हजारीबागः महुआ के बाद अब गांव के लोग सरई (साल पेड़ का फल) चुनने के लिए जंगलों में आग लगा दे रहे हैं. हजारीबाग के इचाक प्रखंड के पश्चिमी वन प्रमंडल के डाढा गांव पंचायत के डाढा जंगल में लगभग बीस एकड़ क्षेत्र में आग लगी हुई है. बताया जाता है कि स्थानीय ग्रामीण ने फूल चुनने के उद्देश्य से जंगल में आग लगा देते हैं. जिससे सूखे पत्ते जल जाते हैं और उसके बाद फूल तोड़ा जाता है.
झारखंड की पहचान पेड़ पौधे और जंगल से है. हजारीबाग में पेड़ पौधों का अस्तित्व खतरा में नजर आ रहा है. हजारीबाग के पश्चिमी वन प्रमंडल क्षेत्र के डाढा गांव के कई एकड़ जंगल में आग लगा दी गई है. ग्रामीण बताते हैं कि सरई (साल पेड का फल) चुनने के लिए लोग जंगलों में आग लगा देते हैं. आग से हजारों की संख्या में पेड़ पौधों को नुकसान पहुंच रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय स्तर से आग पर काबू पाने का प्रयास किया गया.लेकिन आग काफी विकराल रूप ले चुकी है. जंगल में पानी के पर्याप्त साधन नहीं होने की वजह से आग पर काबू नहीं पाया जा सका. वहीं जंगलों में हो रही अगलगी की घटना को लेकर वन विभाग को भी सूचना दी गई लेकिन उनका रवैया उदासीन दिख रहा है.
वन बचाव समिति के सदस्य सरयू मेहता भी बताते हैं कि लोगों को जंगल में आग नहीं लगानी चाहिए. आग लगाने से वृक्ष को नुकसान होता है. कई छोटे छोटे पौधे झुलस जाते हैं, जिससे उनकी मौत हो जाती है. यही नहीं जंगल में जीव जंतु भी रहते हैं. उनका भी अस्तित्व खतरा में पड़ जाता है. ग्रामीण थोड़े से पैसे की लालच में आग लगा दे रहे हैं. वहीं वन विभाग भी सक्रिय नहीं है.
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