वाराणसी: ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े तीन अलग-अलग मामलों में सुनवाई हुई. जिला जज कोर्ट में जिला जज संजीव पांडेय के अदालत में पांच वादिनी महिलाओं की तरफ से श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन को लेकर दायर की गई याचिका के साथ ही समेकित किए गए कुल 8 याचिकाओं को शेड्यूल किए जाने को लेकर सुनवाई आगे बढ़ी. अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी.
वकीलों ने ज्ञानवापी सर्वे में मुस्लिम पक्ष की तरफ से आपत्ति दाखिल न करने पर सवाल भी उठाए. वहीं, वादिनी की ओर से ज्ञानवापी मूलवाद को जिला जज कोर्ट में चल रहे केशव के साथ समायोजित करने की भी अपील की गई है. जिसमें कहा गया है कि मूलवाद 1991 निचली अदालत में प्रचलित है. यह सभी एक नेचर के केस हैं तो सुनवाई भी एक साथ होना ही बेहतर होगा. फिलहाल जिला जज ने इस केस में दोनों पक्षों के वकीलों को सुन चुके हैं. केस को निचली अदालत से स्थानांतरित करने के लिए वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी को नोटिस भी भेजा जा चुका है.
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन और तहखाना की मरम्मत के साथ ही मुस्लिम नमाजियों को तहखाना की छत पर रोकने समेत प्रमुख मांगों पर दोनों पक्षों की जिरह हो गई है. अब अगली सुनवाई 19 अक्टूबर को होगी. जिला जज के कोर्ट में ज्ञानवापी तहखाना की मरम्मत और बंद कारखाने के सर्वेक्षण की मांग राखी सिंह और काशी विश्वनाथ न्यास की तरफ से भी की गई है. हिंदू पक्ष के वकील ने कोर्ट में दक्षिणी तहखाना में चल रही पूजा और तलगृह के जर्जर छत हुआ अन्य स्थान की मरम्मत की अनुमति मांगी है. काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की तरफ से कोर्ट में अनुरोध किया गया कि तहखाना की मरम्मत कराई जाए, जिससे यहां पूजा पाठ करने वाले पुजारी के साथ कोई अनहोनी ना हो सके. इस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई है. दोनों पक्षों के वकीलों की बहस भी पूरी हो चुकी है. फिलहाल कोर्ट ने दोनों को नोटिस जारी करते हुए 19 अक्टूबर को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई है.
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि ज्ञानवापी मामले में आज हुई सुनवाई में दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं. आर्कियोलॉजिकल सर्वे के बाद इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी. इसकी कॉपी हमें 25 दिसंबर 2023 को उपलब्ध कराई गई थी. इस रिपोर्ट पर 9 महीने होने के बाद भी अंजुमन इंतजामियां से कोई ऑब्जेक्शन नहीं मांगा गया है. इसके पहले भी तारीख के दौरान मैंने यह बात कोर्ट के सामने रखी थी, लेकिन ऑब्जेक्शन अभी तक नहीं मांगा गया है. कोर्ट से आज भी अंजुमन की तरफ से सर्वे पर ऑब्जेक्शन मंगाने का अनुरोध की है. ताकि कोर्ट के रिकॉर्ड में यह मामला आगे बढ़े और यह रिकॉर्ड का पार्ट बने और यह डिसाइड हो सके की आगे क्या होगा.
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह रुकावट है इस स्टेज पर मैंने कोर्ट के सामने आज मामले को रखा है. इसके अलावा दूसरा सबसे महत्वपूर्ण विषय है, जिसमें ज्ञानवापी का मूलवाद 1991 का मुकदमा सिविल जज फास्ट्रेक कोर्ट में चल रहा है. उसमें अलग-अलग तरह की मांग हो रही है, जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आर्डर का क्लियर वायलेशन है. कोर्ट ने 1 अप्रैल को यह आदेश दिया है कि स्टेटस मेंटेन रहेगा और कोई खोदाई नहीं होगी. दूसरी तरफ वहां खुदाई की परमिशन मांगी जा रही है. पहले ही सिविल कोर्ट ने इस मामले में खुदाई का आर्डर किया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दिए थी. इसलिए कांट्रडिक्ट्री ऑर्डर पास ना हो, इसलिए बेहद जरूरी है कि सभी मुकदमे एक साथ एक कोर्ट में चलें. इसलिए मैंने यह अपील की है कि इस मामले में सारे मुकदमे की सुनवाई जिला जज कोर्ट में ही ट्रायल हो.
विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के अनुपालन में जब पहले चार वादी महिलाओं के मुख्य श्रृंगार गौरी मामले के साथ अन्य मुकदमे एक साथ एक कोर्ट में ट्रांसफर और समेकित हुए तभी कोर्ट ने इस मामले से जुड़े सारे मुकदमे एक साथ चलने की बात कही थी और सारे मुकदमे यहां ट्रांसफर हुए. लेकिन 1991 का मुकदमा ट्रांसफर नहीं हुआ और कनेक्ट नहीं हुआ. इसलिए हमने 3 महीने पहले जो एक एप्लीकेशन फाइल की थी. उसमें हम 1991 मुख्य वाद को भी यहां ट्रांसफर करा कर यहां ट्रायल की बात कही थी. ताकि जो कांट्रडिक्ट्री आर्डर है सिविल जज पास कर सकते हैं, उसे रोका जा सके और दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है जो 4 टियर सिस्टम है. डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में सारे मुकदमे एक तरह के एक जगह चलेंगे तो सीधे मामला यहां से हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ले जाने में आसानी होगी. इस मामले में आज हमने अपनी बात रखी है. 19 अक्टूबर को इस पर कोर्ट अपनी सुनवाई करेगा. हमने 1991 के बाद मित्र को सारी कॉपी उपलब्ध करा दी है. उम्मीद है कि यह ट्रांसफर होगा.
सभी मुकदमे की सुनवाई हाईकोर्ट में सुनवाई करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
विष्णु शंकर जैन ने कहा ज्ञानवापी मामला बहुत सेंसिटिव है. इसकी सुनवाई राम मंदिर की तर्ज पर हाई कोर्ट में होनी चाहिए. लगातार हो रही देरी की वजह से एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है और पूरे मामले की सुनवाई को हाई कोर्ट में करने की अपील की गई है. विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इस मामले में पहले से ही ज्ञानवापी मूल वाद का मामला 1991 से जुड़ा हुआ है और इसका प्रकरण वाराणसी के सिविल कोर्ट में चल रहा है. जबकि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले से जुड़े मुकदमे जिला जज समेत कई अन्य कोर्ट में चल रहे हैं. ज्ञानवापी से जुड़े मुकदमों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. अलग-अलग कई मुकदमे दायर हो गए हैं. जिसकी सुनवाई हो पाना संभव नहीं हो पा रहा है. जिसकी वजह से इस पूरे मामले में देरी हो रही है.इसकी गंभीरता को देखते हुए हमने सुप्रीम कोर्ट में एक एप्लीकेशन दायर करते हुए यह अपील की है कि सारे मामलों की सुनवाई एक साथ हाई कोर्ट में की जाए. राम मंदिर के तर्ज पर सुनवाई जब एक साथ शुरू होगी, तभी नतीजा जल्दी आएगा. इस तरह से केस को जल्द आगे बढ़ाया जा सकेगा.
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