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"स्वर्ण रेखा नदी की DPR पास तो फंड क्यों नहीं दिया", मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का सवाल - GWALIOR SWARNAREKHA RIVER

एक समय ग्वालियर की जीवनदायिनी रही स्वर्ण रेखा नदी की बदहाली को लेकर हाई कोर्ट ने फिर नाराजगी जताई.

Gwalior Swarnarekha river
स्वर्ण रेखा नदी की बदहाली पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट नाराज (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 29, 2025, 4:30 PM IST

ग्वालियर: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इस बात पर चिंता जताई है कि स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार के लिए तैयार की गई डीपीआर का अनुमोदन हो चुका है तो फिर राज्य सरकार फंड जारी क्यों नहीं कर रही है? इस मामले में अगली सुनवाई में सरकार को इस सवाल पर अपना अपना जवाब पेश करना होगा. खंडपीठ ने ये भी कहा "स्वर्ण रेखा नदी में गंदगी फैलाने वालों की निगरानी के लिए नगर निगम को सीसीटीवी लगवाने चाहिए."

डीपीआर पर अनुमोदन के बाद भी मामला अटका

बता दें कि अधिवक्ता विश्वजीत रतौनिया ने स्वर्ण रेखा की बदहाली को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इस पर पिछले दो साल से सुनवाई चल रही है. याचिका में कहा गया है "किसी जमाने में शहर की जीवनदायिनी रही स्वर्णरेखा पुनर्जीवित किया जाए, जो वर्तमान में नाले के रूप में तब्दील होकर रह गई है. स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार के लिए जिला प्रशासन ने माधव इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस तथा भोपाल के मौलाना आजाद मैनिट से डीपीआर तैयार कराई थी. इसका अनुमोदन राज्य समिति और जिला समिति द्वारा किया जा चुका है."

ग्वालियर खंडपीठ के अधिवक्ता विश्वजीत रतौनिया (ETV BHARAT)

सिंचाई व जल संसाधन विभाग से जवाब मांगा

डीपीआर पास होने के बाद भी स्वर्ण रेखा नदी अभी भी जस की तस है. इसके पुनर्उद्धार के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. न ही इसके लिए सरकार ने किसी प्रकार का फंड जारी किया. हाई कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताकर सिंचाई विभाग, जल संसाधन विभाग व नगर निगम के अफसरों को अगली सुनवाई पर जवाब पेश करने को कहा है. हाई कोर्ट ने कहा है "स्वर्णरेखा नदी में गंदगी फैलाने और कचरा फेंकने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती."

कोर्ट ने पूछा -स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी कैसे आ सकता है

हाई कोर्ट ने सरकार के अधिवक्ता और अफसरों से कहा "जिस तरह इंदौर में भिक्षावृत्ति पर सख्ती के साथ रोक लगाई गई है, साबरमती नदी को पुनर्जीवित किया गया है तो फिर स्वर्ण रेखा नदी पुनर्जीवित क्यों नहीं हो सकती. इस पर गौर करने की जरूरत है." हाईकोर्ट ने जल संसाधन विभाग के अफसरों ने इस बात की जानकारी ली कि नदी में किस तरह से साफ पानी आ सकता है.

ग्वालियर: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने इस बात पर चिंता जताई है कि स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार के लिए तैयार की गई डीपीआर का अनुमोदन हो चुका है तो फिर राज्य सरकार फंड जारी क्यों नहीं कर रही है? इस मामले में अगली सुनवाई में सरकार को इस सवाल पर अपना अपना जवाब पेश करना होगा. खंडपीठ ने ये भी कहा "स्वर्ण रेखा नदी में गंदगी फैलाने वालों की निगरानी के लिए नगर निगम को सीसीटीवी लगवाने चाहिए."

डीपीआर पर अनुमोदन के बाद भी मामला अटका

बता दें कि अधिवक्ता विश्वजीत रतौनिया ने स्वर्ण रेखा की बदहाली को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इस पर पिछले दो साल से सुनवाई चल रही है. याचिका में कहा गया है "किसी जमाने में शहर की जीवनदायिनी रही स्वर्णरेखा पुनर्जीवित किया जाए, जो वर्तमान में नाले के रूप में तब्दील होकर रह गई है. स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार के लिए जिला प्रशासन ने माधव इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस तथा भोपाल के मौलाना आजाद मैनिट से डीपीआर तैयार कराई थी. इसका अनुमोदन राज्य समिति और जिला समिति द्वारा किया जा चुका है."

ग्वालियर खंडपीठ के अधिवक्ता विश्वजीत रतौनिया (ETV BHARAT)

सिंचाई व जल संसाधन विभाग से जवाब मांगा

डीपीआर पास होने के बाद भी स्वर्ण रेखा नदी अभी भी जस की तस है. इसके पुनर्उद्धार के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए. न ही इसके लिए सरकार ने किसी प्रकार का फंड जारी किया. हाई कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताकर सिंचाई विभाग, जल संसाधन विभाग व नगर निगम के अफसरों को अगली सुनवाई पर जवाब पेश करने को कहा है. हाई कोर्ट ने कहा है "स्वर्णरेखा नदी में गंदगी फैलाने और कचरा फेंकने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाती."

कोर्ट ने पूछा -स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी कैसे आ सकता है

हाई कोर्ट ने सरकार के अधिवक्ता और अफसरों से कहा "जिस तरह इंदौर में भिक्षावृत्ति पर सख्ती के साथ रोक लगाई गई है, साबरमती नदी को पुनर्जीवित किया गया है तो फिर स्वर्ण रेखा नदी पुनर्जीवित क्यों नहीं हो सकती. इस पर गौर करने की जरूरत है." हाईकोर्ट ने जल संसाधन विभाग के अफसरों ने इस बात की जानकारी ली कि नदी में किस तरह से साफ पानी आ सकता है.

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