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क्या इतिहास रचेगी बीजेपी? रुझानों ने सियासी समीकरण किए फेल, अब तक की सबसे बड़ी जीत की ओर बढ़ रही भाजपा - HARYANA ELECTION RESULT 2024

हरियाणा के रुझानों में भाजपा सरकार बनाती दिख रही है. अगर रुझान सही साबित हुए तो ये बीजेपी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन होगा.

HARYANA ELECTION RESULT 2024
HARYANA ELECTION RESULT 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 8, 2024, 3:37 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव के तहत मतगणना का कार्य जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे - वैसे चुनावी नतीजे हैरान कर देने वाले सामने आ रहे हैं. अभी तक के रुझान बीजेपी की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं. रुझानों ने सभी सियासी पंडितों के समीकरणों को फेल कर दिया. अभी तक के रुझान बता रहे हैं कि हरियाणा में बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाकर इतिहास रचने जा रही है.

हैरानी की बात यह है कि अभी तक के चुनावी रुझानों में बीजेपी को हरियाणा के लगभग सभी क्षेत्रों में सीट मिलती दिखाई दे रही हैं. हालांकि अभी तक जो रुझान दिख रहे हैं, उसमें बीजेपी की हमेशा से हरियाणा में मजबूत रही जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा इस बार फिर से पार्टी को तीसरी बार सत्ता का सुख देने में अहम भूमिका निभा सकता है.

हरियाणा में सभी चुनावी पंडित यह आकलन करके बैठे थे कि इस बार कांग्रेस एक तरफा चुनाव जीतेगी और कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. यहां तक की सभी एग्जिट पोल भी हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाते हुए दिख रहे थे. इन सबके बीच भी बीजेपी के तमाम नेता बार-बार कह रहे थे कि चुनावी नतीजे कुछ और ही होंगे. कांग्रेस बाद में ईवीएम पर चुनावी हार का ठीकरा फोड़ेगी. हालांकि इसमें कोई दोराय नहीं है कि जिस तरह से हरियाणा में चुनाव प्रचार के अंतिम 2 सप्ताह में बीजेपी ने अपने अभियान को गति दी, उसे बीजेपी हालत को अपने पक्ष में मोड़ने में कामयाब होती दिख रही है.

हरियाणा में कांग्रेस को जिन वजह से चुनावी हार का सामना करना पड़ सकता है, उनमें कुछ ऐसे बिंदु है जो कांग्रेस ने खुद ही इस चुनाव के दौरान बीजेपी को उनके खिलाफ भुनाने के लिए दिए.

इसे भी पढ़ें : लाइव Julana Haryana Election Result 2024 LIVE: जुलाना में कांग्रेस की आंधी, विनेश फोगाट चुनाव जीती

कुमारी शैलजा प्रकरण बना सबसे बड़ी वजह : हरियाणा में कांग्रेस की इस हालत की सबसे बड़ी वजह कुमारी शैलजा का प्रकरण बनता हुआ दिखाई दे रहा है. हरियाणा में दलित मतदाता कुमारी शैलजा के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणी की बात से ही कांग्रेस से नाराज दिखाई दे रहा था, वहीं अंतिम वक्त में अशोक तंवर के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह शायद उन मतदाताओं को वापस अपनी ओर मोड़ने में कामयाब होगी, लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है.

नौकरियों में कोटा देने का ऐलान पड़ा भारी! राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक कांग्रेस के कुछ प्रत्याशियों द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार यह कहना कि अगर उनकी सरकार आएगी तो उनका नौकरियों में कोटा रहेगा, इस बात का भी कहीं ना कहीं आम लोगों में असर हुआ. क्योंकि बीजेपी बार-बार कह रही थी कि उनकी सरकार ने बिना खर्ची और बिना पर्ची के नौकरियां दिए हैं और अगर कांग्रेस सत्ता में आएगी तो वह फिर से नौकरियों की भी बंदर बांट करेंगे.

राहुल गांधी के बयान भारी पड़े! इसके साथ ही राहुल गांधी के अमेरिका में दिए गए बयानों को भी इस बार चुनाव के दौरान भाजपा ने जबरदस्ती तरीके से भुनाया और उसका फायदा भी बीजेपी को कहीं ना कहीं मिलता हुआ दिखाई दे रहा है और कांग्रेस को आरक्षण विरोधी बताने में बीजेपी कामयाब होती दिखाई दे रही है.

इस बार RSS ने दिया साथ : वहीं इस बार बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जो कमियां रह गई थी, उनको पूरी तरह से विधानसभा चुनाव में दूर करने की पूरी कोशिश की. इस बार बीजेपी और आरएसएस कंधे से कंधा मिलाकर चुनावी मैदान में उतरे थे, इसका असर जमीनी स्तर पर भी चुनावी नतीजों में देखा गया. साफ है बीजेपी की एक टीम की तरह इस चुनाव को लड़ने की रणनीति कामयाब हुई है.

राम रहीम की पैरोल का किया विरोध : इसके साथ कांग्रेस से एक जो बड़ी चूक होती हुई दिखाई दे रही है, वह यह है कि डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने के मामले में जो कांग्रेस कभी भी अपना विरोध दर्ज नहीं करवाती थी, उसने इस बार राम रहीम को पैरोल मिलने के दौरान सवाल उठाए. यानी कही ना कहीं गुरमीत राम रहीम के फॉलोअर में की कांग्रेस ने खुद ही नाराजगी मोल ले ली. हालांकि इसका कितना असर हुआ होगा उसका आकलन अभी करना मुश्किल है.

भाजपा का अब तक का सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन : अगर रुझान यही रहे तो भाजपा का यह प्रदर्शन इतिहास में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बनता दिख रहा है. 1980 में पार्टी की स्थापना हुई. इसके बाद 1982 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी ने भाग लिया, तब भाजपा ने 6 सीटें जीती थी. इसके बाद 1987 में 16, 1996 में 11, 2000 में 6 और 2005 में भाजपा को केवल 2 सीटें ही मिली. साल 2009 के चुनाव में भी भाजपा को केवल 4 सीटें ही मिल सकी. लेकिन, साल 2014 का चुनाव हरियाणा बीजेपी के लिए दूध के उफान की तरह साबित हुआ. मोदी लहर ने भाजपा को तब 47 सीटें जिताई. हालांकि, 2019 के चुनाव में भाजपा केवल 40 सीटें ही पा सकी. 2024 के चुनाव में अभी रुझान बीजेपी को लगभग 50 सीटें जीताने का बता रहे हैं, जाहिर है, रुझान सच साबित हुए तो यह भाजपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन होगा.

इसे भी पढ़ें : लाइव Ambala Cantt Haryana Election Result 2024 LIVE: अंबाला कैंट में काउंटिंग जारी, अनिल विज आगे, चित्रा सरवारा पीछे

चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव के तहत मतगणना का कार्य जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे - वैसे चुनावी नतीजे हैरान कर देने वाले सामने आ रहे हैं. अभी तक के रुझान बीजेपी की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं. रुझानों ने सभी सियासी पंडितों के समीकरणों को फेल कर दिया. अभी तक के रुझान बता रहे हैं कि हरियाणा में बीजेपी तीसरी बार सरकार बनाकर इतिहास रचने जा रही है.

हैरानी की बात यह है कि अभी तक के चुनावी रुझानों में बीजेपी को हरियाणा के लगभग सभी क्षेत्रों में सीट मिलती दिखाई दे रही हैं. हालांकि अभी तक जो रुझान दिख रहे हैं, उसमें बीजेपी की हमेशा से हरियाणा में मजबूत रही जीटी रोड बेल्ट और दक्षिण हरियाणा इस बार फिर से पार्टी को तीसरी बार सत्ता का सुख देने में अहम भूमिका निभा सकता है.

हरियाणा में सभी चुनावी पंडित यह आकलन करके बैठे थे कि इस बार कांग्रेस एक तरफा चुनाव जीतेगी और कांग्रेस की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी. यहां तक की सभी एग्जिट पोल भी हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनाते हुए दिख रहे थे. इन सबके बीच भी बीजेपी के तमाम नेता बार-बार कह रहे थे कि चुनावी नतीजे कुछ और ही होंगे. कांग्रेस बाद में ईवीएम पर चुनावी हार का ठीकरा फोड़ेगी. हालांकि इसमें कोई दोराय नहीं है कि जिस तरह से हरियाणा में चुनाव प्रचार के अंतिम 2 सप्ताह में बीजेपी ने अपने अभियान को गति दी, उसे बीजेपी हालत को अपने पक्ष में मोड़ने में कामयाब होती दिख रही है.

हरियाणा में कांग्रेस को जिन वजह से चुनावी हार का सामना करना पड़ सकता है, उनमें कुछ ऐसे बिंदु है जो कांग्रेस ने खुद ही इस चुनाव के दौरान बीजेपी को उनके खिलाफ भुनाने के लिए दिए.

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कुमारी शैलजा प्रकरण बना सबसे बड़ी वजह : हरियाणा में कांग्रेस की इस हालत की सबसे बड़ी वजह कुमारी शैलजा का प्रकरण बनता हुआ दिखाई दे रहा है. हरियाणा में दलित मतदाता कुमारी शैलजा के खिलाफ की गई अभद्र टिप्पणी की बात से ही कांग्रेस से नाराज दिखाई दे रहा था, वहीं अंतिम वक्त में अशोक तंवर के कांग्रेस में शामिल होने से कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह शायद उन मतदाताओं को वापस अपनी ओर मोड़ने में कामयाब होगी, लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है.

नौकरियों में कोटा देने का ऐलान पड़ा भारी! राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक कांग्रेस के कुछ प्रत्याशियों द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार यह कहना कि अगर उनकी सरकार आएगी तो उनका नौकरियों में कोटा रहेगा, इस बात का भी कहीं ना कहीं आम लोगों में असर हुआ. क्योंकि बीजेपी बार-बार कह रही थी कि उनकी सरकार ने बिना खर्ची और बिना पर्ची के नौकरियां दिए हैं और अगर कांग्रेस सत्ता में आएगी तो वह फिर से नौकरियों की भी बंदर बांट करेंगे.

राहुल गांधी के बयान भारी पड़े! इसके साथ ही राहुल गांधी के अमेरिका में दिए गए बयानों को भी इस बार चुनाव के दौरान भाजपा ने जबरदस्ती तरीके से भुनाया और उसका फायदा भी बीजेपी को कहीं ना कहीं मिलता हुआ दिखाई दे रहा है और कांग्रेस को आरक्षण विरोधी बताने में बीजेपी कामयाब होती दिखाई दे रही है.

इस बार RSS ने दिया साथ : वहीं इस बार बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में जो कमियां रह गई थी, उनको पूरी तरह से विधानसभा चुनाव में दूर करने की पूरी कोशिश की. इस बार बीजेपी और आरएसएस कंधे से कंधा मिलाकर चुनावी मैदान में उतरे थे, इसका असर जमीनी स्तर पर भी चुनावी नतीजों में देखा गया. साफ है बीजेपी की एक टीम की तरह इस चुनाव को लड़ने की रणनीति कामयाब हुई है.

राम रहीम की पैरोल का किया विरोध : इसके साथ कांग्रेस से एक जो बड़ी चूक होती हुई दिखाई दे रही है, वह यह है कि डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम को पैरोल मिलने के मामले में जो कांग्रेस कभी भी अपना विरोध दर्ज नहीं करवाती थी, उसने इस बार राम रहीम को पैरोल मिलने के दौरान सवाल उठाए. यानी कही ना कहीं गुरमीत राम रहीम के फॉलोअर में की कांग्रेस ने खुद ही नाराजगी मोल ले ली. हालांकि इसका कितना असर हुआ होगा उसका आकलन अभी करना मुश्किल है.

भाजपा का अब तक का सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन : अगर रुझान यही रहे तो भाजपा का यह प्रदर्शन इतिहास में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बनता दिख रहा है. 1980 में पार्टी की स्थापना हुई. इसके बाद 1982 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी ने भाग लिया, तब भाजपा ने 6 सीटें जीती थी. इसके बाद 1987 में 16, 1996 में 11, 2000 में 6 और 2005 में भाजपा को केवल 2 सीटें ही मिली. साल 2009 के चुनाव में भी भाजपा को केवल 4 सीटें ही मिल सकी. लेकिन, साल 2014 का चुनाव हरियाणा बीजेपी के लिए दूध के उफान की तरह साबित हुआ. मोदी लहर ने भाजपा को तब 47 सीटें जिताई. हालांकि, 2019 के चुनाव में भाजपा केवल 40 सीटें ही पा सकी. 2024 के चुनाव में अभी रुझान बीजेपी को लगभग 50 सीटें जीताने का बता रहे हैं, जाहिर है, रुझान सच साबित हुए तो यह भाजपा का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन होगा.

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