चंडीगढ़: हरियाणा में एक राज्यसभा सीट खाली है. दीपेंद्र हुड्डा के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ये सीट खाली हुई है. अब इस सीट पर चुनाव को लेकर हरियाणा की राजनीति में घमासान मचा हुआ है. कयास लगाए जा रहे हैं कि ये सीट बीजेपी के खाते में जा सकती है. कांग्रेस भी कोई खास रूची इस चुनाव में नहीं दिखा रही. विधानसभा में नंबर गेम भी कांग्रेस के साथ नहीं है. इसलिए कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. हालांकि कांग्रेस कह रही है कि कोई समर्थन के लिए उनके सामने आएगा, तो विचार किया जाएगा.
क्या कांग्रेस राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार उतारेगी? नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा कह चुके हैं कि राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के पास नंबर नहीं है. इसके लिए 15 या 16 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी. अगर 16 सदस्य किसी फैसले पर पहुंचकर हमसे बात करते हैं, तो हम समर्थन दे देंगे. भले ही हम मुख्य विपक्षी दल हैं, लेकिन बिना नंबर के हम क्यों लड़ेंगे. हम इसको लेकर किसी पार्टी से बात नहीं करेंगे, अगर कोई सामने से आता है, तो हम बात करेंगे. कांग्रेस के पास नंबर नहीं है. इसलिए हम उम्मीदवार नहीं उतारेंगे. हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं.
नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बयान से ये तो स्पष्ट हो जाता है कि इस राज्यसभा सीट पर विधानसभा में सबसे ज्यादा सदस्यों वाली बीजेपी ही अपना उम्मीदवार उतारेगी. यानी इसमें बीजेपी की राह आसान दिखाई देती है.
क्या है हरियाणा विधानसभा के समीकरण? हरियाणा विधानसभा में इस वक्त 87 सदस्य हैं. जिनमें बीजेपी 41 हैं, जबकि कांग्रेस के 29, जेजेपी के दस, एक इनेलो, एक हरियाणा लोकहित पार्टी और पांच निर्दलीय विधायक हैं. इनमें भी तीन निर्दलीय कांग्रेस के साथ हैं. जबकि एक निर्दलीय और हिलोपा विधायक बीजेपी के साथ है. जेजेपी के ज्यादातर विधायक अपनी पार्टी के खिलाफ चल रहे हैं. जिनमें कुछ बीजेपी तो कुछ कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई देते हैं. ऐसे में राज्यसभा सीट पर बीजेपी का दावा मजबूत दिखाई देता है.
क्यों कांग्रेस उम्मीदवार उतारने से कर रही किनारा? राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद कह चुके हैं कि कांग्रेस के पास नंबर नहीं है, तो ऐसे में कांग्रेस का उम्मीदवार ना उतारने का फैसला सही दिखाई देता है. नम्बर गेम के चलते ही शायद कांग्रेस उम्मीदवार नहीं उतारना चाह रही है. नंबर गेम के लिए विपक्ष को कम से कम 16 विधायकों की जरूरत पड़ेगी, लेकिन हरियाणा विधानसभा की जो स्थिति है और जिस तरह के मौजूदा समीकरण हैं. उसमें विपक्ष के उम्मीदवार उतारने की संभावनाएं ना के बराबर ही दिखाई देती है. इसलिए सत्ता पक्ष ही उम्मीदवार उतारेगा और वही जीतेगा. इसकी संभावना ज्यादा दिखाई देती है.