बाड़मेर. किसानों के लिए हाळी अमावस्या सबसे बड़े पर्व माना जाता है. हाळी अमावस्या से लेकर अक्षय तृतीया तक इसे मनाया जाता है. बाड़मेर में हाळी अमावस्या का तीन दिवसीय महापर्व बुधवार को हर्षोल्लास के साथ से शुरू हुआ. बुधवार को लोगों ने घरों में खळ (अनाज) पूजन किया. वहीं, मंदिरों में भी दान-पुण्य के दौरान महिलाओं की अच्छी भीड़ दिखाई दी. इसके साथ ही किसानों ने हाळी अमावस्या पर शगुन देखकर आगामी अच्छे फसल की आस लगाई.
घरों में हुई खळ की पूजा : बैशाख माह की अमावस्या पर प्राचीन काल से हाळी यानी हलधर के नाम से हाळी अमावस्या के रूप में मनाया गया. खासकर यह किसानों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. किसानों ने हाळी अमावस्या पर शगुन देखकर आगामी अच्छे फसल की आस लगाई, तो वहीं घरों में खळ (अनाज) पूजन करने के साथ ही बाजरे को कूटकर पकवान बनाया, जिसे बच्चों से लेकर बड़ो तक ने गुड़ घी के साथ बड़े चाव से खाया.
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किसानों का सबसे बड़ा पर्व है हाळी अमावस्या!: किसान चुतराराम मेघवाल ने बताया कि किसानों के लिए हाळी अमावस्या सबसे बड़े पर्व माना जाता है. हाळी अमावस्या से लेकर अक्षय तृतीया यानी 3 तीन दिन तक इस पर्व को मनाया जाता है. इस दिन किसान अपने हल के साथ खेत में जाते हैं. घरों में खळ की पूजा की जाती है. उन्होंने कहा कि किसान आज भी पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हैं, लेकिन नई पीढ़ी के बच्चे इस पर्व के बारे में कम ही जनाते हैं.
रूमा देवी ने की बाल विवाह नहीं करने की अपील: हाळी अमावस्या के पर्व पर सामाजिक कार्यकर्ता ओर फैशन डिजाइनर डॉ. रूमा देवी ने वीडियो संदेश जारी कर कहा कि विवाह करके अपने बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करें. बच्चों का बचपन संवारे, उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाएं. गौरतलब है कि किसी जमाने में अक्षय तृतीया पर बड़ी संख्या में बाल विवाह होते थे, लेकिन वक्त के साथ जागरूकता और प्रशासन की कार्रवाई के बाद इस पर काफी हद तक अंकुश लगा है. हालांकि, कहीं न कहीं अक्षय तृतीया पर बाल विवाह की खबर सुनने को मिल ही जाती है.