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HPU पीएचडी परीक्षा का मामला, सिंगल बैंच के एग्जाम रद्द करने के फैसले को HC की डबल बैंच ने ठहराया सही - HPU PHD entrance exam

HPU PHD entrance exam: प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित पीएचडी (शारीरिक शिक्षा) प्रवेश परीक्षा को रद्द करने के सिंगल बैंच के फैसले को सही ठहराया है.

HP high court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 17, 2024, 9:26 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित पीएचडी (शारीरिक शिक्षा) प्रवेश परीक्षा को रद्द करने के सिंगल बैंच के फैसले को सही ठहराया है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की एकल पीठ के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी ने परीक्षा आयोजित करने में नियमों का पालन न करके अवैध काम किया है.

प्रार्थी बिंदु वर्मा सहित पांच अभ्यर्थियों ने एकल पीठ के 26 जून के फैसले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. मामले के अनुसार यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अन्य विभागों सहित शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएचडी की 6 सीटों पर प्रवेश के लिए 12 मार्च 2024 को आवेदन आमंत्रित किए.

इसके बाद 13 मई 2024 को प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई और 27 मई को परिणाम घोषित किया गया. अक्षय कुमार सहित 10 प्रार्थियों का आरोप था कि यूजीसी नियम संख्या 5(2)(ii) के तहत पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में 50% सवाल अनुसंधान पद्धति और 50% विषय-विशिष्ट के होने थे, परंतु यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 80 प्रश्नों की प्रवेश परीक्षा में मात्र 10 सवाल ही अनुसंधान पद्धति के पूछे.

नियम के मुताबिक इनकी संख्या 40 होनी चाहिए थी. प्रार्थियों का नाम सफल परीक्षार्थियों की सूची में नहीं आया. प्रार्थियों ने परिणाम घोषित होने के बाद विश्विद्यालय के समक्ष प्रतिवेदन किया परंतु कोई फायदा नहीं हुआ. मजबूरन उन्हें कोर्ट में आना पड़ा.

इस मामले में विश्विद्यालय का कहना था कि परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के संदर्भ में यूजीसी नियमों को न मानने की वजह उनके नियम और यूजीसी के नियमों में विरोधाभास था. एकल पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए कहा था कि नियमों में कोई विरोधाभास नहीं है बल्कि एचपीयू के नियमों में प्रश्नों से जुड़े सिलेबस की बात ही नहीं है.

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि विश्विद्यालय यूजीसी निर्धारित नियमों पर अमल करने के लिए बाध्य है. कोर्ट ने प्रवेश परीक्षा को यूजीसी नियम 2022 के नियम संख्या 5(2)(ii) के विपरीत पाया. कोर्ट ने कहा कि विश्विद्यालय यूजीसी नियमों के विपरीत प्रवेश परीक्षा करवाने का हक नहीं रखता. वहीं, अब यूनिवर्सिटी के शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएचडी प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया को रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने प्रशासन को फिर से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की छूट दी है.

ये भी पढ़ें: ड्रग्स और ₹24.40 लाख कैश सहित दबोचे गए थे बाप-बेटा और पोता, अब SIT खोलेगी इस नशा तस्करी केस की सभी परत

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित पीएचडी (शारीरिक शिक्षा) प्रवेश परीक्षा को रद्द करने के सिंगल बैंच के फैसले को सही ठहराया है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की एकल पीठ के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी ने परीक्षा आयोजित करने में नियमों का पालन न करके अवैध काम किया है.

प्रार्थी बिंदु वर्मा सहित पांच अभ्यर्थियों ने एकल पीठ के 26 जून के फैसले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. मामले के अनुसार यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अन्य विभागों सहित शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएचडी की 6 सीटों पर प्रवेश के लिए 12 मार्च 2024 को आवेदन आमंत्रित किए.

इसके बाद 13 मई 2024 को प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई और 27 मई को परिणाम घोषित किया गया. अक्षय कुमार सहित 10 प्रार्थियों का आरोप था कि यूजीसी नियम संख्या 5(2)(ii) के तहत पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में 50% सवाल अनुसंधान पद्धति और 50% विषय-विशिष्ट के होने थे, परंतु यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 80 प्रश्नों की प्रवेश परीक्षा में मात्र 10 सवाल ही अनुसंधान पद्धति के पूछे.

नियम के मुताबिक इनकी संख्या 40 होनी चाहिए थी. प्रार्थियों का नाम सफल परीक्षार्थियों की सूची में नहीं आया. प्रार्थियों ने परिणाम घोषित होने के बाद विश्विद्यालय के समक्ष प्रतिवेदन किया परंतु कोई फायदा नहीं हुआ. मजबूरन उन्हें कोर्ट में आना पड़ा.

इस मामले में विश्विद्यालय का कहना था कि परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों के संदर्भ में यूजीसी नियमों को न मानने की वजह उनके नियम और यूजीसी के नियमों में विरोधाभास था. एकल पीठ ने मामले का निपटारा करते हुए कहा था कि नियमों में कोई विरोधाभास नहीं है बल्कि एचपीयू के नियमों में प्रश्नों से जुड़े सिलेबस की बात ही नहीं है.

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि विश्विद्यालय यूजीसी निर्धारित नियमों पर अमल करने के लिए बाध्य है. कोर्ट ने प्रवेश परीक्षा को यूजीसी नियम 2022 के नियम संख्या 5(2)(ii) के विपरीत पाया. कोर्ट ने कहा कि विश्विद्यालय यूजीसी नियमों के विपरीत प्रवेश परीक्षा करवाने का हक नहीं रखता. वहीं, अब यूनिवर्सिटी के शारीरिक शिक्षा विभाग में पीएचडी प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया को रद्द करते हुए हाई कोर्ट ने प्रशासन को फिर से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की छूट दी है.

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