भिवानीः बीते कुछ समय में पूरे उत्तर भारत की आबोहवा बेहद खराब है. साफ हवा मिल सके इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकारों की अपनी-अपनी योजनाएं भी चल रही हैं, लेकिन स्वच्छ पर्यावरण, साफ हवा सुलभ हो सके इसके लिए कुछ लोग ऐसे भी हैं जो स्वयं भी भागीरथ प्रयास कर रहे हैं. उनके प्रयासों के कारण कम से कम कुछ ऐसे क्षेत्र तैयार हुए हैं, जहां की आबोहवा काफी हद तक स्वच्छ भी हुई है.
सार्वजनिक जगहों पर लगाते हैं त्रिवेणीः इन्होंने ना सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की मुहिम छेड़ी बल्कि पर्यावरण प्रहरी बन कर पौधों की सुरक्षा की गारंटी भी ली. जिसके कारण पौधे समय के साथ पेड़ों में बदल गए. इन्हीं पर्यावरण प्रहरियों में एक नाम है हवलदार लोकराम नेहरा व उनकी धर्मपत्नी एएसआई कांता नेहरा का. ये दोनों अपने पूरे परिवार के साथ लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाए हुए हैं. लोकराम सीजेएम के गनमैन हैं. ड्यूटी के बाद वे स्कूल, कॉलेज, सार्वजनिक जगहों के साथ पुलिस थानों और पुलिस चौकियों में भी त्रिवेणी (बड़, पीपल और नीम) लगाने का काम करते रहे हैं.
वेतन का 10 प्रतिशत करते हैं पर्यावरण पर खर्चः गौरतलब है कि एक दशक से ज्यादा समय में भिवानी के हेड कांस्टेबल लोकराम और उनकी धर्मपत्नी एएसआई कांता नेहरा पुलिस की नौकरी के साथ वर्ष 2012 से ही पर्यावरण प्रहरी के रूप में भी कार्य कर रहे हैं. इसके लिए दोनों ने तन, मन एवं धन तीनों के जरिये पहल की. साल दर साल पौधरोपण कर रहे हैं. दोनों मिलकर 15 हजार से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं. वर्ष 2012 से हर महीने अपने वेतन का 10 प्रतिशत के करीब हिस्सा पर्यावरण के लिए खर्च करते हैं. हेड कॉन्स्टेबल लोकराम नेहरा और एएसआई कांता अपने खेत और गांव झुंप्पाकलां की शामलात भूमि पर चार ऑक्सीवन तैयार कर चुके हैं.
दादा भी पर्यावरण संरक्षण के लिए करते थे कामः लोकराम नेहरा ने बताया कि उनके दादा तलवार सिंह मेहरा 1984 बैच के आईएएस अधिकार थे. उन्होंने गांव में एक फार्महाऊस बनाया था. कई जगहों पर उन्होंने अपनी सेवाएं दीं. इस दौरान वे अलग-अलग जगहों से तरह-तरह के पौधे लेकर फार्म हाऊस आते थे और वहां पौधरोपण करते थे. ये पौधे काफी सुंदर लगते हैं. मैंने भी वहां बड़ी संख्या में पौधे लगाएं हैं.
2024 तक अबतक 4504 पौधे लगा चुके हैं लोकरामः
लोकराम नेहरा ने कहा मैं फूलदार, फलदार, छायादार सभी प्रकार के पौधे बचपन से लगा रहा हूं. अबतक 15,000 प्लस पौधे लगा चुका हूं. इनमें 8000 से 9000 त्रिवेणी के पौधे हैं. पहले मैं पौधरोपण का हिसाब नहीं रखता था. 2024 में मैंने 2024 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा था. 15 दिसंबर 2024 तक मैं 4504 पौधा लगा चुका हूं. पौधरोपण का हिसाब रखने के लिए मैं कैलेंडर बनाकर हिसाब रख रहा हूं.
अब नर्सरी वाले 90 फीसदी मुफ्त में देते हैं पौधा
लोकराम नेहरा ने बताया कि मेरे चाचा के पास त्रिवेणी बाबा आते थे. शादी-विवाह व अन्य मांगलिक अवसरों पर जहां भी जाते थे, वहां त्रिवेणी लगाते थे. पौधरोपण का मुझे बचपन से लगाव था. त्रिवेणी बाबा को मैंने अपना गुरु मान लिया. इसके बाद पौध रोपण के लिए पौधा लेने में गंगा नर्सरी, शंकर नर्सरी सहित अन्य जगहों पर जाता था. मेरे अभियान से कई नर्सरी वाले भी प्रेरित हो गये. पहले जहां वे पौधों के लिए पूरा पैसा लेते थे, अब वे न सिर्फ 90 फीसदी तक मुफ्त पौधा देते हैं. बल्कि मेरे साथ इस अभियान में खुद जुट गये हैं. वे भी पौधरोपण व पर्यावरण पंचायत में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं.
मैंने अपने पति को पहले बहुत समझाया कि वे पेड़ पौधों पर अपना पैसा और समय बर्बाद न करें. पर उनका हरियाली बढ़ाने के प्रति समर्पण देख कर मैं खुद भी उनके साथ इस कार्य में जुट गईं. पर्यावरण संरक्षण के उनके इस अभियान में अब 50 पुलिसकर्मियों के साथ 300 से ज्यादा युवा एवं कई संस्थाएं भी जुड़ चुकी हैं.-कांतारानी, एएसआई (हवलदार लोकराम नेहरा की पत्नी)
40 वर्षीय लोकराम नेहरा और 39 वर्षीय कांतारानी पर्यावरण संरक्षण के प्रति इतने ज्यादा समर्पित हैं कि अब तक वो अपने भिवानी जिले के गांव झुंप्पाकलां और खेत में चार ऑक्सीवन तैयार कर चुके हैं. इनमें चार एकड़ में 4 हजार, एक एकड़ में 500, सार्वजनिक भूमि के दो एकड़ जमीन पर 250 पौधे लगाए हैं. हवलदार लोकराम नेहरा ने बताया कि गांव में जो ऑक्सीवन (बगीचा) बनाए हैं. उनके चाचा दर्शनानंद और पिताजी रामसिंह बगीचे का देखरेख करते हैं. यहां पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप सिस्टम लगाया है.
अपने घर के सामने एक एकड़ में 200 पौधे लगाए हैं. इनमें तीन हजार से ज्यादा त्रिवेणी भी हैं. इसका असर गांव झुंप्पाकलां के लोग भी महसूस करते हैं. यहां हवा स्वच्छ है. हरियाली ज्यादा होने की वजह से गर्मी का प्रभाव भी कम पड़ता है.-लोकराम नेहरा, हवलदार, भिवानी
मांगलिक कार्य में मिठाई की जगह देते हैं 'त्रिवेणी': लोकराम ने आगे बताया कि पौधे लगाने के बाद उनकी लगातार देखरेख की वजह से ही उनके द्वारा लगाए गए 95 प्रतिशत पौधे अब पेड़ों का आकार ले चुके हैं. उन्होंने सिद्धांत बनाया है कि जब भी अपने परिवार या मित्र के यहां किसी मांगलिक कार्य के लिए जाते हैं, तो उपहार के रूप में त्रिवेणी ही देते हैं. इस बार दीवाली में भी हवलदार लोकराम नेहरा ने मिठाई के बजाय लोगों को 500 तुलसी के पौधे वितरित किए.