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पराली प्रबंधन में सहयोग करने वालों को सरकार देगी पैसा, जानें कैसे मिलेगा स्कीम का लाभ - Haryana Straw Management

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 2 hours ago

Haryana Straw Management: हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए गौशालाओं को प्रोत्साहन देने का प्रयास किया है. गौशालाओं को धान की पराली उठाने के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सहायता राशि दी जाएगी. किसानों को भी फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए एक हजार रुपये प्रति एकड़ सहायता राशि दी जाएगी. इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को विभागीय पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा.

Haryana Straw Management
Haryana Straw Management (Etv Bharat)

करनाल: हरियाणा में धान कटाई का समय है और ऐसे में धान कटाई के बाद फसल अवशेषों में आगजनी के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने और जीरो बर्निंग के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने कमर कस ली है. जिसके लिए विभाग द्वारा उपायुक्त उत्तम सिंह के मार्गदर्शन व जिला प्रशासन के सहयोग से 300 अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी फील्ड में आगजनी पर निगरानी और न मानने वालों पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए लगा दी है. जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन करना काफी जरूरी है.

खेत में आग लगाने के नुकसान: कृषि अधिकारी ने कहा की अगर कोई अपने अवशेष में आग लगाता है, तो उस जहां वातावरण खराब होता है. वहीं, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है. क्योंकि उसके मित्र कीट आग में जलकर नष्ट हो जाते हैं. जिसके चलते फसल पैदावार कम हो जाती है और लागत बढ़ जाती है. फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए किसानों को कई प्रकार से जागरूक किया जाता है. बताया जाता है कि कैसे-कैसे वह अपना फसल अवशेष प्रबंधन कर सकते हैं. इसके साथ-साथ फसल अवशेष प्रबंधन करने के साथ पैसा भी कमा सकते हैं.

गौशाला को पराली प्रबंधन से लाभ: कृषि विभाग के द्वारा जहां किसानों को प्रति एकड़ फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए ₹1000 प्रति एकड़ सहायता राशि दी जाती है, तो वहीं सरकार के द्वारा एक और बड़ा फैसला फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किया गया है. अगर किसानों से गौशाला फसल अवशेष लेती है. तो उनको ₹500 प्रति एकड़ यातायात के खर्च के रूप में सहायता राशि दी जाएगी. एक गौशाला को अधिकतम सहायता राशि 15000 रुपए तक दी जाएगी. लेकिन इसके लिए जरूरी होना चाहिए कि वह गौशाला गौ सेवा आयोग के साथ पंजीकृत हो.

किसानों को दी जाने वाली राशि: अगर कोई किसान भाई अपनी फसल अवशेष में आग न लगाकर उसका मशीन से प्रबंध करें तो उसके लिए किसान को कृषि विभाग के द्वारा 1000 के प्रति एकड़ राशि दी जाती है. लेकिन इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को उसका ब्यौरा कृषि पोर्टल पर देना होता है कि उसने कितने एकड़ में कौन सी फसल लगाई है और फसल अवशेष प्रबंधन कितने एकड़ में किया गया है. वहां पर मशीन गट्ठे बनाने के लिए आती है और वह खुद ही उसको उठा कर लेकर जाते हैं. इसके लिए किसान को 1000 पर राशि दी जाती है.

कृषि यंत्र के लिए दिया जाता है अनुदान: हरियाणा सरकार द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रयास रहता है कि किसान अपनी फसल अवशेष का प्रबंध करें. जिसके चलते किसानों को अनुदान पर स्ट्रॉबेलर, सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज मशीन, रोटावेटर सहित कई कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाते हैं. अगर कोई अकेला किसान लेता है, तो उसको 50% अनुदान पर कृषि यंत्र दिए जाते हैं. अगर किसान समूह में लेता है, कस्टम हायर सेंटर तो उसको 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है.

फसल अवशेष प्रबंधन: जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि कृषि यंत्र पर ज्यादा से ज्यादा अनुदान दिया जा रहा है. ताकि किसान इसका फायदा उठा सके ऐसे में अगर कोई किसान भाई गेहूं बिजाई के साथ-साथ फसल अवशेष प्रबंधन करना चाहता है, तो उसके लिए भी कुछ मशीन विभाग के द्वारा दी जाती है. जिन पर काफी अच्छा अनुदान दिया जा रहा है. उसके साथ उनके फसल अवशेष प्रबंधन भी होते हैं और गेहूं की बिजाई भी होती है.

पराली में आग के नुकसान: फसल अवशेष में आग लगाने से किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी नुकसान होता है. क्योंकि उसे वातावरण दूषित हो जाता है. वायु जहरीली हो जाती है. लेकिन इसके साथ-साथ किसानों को भारी नुकसान पैदावार के साथ उठना पड़ता है. क्योंकि आग लगने से उनके मिट्टी के मित्र की तो मर जाते हैं. जिसे पैदावार प्रभावित हो जाती है.

फसल अवशेष में आग लगाने वालों पर नजर: उप कृषि निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि जिला करनाल में धान की अगेती फसल की कटाई शुरू हो गई है. हालांकि पिछले दो-तीन दिन से बरसात का मौसम होने की वजह से धान की कटाई रुकी है. लेकिन अब मौसम सामान्य होने से आगामी दिनों में किसानों द्वारा धान की कटाई उपरांत पराली में आगजनी की जा सकती है. इसके लिए पूरा प्रशासन और कृषि विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गया है. उन्होंने ड्यूटी पर तैनात सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का आह्वान किया कि वे जीरो बर्निंग के लक्ष्य को केंद्र में रखकर आगजनी की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता से निभाएं. जिसके चलते जिले में 300 कर्मचारी और अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है.

आगजनी की घटनाओं पर रोक: डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा इस वर्ष जिला करनाल को जीरो बर्निंग का लक्ष्य दिया गया है. पिछले दो वर्षों में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. खरीफ सीजन-2021 में जहां हरसेक से आगजनी की 957 घटनाएं दर्ज की गई थी. वहीं, वर्ष 2022 में ये घटकर 301 तथा खरीफ सीजन 2023 में ये केवल 126 दर्ज गई. इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में जहां रेड जोन गांवों की संख्या 10 व येलो रेड जोन की संख्या 53 थी. वहीं, वर्ष 2024 में रेड जोन गांव की संख्या मात्र 2 और येलो जोन की संख्या 24 रह गई है.

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करनाल: हरियाणा में धान कटाई का समय है और ऐसे में धान कटाई के बाद फसल अवशेषों में आगजनी के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने और जीरो बर्निंग के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने कमर कस ली है. जिसके लिए विभाग द्वारा उपायुक्त उत्तम सिंह के मार्गदर्शन व जिला प्रशासन के सहयोग से 300 अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी फील्ड में आगजनी पर निगरानी और न मानने वालों पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए लगा दी है. जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन करना काफी जरूरी है.

खेत में आग लगाने के नुकसान: कृषि अधिकारी ने कहा की अगर कोई अपने अवशेष में आग लगाता है, तो उस जहां वातावरण खराब होता है. वहीं, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है. क्योंकि उसके मित्र कीट आग में जलकर नष्ट हो जाते हैं. जिसके चलते फसल पैदावार कम हो जाती है और लागत बढ़ जाती है. फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए किसानों को कई प्रकार से जागरूक किया जाता है. बताया जाता है कि कैसे-कैसे वह अपना फसल अवशेष प्रबंधन कर सकते हैं. इसके साथ-साथ फसल अवशेष प्रबंधन करने के साथ पैसा भी कमा सकते हैं.

गौशाला को पराली प्रबंधन से लाभ: कृषि विभाग के द्वारा जहां किसानों को प्रति एकड़ फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए ₹1000 प्रति एकड़ सहायता राशि दी जाती है, तो वहीं सरकार के द्वारा एक और बड़ा फैसला फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किया गया है. अगर किसानों से गौशाला फसल अवशेष लेती है. तो उनको ₹500 प्रति एकड़ यातायात के खर्च के रूप में सहायता राशि दी जाएगी. एक गौशाला को अधिकतम सहायता राशि 15000 रुपए तक दी जाएगी. लेकिन इसके लिए जरूरी होना चाहिए कि वह गौशाला गौ सेवा आयोग के साथ पंजीकृत हो.

किसानों को दी जाने वाली राशि: अगर कोई किसान भाई अपनी फसल अवशेष में आग न लगाकर उसका मशीन से प्रबंध करें तो उसके लिए किसान को कृषि विभाग के द्वारा 1000 के प्रति एकड़ राशि दी जाती है. लेकिन इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को उसका ब्यौरा कृषि पोर्टल पर देना होता है कि उसने कितने एकड़ में कौन सी फसल लगाई है और फसल अवशेष प्रबंधन कितने एकड़ में किया गया है. वहां पर मशीन गट्ठे बनाने के लिए आती है और वह खुद ही उसको उठा कर लेकर जाते हैं. इसके लिए किसान को 1000 पर राशि दी जाती है.

कृषि यंत्र के लिए दिया जाता है अनुदान: हरियाणा सरकार द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रयास रहता है कि किसान अपनी फसल अवशेष का प्रबंध करें. जिसके चलते किसानों को अनुदान पर स्ट्रॉबेलर, सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज मशीन, रोटावेटर सहित कई कृषि यंत्र अनुदान पर दिए जाते हैं. अगर कोई अकेला किसान लेता है, तो उसको 50% अनुदान पर कृषि यंत्र दिए जाते हैं. अगर किसान समूह में लेता है, कस्टम हायर सेंटर तो उसको 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है.

फसल अवशेष प्रबंधन: जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि कृषि यंत्र पर ज्यादा से ज्यादा अनुदान दिया जा रहा है. ताकि किसान इसका फायदा उठा सके ऐसे में अगर कोई किसान भाई गेहूं बिजाई के साथ-साथ फसल अवशेष प्रबंधन करना चाहता है, तो उसके लिए भी कुछ मशीन विभाग के द्वारा दी जाती है. जिन पर काफी अच्छा अनुदान दिया जा रहा है. उसके साथ उनके फसल अवशेष प्रबंधन भी होते हैं और गेहूं की बिजाई भी होती है.

पराली में आग के नुकसान: फसल अवशेष में आग लगाने से किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी नुकसान होता है. क्योंकि उसे वातावरण दूषित हो जाता है. वायु जहरीली हो जाती है. लेकिन इसके साथ-साथ किसानों को भारी नुकसान पैदावार के साथ उठना पड़ता है. क्योंकि आग लगने से उनके मिट्टी के मित्र की तो मर जाते हैं. जिसे पैदावार प्रभावित हो जाती है.

फसल अवशेष में आग लगाने वालों पर नजर: उप कृषि निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि जिला करनाल में धान की अगेती फसल की कटाई शुरू हो गई है. हालांकि पिछले दो-तीन दिन से बरसात का मौसम होने की वजह से धान की कटाई रुकी है. लेकिन अब मौसम सामान्य होने से आगामी दिनों में किसानों द्वारा धान की कटाई उपरांत पराली में आगजनी की जा सकती है. इसके लिए पूरा प्रशासन और कृषि विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गया है. उन्होंने ड्यूटी पर तैनात सभी अधिकारियों व कर्मचारियों का आह्वान किया कि वे जीरो बर्निंग के लक्ष्य को केंद्र में रखकर आगजनी की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता से निभाएं. जिसके चलते जिले में 300 कर्मचारी और अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है.

आगजनी की घटनाओं पर रोक: डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा इस वर्ष जिला करनाल को जीरो बर्निंग का लक्ष्य दिया गया है. पिछले दो वर्षों में फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. खरीफ सीजन-2021 में जहां हरसेक से आगजनी की 957 घटनाएं दर्ज की गई थी. वहीं, वर्ष 2022 में ये घटकर 301 तथा खरीफ सीजन 2023 में ये केवल 126 दर्ज गई. इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में जहां रेड जोन गांवों की संख्या 10 व येलो रेड जोन की संख्या 53 थी. वहीं, वर्ष 2024 में रेड जोन गांव की संख्या मात्र 2 और येलो जोन की संख्या 24 रह गई है.

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