हमीरपुर: "सुक्खू भाई हमारी तकलीफ को समझे. इस अस्पताल के बंद होने से हजारों लोगों को मुफ्त इलाज, सस्ती दवा और बेहतर सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा". ये गुहार सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से राधा स्वामी सत्संग ब्यास के भोटा अस्पताल के बाहर धरने पर बैठी महिलाओं ने लगाई है, जो पिछले कई दिनों से अस्पताल बंद होने की खबर सुनकर सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर रही हैं.
हमीरपुर जिला का राधा स्वामी सत्संग ब्यास का चैरिटेबल अस्पताल भोटा इन दिनों सुर्खियों में हैं. इसकी वजह यह है कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास ट्रस्ट ने इस अस्पताल को 1 दिसंबर को बंद करने का फैसला लिया. जिसके बाद से 5 पंचायतों के ग्रामीणों ने अस्पताल न बंद करने की मांग को लेकर सड़क पर हैं. हालांकि, मामला सुर्खियों में आने से पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को उच्च अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है. जिसके बाद से स्थानीय में अस्पताल के बंद न होने की उम्मीद बंधी है. हालांकि, अभी भी महिलाएं और स्थानीय लोग अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे है.
ईटीवी भारत ने भोटा अस्पताल के बाहर धरने पर बैठी महिलाएं और प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और उनकी मांगों के बारे में जाना. इस दौरान प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने कहा, "इस अस्पताल में रोजाना करीब 700 की ओपीडी होती है. अस्पताल की बेहतर सेवाएं लोगों को मिल रही हैं. लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से पहली दिसंबर को अस्पताल बंद करने का फैसला लिया गया है. हम लोग किसी भी सूरत में इस अस्पताल को बंद नहीं होने देना चाहती है. क्योंकि यहां पर बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है".
धरने पर बैठी महिलाओं ने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू द्वारा पहली दिसंबर को अस्पताल प्रबंधन के साथ बातचीत करने का निर्णय स्वागत योग्य है. अस्पताल प्रशासन द्वारा हॉस्पिटल को बंद करने का लिया गया फैसला सही नहीं है. इस पर पुनर्विचार करना चाहिए. अगर सरकार द्वारा इस अस्पताल को खुलवाने के प्रयास नाकाम रहे है तो लोगों द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा.
प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने कहा कि भोटा अस्पताल में सालों से मुफ्त इलाज होता है. सभी लोग चाहते है कि भोटा चैरिटेबल अस्पताल बंद नहीं होना चाहिए. क्योंकि इसमें हर तरह की सुविधा मिलती है. एक बुजुर्ग महिला ने कहा सीएम सुक्खू भाई हमारी तकलीफ को समझें, हमें यहां मुफ्त इलाज और बेहतर सुविधाएं मिलती हैं. इसलिए यह अस्पताल बंद नहीं होना चाहिए.
गौरतलब है कि भोटा चैरिटेबल अस्पताल का पिछले 24 सालों से संचालन किया जा रहा है. इस अस्पताल में 25 ग्राम पंचायतों के लोग अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचते है. लेकिन अब पहली दिसंबर से अस्पताल को बंद करने के नोटिस लगाए जाने से लोग आक्रोश में हैं और चक्का जाम के साथ धरना प्रदर्शन करने में लगे हैं.
बता दें कि भोटा चैरिटेबल अस्पताल का कई सालों से करोड़ों रुपये जीएसटी लंबित पड़ा है. अस्पताल की जमीन के हस्तांतरण राधा स्वामी सोसाइटी के पास नहीं हो पाई है, जिसके चलते अब अस्पताल में अपग्रेडेशन का काम रुका है. वहीं, मुख्यमंत्री सुक्खू ने भी जमीन हस्तांतरण मामले में जल्द लैड सीलिंग एक्ट में संशोधन करने का आश्वासन दिया है और इसके लिए उन्होंने रविवार को शिमला में बैठक भी बुलाई है.
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