओं में मालिश की जा रही है. बंद कमरों के अंदर मालिश से वेश्यावृत्ति का प्रसार हो रहा है. वकील ने कहा कि उन्होंने करोल बाग में स्पा के अवैध संचालन के संबंध में पुलिस को कई शिकायतें दी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
अदालत की एकल न्यायाधीश पीठ ने दिसंबर 2021 में शहर के नगर निगम और दिल्ली पुलिस को निरीक्षण करने और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था कि किसी भी स्पा को वैध लाइसेंस के बिना चलाने की अनुमति न दी जाए. इसने पुलिस से सभी लाइसेंस प्राप्त स्पा का निरीक्षण करने और यदि वे किसी भी अवैध गतिविधि में लिप्त पाए गए तो उनके खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा था.