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हजारीबाग में हजरत शाह बाबा की दरगाहः गंगा जमुनी तहजीब की गवाह, यहां सब मिलकर मनाते हैं उर्स

हजारीबाग की हजरत दाता मदारा शाह बाबा की दरगाह गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है, जहां हिंदू-मुस्लिम दोनों एक साथ उर्स मनाते हैं.

367TH URS OF TAKIYA MAZAR SHAH
हजारीबाग में हजरत मदारा शाह बाबा की दरगाह (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 2 hours ago

हजारीबागः जिला हजारीबाग की हजरत दाता मदारा शाह की दरगाह पर हर साल उर्स का आयोजन होता है. इस बार 367वां उर्स का मेला लगा है. यह उर्स मेला आपसी एकता का भी परिचायक है. हिंदू-मुस्लिम आकर अपना शीश झुकाते हैं और मुरादें मांगते हैं. यहां एक हिंदू परिवार ऐसा भी है जिनकी 3 पीढ़ियां फूल की दुकान लगाती चली आई हैं. इसी दुकान से लोग फूल की चादर खरीद कर बाबा की मजार पर चादर चढ़ाते हैं.

इस बार मजार परिसर में रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया है ताकि समाज के हर एक तबके को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जा सके. हजरत दाता मदारा शाह बाबा के मजार परिसर में 3 फूल वाले फूलों का कारोबार करते हैं, जिसमें रामदुलारी भी हैं, जो पिछले 30 सालों से मजार में ही फूल बेच कर अपना जीवन यापन करती हैं. उनका कहना है कि हम लोग उर्स मेले का साल भर इंतजार करते हैं ताकि हम फूल बेचकर अपना घर चला सके. उनका कहना है कि ऐसे तो सालों भर यहां फूल का कारोबार होता है लेकिन उर्स के दौरान फूल की मांग बढ़ जाती है.

हजारीबाग की हजरत शाह बाबा की दरगाह (Etv Bharat)

परिसर के अंदर ही पिछली तीन पीढ़ियों से डायमंड जी का परिवार फूल बेच रहा है. डायमंड जी के बेटे अमन कुमार बताते हैं कि 50 से 60 साल से हमारे परिवार वाले फूल बेच रहे हैं. इस मदारा दरगाह की खासियत यही है कि तीन अलग-अलग हिंदू परिवार के लोग हैं जो परिसर के अंदर ही फूल बेचते हैं. हमारे ही फूलों की बनी चादर बाबा को चढ़ाते हैं. यह आपसी एकता का प्रतीक है.

हजरत दाता मदारा शाह बाबा को तकिया बाबा मजार के नाम से भी जाना जाता है. इस मजार के बारे में यही मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से इनसे दुआ मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है. यहां सभी धर्म के लोग आकर सिर झुकाते हैं. पिछले सैकड़ों साल से यहां उर्स का आयोजन होता आ रहा है. हजारीबाग के ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से उनके चाहने वाले यहां आते हैं और अपनी शीश झुकाते हैं.
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हजारीबागः जिला हजारीबाग की हजरत दाता मदारा शाह की दरगाह पर हर साल उर्स का आयोजन होता है. इस बार 367वां उर्स का मेला लगा है. यह उर्स मेला आपसी एकता का भी परिचायक है. हिंदू-मुस्लिम आकर अपना शीश झुकाते हैं और मुरादें मांगते हैं. यहां एक हिंदू परिवार ऐसा भी है जिनकी 3 पीढ़ियां फूल की दुकान लगाती चली आई हैं. इसी दुकान से लोग फूल की चादर खरीद कर बाबा की मजार पर चादर चढ़ाते हैं.

इस बार मजार परिसर में रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया है ताकि समाज के हर एक तबके को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया जा सके. हजरत दाता मदारा शाह बाबा के मजार परिसर में 3 फूल वाले फूलों का कारोबार करते हैं, जिसमें रामदुलारी भी हैं, जो पिछले 30 सालों से मजार में ही फूल बेच कर अपना जीवन यापन करती हैं. उनका कहना है कि हम लोग उर्स मेले का साल भर इंतजार करते हैं ताकि हम फूल बेचकर अपना घर चला सके. उनका कहना है कि ऐसे तो सालों भर यहां फूल का कारोबार होता है लेकिन उर्स के दौरान फूल की मांग बढ़ जाती है.

हजारीबाग की हजरत शाह बाबा की दरगाह (Etv Bharat)

परिसर के अंदर ही पिछली तीन पीढ़ियों से डायमंड जी का परिवार फूल बेच रहा है. डायमंड जी के बेटे अमन कुमार बताते हैं कि 50 से 60 साल से हमारे परिवार वाले फूल बेच रहे हैं. इस मदारा दरगाह की खासियत यही है कि तीन अलग-अलग हिंदू परिवार के लोग हैं जो परिसर के अंदर ही फूल बेचते हैं. हमारे ही फूलों की बनी चादर बाबा को चढ़ाते हैं. यह आपसी एकता का प्रतीक है.

हजरत दाता मदारा शाह बाबा को तकिया बाबा मजार के नाम से भी जाना जाता है. इस मजार के बारे में यही मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से इनसे दुआ मांगता है उसकी मुराद पूरी होती है. यहां सभी धर्म के लोग आकर सिर झुकाते हैं. पिछले सैकड़ों साल से यहां उर्स का आयोजन होता आ रहा है. हजारीबाग के ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने से उनके चाहने वाले यहां आते हैं और अपनी शीश झुकाते हैं.
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