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किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती हैं गेहूं की ये किस्में, बिजाई से पहले इन खास बातों का रखें ध्यान - HAU TIPS FOR WHEAT FARMING PROCESS

हरियाणा के किसानों के गेंहू बिजाई के लिए एचएयू ने खास टिप्स दिए हैं. साथ ही खास किस्म बीजों के बारे में जानकारी दी है.

HAU TIPS FOR WHEAT FARMING PROCESS
एचएयू का गेहूं बिजाई के लिए खास टिप्स (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 3, 2024, 2:02 PM IST

हिसार: हरियाणा में अब गेहूं की बिजाई शुरू हो चुकी है. किसान अलग-अलग किस्म के गेहूं के बीजों को लाकर बिजाई कर रहे हैं. इस बीच चौधरी चरण हरियाणा कृषि विश्व विद्लायलय ने बिजाई के लिए बीजों की खास किस्म की जानकारी दी है. साथ ही खरपतवार के रोकथाम का तरीका बताया है. ताकि किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकें. प्रदेश में गेहूं की बिजाई 26 नवबंर से 25 दिसंबर तक की जा सकेगी.

26 नवंबर से 25 दिसंबर तक पछेती बिजाई: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने जानकारी दी कि केआरएल 210, केआरएल 213 किस्म की बिजाई की जा सकती हैं. जौ के लिए बीएच 393, बीएच 946, बीएच 885, डीडब्ल्यू और बी 137 किस्मों की बिजाई 15 नवंबर से 30 नवंबर तक की जा सकती हैं. पछेती बिजाई 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक किया जाएगा. इसमें डब्ल्यूएच 1124, डब्ल्यूएच 1021, पीबी डब्ल्यू 771, एच डी 3059, एचडी 3298, डीबीडब्ल्यू 173, डीबीडब्ल्यू 90 की बिजाई की जा सकती है. कठिया गेहूं के लिए डब्ल्यूएच 896, डब्ल्यूएच 912, डब्ल्यूएचडी 943, डब्ल्यूएचडी 948 किस्मों की बिजाई की जा सकती है.

इन बातों का रखें ध्यान: अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि गेहूं की पछेती बिजाई के लिए 50 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ पर्याप्त है. बिजाई कतारों में होना चाहिए. खाद-बीज ड्रिल या पोरा विधि से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर करें. ध्यान रहे कि देसी किस्मों की पीला रतुआ प्रभावित हरियाणा के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में किसान पीबीडब्ल्यू 343, पीबीडब्ल्यू 373, डब्ल्यूएच 711, एचडी 2851, एच डी 2967, डीबीडब्ल्यू 17, सुपर, बरबट किस्मों को न उगाएं, क्योंकि ये किस्में पीला रतुआ रोग के लिए अत्यंत रोगग्राही है. 7 सेंटीमीटर और बौनी किस्मों की बिजाई 5-6 सेंटीमीटर से अधिक गहरी न करें. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए 2,4-डी का प्रयोग करें.

ऐसे करें खरपतवारों की रोकथाम: वैज्ञानिक डॉक्टर ओपी बिश्नोई ने बताया कि खरपतवारों की रोकथाम के लिए फसल की शुरू की बढ़वार में लगभग 30 दिन के अंदर ही एक बार निराई-गुड़ाई करें. यदि खरपतवारों की रोकथाम शाकनाशकों द्वारा करनी हो तो चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए 2,4-डी का प्रयोग करें. इसके लिए 250 ग्राम 2, 4-डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत को या 300 मिली 2,4-डी एस्टर 34.6 प्रतिशत या एलग्रीप 8 ग्राम 250 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें.

इन बातों का रखें ध्यान: गेहूं में मालवा, जंगली पालक, हिरणखुरी और अन्य चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए कारफेन्ट्राजोन ईथाईल (एफीनिटी) 40 प्रतिशत डीएफ की 20 ग्राम प्रति एकड़ या सभी प्रकार के चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए लेनफिडा मैटसल्फ्यूरॉन 10 प्रतिशत, कारफेन्ट्राजोन 40 प्रतिशत मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ 0.2 प्रतिशत सहायक पदार्थ के हिसाब से 200-250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. ध्यान रहे बिजाई के 40 दिन बाद किसी भी खरपतवारनाशी का प्रयोग ना करे, क्योंकि 40 के बाद पौधों में गर्भावस्था शुरू हो जाती है. अत: इसके बाद दवाई छिड़कने से पौधो की बालियां टेढी मेढ़ी निकलेंगी या बालियों में दाने नहीं पड़ेंगे.

ये भी पढ़ें: गेहूं की बिजाई करने के लिए किसान सुपर सीडर का करें इस्तेमाल, रिपोर्ट में कृषि उपनिदेशक से जानें फायदे

ये भी पढ़ें: हरियाणा में किसानों की बल्ले-बल्ले, गेहूं के बीजों पर मिलेगी 1000 रुपए की सब्सिडी

हिसार: हरियाणा में अब गेहूं की बिजाई शुरू हो चुकी है. किसान अलग-अलग किस्म के गेहूं के बीजों को लाकर बिजाई कर रहे हैं. इस बीच चौधरी चरण हरियाणा कृषि विश्व विद्लायलय ने बिजाई के लिए बीजों की खास किस्म की जानकारी दी है. साथ ही खरपतवार के रोकथाम का तरीका बताया है. ताकि किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकें. प्रदेश में गेहूं की बिजाई 26 नवबंर से 25 दिसंबर तक की जा सकेगी.

26 नवंबर से 25 दिसंबर तक पछेती बिजाई: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने जानकारी दी कि केआरएल 210, केआरएल 213 किस्म की बिजाई की जा सकती हैं. जौ के लिए बीएच 393, बीएच 946, बीएच 885, डीडब्ल्यू और बी 137 किस्मों की बिजाई 15 नवंबर से 30 नवंबर तक की जा सकती हैं. पछेती बिजाई 26 नवंबर से 25 दिसंबर तक किया जाएगा. इसमें डब्ल्यूएच 1124, डब्ल्यूएच 1021, पीबी डब्ल्यू 771, एच डी 3059, एचडी 3298, डीबीडब्ल्यू 173, डीबीडब्ल्यू 90 की बिजाई की जा सकती है. कठिया गेहूं के लिए डब्ल्यूएच 896, डब्ल्यूएच 912, डब्ल्यूएचडी 943, डब्ल्यूएचडी 948 किस्मों की बिजाई की जा सकती है.

इन बातों का रखें ध्यान: अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि गेहूं की पछेती बिजाई के लिए 50 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ पर्याप्त है. बिजाई कतारों में होना चाहिए. खाद-बीज ड्रिल या पोरा विधि से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर करें. ध्यान रहे कि देसी किस्मों की पीला रतुआ प्रभावित हरियाणा के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में किसान पीबीडब्ल्यू 343, पीबीडब्ल्यू 373, डब्ल्यूएच 711, एचडी 2851, एच डी 2967, डीबीडब्ल्यू 17, सुपर, बरबट किस्मों को न उगाएं, क्योंकि ये किस्में पीला रतुआ रोग के लिए अत्यंत रोगग्राही है. 7 सेंटीमीटर और बौनी किस्मों की बिजाई 5-6 सेंटीमीटर से अधिक गहरी न करें. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए 2,4-डी का प्रयोग करें.

ऐसे करें खरपतवारों की रोकथाम: वैज्ञानिक डॉक्टर ओपी बिश्नोई ने बताया कि खरपतवारों की रोकथाम के लिए फसल की शुरू की बढ़वार में लगभग 30 दिन के अंदर ही एक बार निराई-गुड़ाई करें. यदि खरपतवारों की रोकथाम शाकनाशकों द्वारा करनी हो तो चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए 2,4-डी का प्रयोग करें. इसके लिए 250 ग्राम 2, 4-डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत को या 300 मिली 2,4-डी एस्टर 34.6 प्रतिशत या एलग्रीप 8 ग्राम 250 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें.

इन बातों का रखें ध्यान: गेहूं में मालवा, जंगली पालक, हिरणखुरी और अन्य चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए कारफेन्ट्राजोन ईथाईल (एफीनिटी) 40 प्रतिशत डीएफ की 20 ग्राम प्रति एकड़ या सभी प्रकार के चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए लेनफिडा मैटसल्फ्यूरॉन 10 प्रतिशत, कारफेन्ट्राजोन 40 प्रतिशत मिश्रण की 20 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ 0.2 प्रतिशत सहायक पदार्थ के हिसाब से 200-250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. ध्यान रहे बिजाई के 40 दिन बाद किसी भी खरपतवारनाशी का प्रयोग ना करे, क्योंकि 40 के बाद पौधों में गर्भावस्था शुरू हो जाती है. अत: इसके बाद दवाई छिड़कने से पौधो की बालियां टेढी मेढ़ी निकलेंगी या बालियों में दाने नहीं पड़ेंगे.

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