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सैनी सरकार में अनिल विज ने ली मंत्री पद की शपथ, 7वीं बार बने विधायक, बैंक की नौकरी छोड़कर की थी राजनीतिक पारी की शुरुआत

हरियाणा की नई सरकार में अनिल विज ने मंत्री पद की शपथ ली. वे सातवीं बार विधायक बने हैं.

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : 2 hours ago

Haryana Oath Ceremony 2024
Haryana Oath Ceremony 2024 (Etv Bharat)

चंडीगढ़: हरियाणा में नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली. वहीं, अनिल विज ने भी मंत्री पद की शपथ ली. अंबाला कैंट से बीजेपी विधायक अनिल विज ने सीएम सैनी के बाद दूसरे नंबर पर शपथ ली. अनिल विज अंबाला कैंट से विधायक हैं. वह इससे पहले भी राज्य सरकार में गृह और स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. 70 के दशक में संघ से जुड़े विज पंजाबी बिरादरी से आते हैं. वे लगातार सातवीं बार विधायक बने हैं.

जब अनिल विज ने पेश की थी सीएम पद की दावेदारी: अंबाला से सांसद अनिल विज अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं. चुनाव के दौरान उन्होंने सीएम पद की दावेदारी भी पेश की थी. हालांकि उसके बाद उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, वे उसे बखूबी निभाएंगे और पार्टी का फैसला मानेंगे. बता दें कि गुरुवार, 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार में मंत्री पद का शपथ ग्रहण समारोह पंचकूला के सेक्टर 5 स्थित परेड ग्राउंड में हुआ.

जब विज ने छोड़ी थी बैंक की नौकरी: अनिल विज का जन्म 15 मार्च 1953 को हरियाणा में हुआ. वह पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा में थे. अनिल विज ने एबीवीपी के जरिए छात्र राजनीति में कदम रखा. जब विज एस. डी. कॉलेज अंबाला में पढ़ाई कर रहे थे तो साथ में राजनीतिक क्षेत्र में भी एक्टिव हो गए थे. 1970 में एबीवीपी ने अनिल विज को महासचिव बनाया था. अनिल विज ने विश्व हिंदू परिषद, भारत विकास परिषद बीएमएस और ऐसे अन्य कई संगठनों के साथ सक्रिय रूप से काम किया. विज ने 1974 में एसबीआई में नौकरी की, लेकिन बीजेपी से भी जुड़े रहे.

सुषमा स्वराज की जगह चुनाव लड़ा और जीते: 1990 में जब सुषमा स्वराज राज्यसभा के लिए चुनी गई तो अंबाला छावनी की सीट खाली हो गई. अनिल विज ने बैंक की नौकरी से रिजाइन कर दिया और सुषमा स्वराज की सीट से उपचुनाव लड़ा, जिसमें वे जीत गए. 1991 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. 1996 और 2000 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और दोनों ही बार जीत का परचम लहराया.

7वीं बार विधायक बने विज: हालांकि 2005 में अनिल विज चुनाव हार गए. 2009 में उन्हें हरियाणा विधानसभा से अंबाला छावनी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के विधानसभा सदस्य के रूप में चुना गया. 2014 में विज को फिर से बीजेपी के विधायक अंबाला छावनी के रूप में चुना गया. 2019 में अनिल विज छठी बार अंबाला कैंट से विधायक बने. 2024 में विज को नायब सैनी सरकार में कैबिनेट में जगह दी गई है.

ये भी पढ़ें: एक क्लिक में देखें नायब कैबिनेट की लिस्ट, जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों का रखा गया ध्यान, 13 में से 11 कैबिनेट मंत्री

ये भी पढ़ें: हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बने कृष्ण लाल पंवार, जीटी रोड बेल्ट के कद्दावर नेता माने जाते हैं पंवार

चंडीगढ़: हरियाणा में नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ कैबिनेट मंत्रियों ने भी शपथ ली. वहीं, अनिल विज ने भी मंत्री पद की शपथ ली. अंबाला कैंट से बीजेपी विधायक अनिल विज ने सीएम सैनी के बाद दूसरे नंबर पर शपथ ली. अनिल विज अंबाला कैंट से विधायक हैं. वह इससे पहले भी राज्य सरकार में गृह और स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. 70 के दशक में संघ से जुड़े विज पंजाबी बिरादरी से आते हैं. वे लगातार सातवीं बार विधायक बने हैं.

जब अनिल विज ने पेश की थी सीएम पद की दावेदारी: अंबाला से सांसद अनिल विज अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं. चुनाव के दौरान उन्होंने सीएम पद की दावेदारी भी पेश की थी. हालांकि उसके बाद उन्होंने कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, वे उसे बखूबी निभाएंगे और पार्टी का फैसला मानेंगे. बता दें कि गुरुवार, 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार में मंत्री पद का शपथ ग्रहण समारोह पंचकूला के सेक्टर 5 स्थित परेड ग्राउंड में हुआ.

जब विज ने छोड़ी थी बैंक की नौकरी: अनिल विज का जन्म 15 मार्च 1953 को हरियाणा में हुआ. वह पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा में थे. अनिल विज ने एबीवीपी के जरिए छात्र राजनीति में कदम रखा. जब विज एस. डी. कॉलेज अंबाला में पढ़ाई कर रहे थे तो साथ में राजनीतिक क्षेत्र में भी एक्टिव हो गए थे. 1970 में एबीवीपी ने अनिल विज को महासचिव बनाया था. अनिल विज ने विश्व हिंदू परिषद, भारत विकास परिषद बीएमएस और ऐसे अन्य कई संगठनों के साथ सक्रिय रूप से काम किया. विज ने 1974 में एसबीआई में नौकरी की, लेकिन बीजेपी से भी जुड़े रहे.

सुषमा स्वराज की जगह चुनाव लड़ा और जीते: 1990 में जब सुषमा स्वराज राज्यसभा के लिए चुनी गई तो अंबाला छावनी की सीट खाली हो गई. अनिल विज ने बैंक की नौकरी से रिजाइन कर दिया और सुषमा स्वराज की सीट से उपचुनाव लड़ा, जिसमें वे जीत गए. 1991 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. 1996 और 2000 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और दोनों ही बार जीत का परचम लहराया.

7वीं बार विधायक बने विज: हालांकि 2005 में अनिल विज चुनाव हार गए. 2009 में उन्हें हरियाणा विधानसभा से अंबाला छावनी निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी के विधानसभा सदस्य के रूप में चुना गया. 2014 में विज को फिर से बीजेपी के विधायक अंबाला छावनी के रूप में चुना गया. 2019 में अनिल विज छठी बार अंबाला कैंट से विधायक बने. 2024 में विज को नायब सैनी सरकार में कैबिनेट में जगह दी गई है.

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