ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 6 दिवसीय 'तानसेन संगीत समारोह 2024' चल रहा है. इसी बीच तानसेन संगीत समारोह में बदसलूकी की तस्वीर सामने आयी है. ये दुर्व्यवहार का आरोप व्यापम घोटाले के व्हिसल ब्लोअर आशीष चतुर्वेदी ने लगाया है, उन्होंने एक वीडियो अपने सोशल मीडिया पर अपलोड करते हुए इस कार्यक्रम के आयोजक और सरकार की नीयत पर सवाल खड़े किए हैं.
आयोजकों ने दिया मंच से धक्का
बुधवार को ग्वालियर के मोहम्मद गौस के मकबरे पर आयोजित तानसेन समारोह की सभा के दौरान आशीष चतुर्वेदी मंच पर तानसेन की तस्वीर लेकर पहुंचे थे, लेकिन इसी दौरान आयोजकों में से एक व्यक्ति ने उन्हें मंच से धक्का देकर उतार दिया. इस दौरान आशीष धक्का देने वाले से यह कहते हुए नजर आए कि यह तानसेन की तस्वीर है कोई बम नहीं है.
इस हंगामे के बीच अचानक पीछे से निकल कर आए गार्ड ने आयोजकों से आशीष का परिचय कराया. इसके बाद आशीष दोबारा मंच पर गए और तानसेन की तस्वीर को मंच पर रख कर उत्सव माला पहनाई और नमन किया. मंच पर खड़े एक व्यक्ति ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना लिया था.
'बसलूकी से आहत होकर लिखा पोस्ट'
घटना का वीडियो अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर शेयर करते हुए आशीष चतुर्वेदी मध्य प्रदेश सरकार और उनके अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा "मैं, आशीष चतुर्वेदी, तानसेन समारोह में यह उम्मीद लेकर गया था कि यह आयोजन हमारे महान संगीत सम्राट तानसेन को सच्ची श्रद्धांजलि देगा, लेकिन मंच पर तानसेन की तस्वीर तक नहीं थी! यह तानसेन का सम्मान था या उनकी विरासत का मजाक? जब मैंने तानसेन की तस्वीर मंच पर रखने की कोशिश की, तो आयोजकों ने मुझे रोकने की कोशिश की.
ऐसा लगा जैसे मैं कोई बम लेकर मंच पर चढ़ रहा हूं. मैंने साफ कहा, यह तानसेन की तस्वीर है, कोई बम नहीं. लेकिन सरकार और आयोजकों की इस हरकत ने साफ कर दिया कि उनकी प्राथमिकताओं में तानसेन का सम्मान कहीं है ही नहीं"
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मोहन सरकार और आयोजकों से मांगा जवाब
आशीष ने आगे लिखा "मोहन सरकार और उनके अधिकारियों की यह लापरवाही घोर शर्मनाक है. एक ऐसा आयोजन, जो तानसेन जैसे महान व्यक्तित्व को समर्पित है, उसमें उनकी तस्वीर तक न होना क्या उनकी सोच और नीयत को उजागर नहीं करता? मुझे रोकने की कोशिश करके इन्होंने यह साबित कर दिया कि उनकी नाकामी को उजागर करने का साहस रखना आज का सबसे बड़ा अपराध है. मोहन सरकार और आयोजकों को जवाब देना होगा कि आखिर तानसेन की तस्वीर मंच पर रखना इतना मुश्किल क्यों था? क्या ये आयोजन जनता की भावनाओं और इतिहास के सम्मान के लिए है या सिर्फ राजनीतिक दिखावे के लिए?"