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लवी मेले में आकर्षण का केंद्र बने हाथ से बने उत्पाद, पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत लगाए स्टॉल - RAMPUR LAVI MELA

अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में हिमाचल के कारीगरों-शिल्पकारों को बढ़ावा देने के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत स्टॉल लगाए गए.

Handicraft Products Stalls in Lavi Fair
लवी मेले में हस्तशिल्प उत्पादों की लगी प्रदर्शनी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 15, 2024, 2:10 PM IST

रामपुर: अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत एमएसएमई विकास कार्यालय सोलन द्वारा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कारीगर और शिल्पकार अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया. इस प्रदर्शनी का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहित करना और उनके बनाए उत्पादों को बड़े स्तर पर पहचान दिलाना है. अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत काफी सारे स्टॉल लगाए गए. जहां पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनियां लगाई.

लड़की से बनी मूर्तियां बनी आकर्षण का केंद्र

मंडी जिले के सुंदरनगर से आए एक कारीगर ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत उन्हें और उनके बनाए उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने बताया कि वे देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाते हैं और उन्हें ही मेले में प्रदर्शित करने के लिए लेकर आए हैं. ये मूर्तियां लकड़ी से तैयार की जाती हैं. जिनकी कीमत बाजार में 4,000 से लेकर करीब 10,000 तक है. इसके अलावा इन्हें तैयार करने में भी काफी समय लगता है.

प्रदर्शनी में सजे मिट्टी के उत्पाद

वहीं, ऊना जिले से आई एक महिला कारीगर ने बताया कि वो मिट्टी से तैयार किए गए बर्तन प्रदर्शनी में लेकर आई हैं. महिला ने बताया कि वो कई प्रकार के पानी के घड़े, मिट्टी के दीए और गुल्लक आदि तैयार करती हैं. इसके साथ ही कुल्लू जिले से आए कारीगर ने बताया कि उन्होंने जंगल से लाई गई नगाड़ की लकड़ी से डस्टबिन और रोटी रखने के लिए हॉटकेस तैयार किए हैं. इसके अलावा भी अन्य कई तरह के उत्पाद यहां प्रदर्शनी में लगाए गए हैं.

योजना में कौन से लोग शामिल?

भारतीय उद्यमी विकास सेवा सहायता निदेशक एवं कार्यालय प्रमुख अशोक कुमार गौतम ने बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य भारत के पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को वित्तीय सहायता, तकनीकी ज्ञान और बाजार तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आजीविका बेहतर हो सके. साथ ही कारीगरों और शिल्पकारों के कौशल और उत्पादों को भी वैश्विक पहचान मिल सके. इस योजना का नाम 'विश्वकर्मा' रखा गया है, जो हिंदू संस्कृति में शिल्प और निर्माण के देवता के रूप में जाने जाते हैं. इस योजना के तहत वो लोग आते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी पारंपरिक कार्यों में शामिल रहे हैं. जैसे कि बढ़ई, दर्जी, सुनार, लोहार, कुम्हार, जूता निर्माता आदि.

Handicraft Products Stalls in Lavi Fair
लकड़ी से बनाए गए उत्पाद (ETV Bharat)

अशोक कुमार गौतम ने बताया, "पीएम विश्वकर्मा योजना का मुख्य उद्देश्य उन पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों का समर्थन करना है, जो हस्तनिर्मित उत्पादों और सेवाओं का निर्माण करते हैं. ये लोग अक्सर निम्न आय वाले होते हैं और आधुनिकीकरण के दौर में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. योजना के जरिए उन्हें न सिर्फ वित्तीय सहायता, बल्कि उनके कौशल में सुधार के लिए ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि उनकी उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार हो. साथ ही टूल किट भी मुहैया करवाई जाती है."

योजना के तहत कम ब्याज में लोन

अशोक कुमार गौतम ने बताया कि इस योजना में लाभार्थियों को कम ब्याज दर पर लोन दिया जाता है. ये लोन उनके कारोबार को बढ़ाने, उपकरण खरीदने और अन्य जरूरतों के लिए होता है. इस योजना के तहत लाभार्थियों के काम में दक्षता लाने के लिए कई ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं. ये ट्रेनिंग आधुनिक तकनीक और तरीकों से की जाती है, ताकि उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार हो सके.

डिजिटल मार्केटिंग की दी जा रही ट्रेनिंग

अशोक कुमार गौतम ने बताया कि सरकार द्वारा इन कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों के लिए नए बाजार उपलब्ध कराए जाते हैं. जिससे उनकी ब्रिकी और फायदा बढ़ सके. इसके लिए प्रदर्शनी और मेलों का आयोजन किया जाता है. जैसे अंतरराष्ट्रीय लवी मेला, जिसमें हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों से कारीगर आए थे. कारीगरों को डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए ग्राहकों तक पहुंचने की ट्रेनिंग भी दी जाती है. इससे वे अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेच सकते हैं और आधुनिक बाजार से जुड़ सकते हैं.

ये भी पढ़ें: काजू-बादाम से भी महंगा है ये ड्राई फ्रूट, लवी मेले में 22 सौ रुपये किलो पहुंचे दाम

ये भी पढ़ें: सेब की एक...दो नहीं पूरी 20 किस्में, उद्यान विभाग की प्रदर्शनी ने 'लूट' लिया लवी मेला

ये भी पढ़ें: लवी मेले में किन्नौरी मार्केट पहुंचे सीएम सुक्खू, ड्राई फ्रूट्स का चखा स्वाद

ये भी पढ़ें: लवी मेले में सीएम सुक्खू ने अनाथ आश्रम से आए बच्चों को बनाया अपना मेहमान, टोपी पहनाकर किया सम्मानित

रामपुर: अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत एमएसएमई विकास कार्यालय सोलन द्वारा प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कारीगर और शिल्पकार अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया. इस प्रदर्शनी का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहित करना और उनके बनाए उत्पादों को बड़े स्तर पर पहचान दिलाना है. अंतरराष्ट्रीय लवी मेले में पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत काफी सारे स्टॉल लगाए गए. जहां पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनियां लगाई.

लड़की से बनी मूर्तियां बनी आकर्षण का केंद्र

मंडी जिले के सुंदरनगर से आए एक कारीगर ने बताया कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत उन्हें और उनके बनाए उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है. उन्होंने बताया कि वे देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाते हैं और उन्हें ही मेले में प्रदर्शित करने के लिए लेकर आए हैं. ये मूर्तियां लकड़ी से तैयार की जाती हैं. जिनकी कीमत बाजार में 4,000 से लेकर करीब 10,000 तक है. इसके अलावा इन्हें तैयार करने में भी काफी समय लगता है.

प्रदर्शनी में सजे मिट्टी के उत्पाद

वहीं, ऊना जिले से आई एक महिला कारीगर ने बताया कि वो मिट्टी से तैयार किए गए बर्तन प्रदर्शनी में लेकर आई हैं. महिला ने बताया कि वो कई प्रकार के पानी के घड़े, मिट्टी के दीए और गुल्लक आदि तैयार करती हैं. इसके साथ ही कुल्लू जिले से आए कारीगर ने बताया कि उन्होंने जंगल से लाई गई नगाड़ की लकड़ी से डस्टबिन और रोटी रखने के लिए हॉटकेस तैयार किए हैं. इसके अलावा भी अन्य कई तरह के उत्पाद यहां प्रदर्शनी में लगाए गए हैं.

योजना में कौन से लोग शामिल?

भारतीय उद्यमी विकास सेवा सहायता निदेशक एवं कार्यालय प्रमुख अशोक कुमार गौतम ने बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य भारत के पारंपरिक शिल्पकारों और कारीगरों को वित्तीय सहायता, तकनीकी ज्ञान और बाजार तक पहुंच प्रदान करना है, ताकि उनकी आजीविका बेहतर हो सके. साथ ही कारीगरों और शिल्पकारों के कौशल और उत्पादों को भी वैश्विक पहचान मिल सके. इस योजना का नाम 'विश्वकर्मा' रखा गया है, जो हिंदू संस्कृति में शिल्प और निर्माण के देवता के रूप में जाने जाते हैं. इस योजना के तहत वो लोग आते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी पारंपरिक कार्यों में शामिल रहे हैं. जैसे कि बढ़ई, दर्जी, सुनार, लोहार, कुम्हार, जूता निर्माता आदि.

Handicraft Products Stalls in Lavi Fair
लकड़ी से बनाए गए उत्पाद (ETV Bharat)

अशोक कुमार गौतम ने बताया, "पीएम विश्वकर्मा योजना का मुख्य उद्देश्य उन पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों का समर्थन करना है, जो हस्तनिर्मित उत्पादों और सेवाओं का निर्माण करते हैं. ये लोग अक्सर निम्न आय वाले होते हैं और आधुनिकीकरण के दौर में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. योजना के जरिए उन्हें न सिर्फ वित्तीय सहायता, बल्कि उनके कौशल में सुधार के लिए ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि उनकी उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार हो. साथ ही टूल किट भी मुहैया करवाई जाती है."

योजना के तहत कम ब्याज में लोन

अशोक कुमार गौतम ने बताया कि इस योजना में लाभार्थियों को कम ब्याज दर पर लोन दिया जाता है. ये लोन उनके कारोबार को बढ़ाने, उपकरण खरीदने और अन्य जरूरतों के लिए होता है. इस योजना के तहत लाभार्थियों के काम में दक्षता लाने के लिए कई ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाते हैं. ये ट्रेनिंग आधुनिक तकनीक और तरीकों से की जाती है, ताकि उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार हो सके.

डिजिटल मार्केटिंग की दी जा रही ट्रेनिंग

अशोक कुमार गौतम ने बताया कि सरकार द्वारा इन कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों के लिए नए बाजार उपलब्ध कराए जाते हैं. जिससे उनकी ब्रिकी और फायदा बढ़ सके. इसके लिए प्रदर्शनी और मेलों का आयोजन किया जाता है. जैसे अंतरराष्ट्रीय लवी मेला, जिसमें हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों से कारीगर आए थे. कारीगरों को डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए ग्राहकों तक पहुंचने की ट्रेनिंग भी दी जाती है. इससे वे अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेच सकते हैं और आधुनिक बाजार से जुड़ सकते हैं.

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