रायपुर : हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन हनुमानजी का अवतरण हुआ था. इसलिए हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली का नाम लेने से दुख संकट भूत पिशाच कोसों दूर भाग जाते हैं. तुलसीदास ने हनुमान जी को लेकर लिखा है कि "संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरे हनुमत बलबीरा" इसका अर्थ है कि हनुमान जी में हर तरह के कष्ट तप को दूर करने की क्षमता है. इस बार हनुमान जयंती का पर्व मंगलवार के दिन बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगी.
सप्त चिरंजीवी हैं हनुमान : महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी की जयंती मनाई जाती है. भगवान हनुमान शिव के एकादश अवतार हैं. हनुमान जी भगवान राम की सेवा में हमेशा लगे रहते थे. हनुमान जी सप्त चिरंजीवी में से एक हैं. जो हमेशा के लिए इस धरती पर विराजमान हैं. जो भक्त या श्रद्धालु सेवा कार्य और भक्ति में लगे रहते हैं उनकी रक्षा करने का भार हनुमान जी के ऊपर है. भगवान राम ने हनुमान को धरती पर हमेशा विराजमान रहने का आदेश दिया था.ताकि जो लोग धर्म और कर्म में लगे रहते हैं उनकी रक्षा हो सके.
''भगवान राम के कहे अनुसार हनुमान जी हमेशा के लिए इस पृथ्वी पर चिरंजीवी है. हनुमान जयंती के दिन सभी मंदिरों में पूजा आराधना के बाद भंडारे का आयोजन होता है. जिसमें हजारों की तादाद में लोग इस भंडारा में शामिल होकर प्रसाद ग्रहण करते हैं.इस दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है."- पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी महामाया मंदिर
कब है हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त ?: हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 23 अप्रैल 2024 को यानी आज सुबह 3:25 पर शुरू होगी और इसका समापन 24 अप्रैल 2024 को सुबह 5:18 पर होगा. भगवान हनुमान जी कि जयंती मंगलवार 23 अप्रैल को मनाई जाएगी. मंगलवार या शनिवार के दिन हनुमान जयंती होने की वजह से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी या बजरंगबली की पूजा के दो शुभ मुहूर्त रहने वाले हैं, जिसमें पहले शुभ मुहूर्त सुबह के वक्त रहेगा और दूसरा शुभ मुहूर्त रात्रिकाल में होगा.
हनुमान जयंती के दिन क्या करें ? : हनुमान जयंती के दिन सबसे पहले मंदिर में घी की ज्योति प्रचलित करें. हनुमान जी को गंगाजल से अभिषेक करें. अभिषेक करने के बाद एक साफ वस्त्र से हनुमान जी की प्रतिमा को सफाई करें. सिंदूर और घी या चमेली के तेल को मिला लें और हनुमान जी को चोला चढ़ाएं. सबसे पहले हनुमान जी के बाएं पैर में चोला चढ़ाएं. हनुमान जी को चोला चढ़ाने के बाद चांदी या सोने का वर्क भी चढ़ा दें. हनुमान जी को जनेऊ पहनाएं. जनेऊ पहनाने के बाद हनुमान जी को साफ वस्त्र पहनाए. चोला चढ़ाए जाने के बाद भगवान हनुमान को भोग लगाए. हनुमान जी की आरती करें और हनुमान चालीसा का एक से अधिक बार पाठ करें.
हनुमान जयंती की पौराणिक कथा : हनुमान जन्मोत्सव से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार अंजना एक अप्सरा थी. जिनका श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म हुआ था. अंजना को श्राप से तब मुक्ति मिलती जब एक संतान को जन्म देती. वाल्मीकि रामायण के अनुसार महाराज केसरी बजरंगबली जी के पिता थे. वे सुमेर के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे. अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की. इसके बाद परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमान जी को प्राप्त किया. ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी शिव के एकादश अवतार हैं.