जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट खंडपीठ ने संयुक्त निदेशक जोन जोधपुर चिकित्सा विभाग के पद पर दो वरिष्ठ चिकित्सकों की नियुक्ति पर टिप्पणी की है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में डॉक्टरों की पहले से ही कमी है, लेकिन जोधपुर में दो वरिष्ठ स्तर के डॉक्टर एक ही पद पर लगा दिए गए हैं. कोर्ट ने 10 दिन में प्रशासनिक या स्थानान्तरण कानून सम्मत जो उचित हो, उसे नए सिरे से पारित करने का आदेश दिया. कोर्ट ने एकलपीठ की ओर से जारी अंतरिम आदेश को निरस्त कर दिया. जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी एवं जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ के समक्ष अपीलकर्ता डॉ कमलेश चौधरी की ओर से एकलपीठ के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील पेश की गई.
अपीलकर्ता की ओर से अधिवक्ता रजत अरोड़ा ने बताया कि राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए गत 22 फरवरी को अपीलकर्ता डॉ कमलेश चौधरी को संयुक्त निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग जोन, जोधपुर के पद पर लगाया. इस पर पहले से कार्यरत डॉ जोगेश्वर प्रसाद को उस स्थानान्तरण आदेश में हटाया नहीं गया था. ऐसे में एक ही पद पर दो अधिकारी हो गए. डॉ कमलेश चौधरी ने भी उसी पद अपनी सेवाएं शुरू कर दी.
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विभाग के संज्ञान में यह मामला आया तो विभाग ने 27 फरवरी को एक आदेश जारी करते हुए डॉ जोगेश्वर प्रसाद को एपीओ कर दिया. डॉ जोगेश्वर प्रसाद ने एपीओ आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट एकलपीठ ने गत 6 मार्च को एपीओ आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए डॉ जोगेश्वर प्रसाद को इसी पद पर कार्य करने के राहत दी. एकलपीठ के इसी अंतरिम आदेश को चुनौती देते हुए अपीलकर्ता के अधिवक्ता अरोड़ा ने कहा कि अपीलकर्ता को 22 फरवरी को राज्य सरकार ने संयुक्त निदेशक पद पर स्थानान्तरित कर दिया था और सेवाएं भी शुरू हो गई. जबकि अप्रार्थी डॉ जोगेश्वर प्रसाद को बाद में एपीओ किया गया. ऐसे में अंतरिम आदेश को निरस्त किया जाए.
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हाईकोर्ट खंडपीठ ने अपने आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी खजाने पर एक ही पद पर दो-दो अधिकारी लगा दिए गए. जबकि प्रदेश में पहले से ही चिकित्सकों की कमी चल रही है. कोर्ट ने एकलपीठ के आदेश को निरस्त करने के साथ ही सरकार को आदेश दिया है कि अगले 10 दिन में प्रशासनिक आवश्यकता अनुसार विधि सम्मत आदेश पारित करते हुए अपीलकर्ता व अप्रार्थी दोनों को उचित नियुक्ति प्रदान करे.