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हद कर दी साहब! ग्वालियर में भूतों को दी जा रही थी सैलरी, 74 कर्मचारियों के खिलाफ FIR के आदेश - GWALIOR PHE SCAM case - GWALIOR PHE SCAM CASE

ग्वालियर में पीएचई घोटाला सामने आने के बाद 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. लेकिन जांच के बाद अब जिला कलेक्टर रुचिका चौहान ने 74 लोगों पर और FIR कराने के आदेश दिए हैं.

GWALIOR PHE DEPARTMENT SCAM
ग्वालियर पीएचई विभाग घोटाला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 2, 2024, 8:45 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में आए दिन नए-नए फर्ज़ीवाड़ों के खुलासे होते रहते हैं. कभी नर्सिंग घोटाला सामने आता है तो कहीं पटवारी घोटाला. कभी व्यापम तो कभी नगर निगम के घोटालों ने सुर्खियां बटोरीं, लेकिन ग्वालियर में 84 करोड़ के पीएचई घोटाले ने सबका ध्यान खींचा है क्योंकि यहां एक-दो नहीं बल्कि जिला कलेक्टर ने मामले में 74 लोगों पर और FIR कराने के आदेश दिए हैं.

ग्वालियर पीएचई विभाग घोटाला (Etv Bharat)

5 सालों से इस तरह किया जा रहा था घोटाला

भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के तमाम दावे खुद सरकारी सिस्टम के आगे ही फेल हो जाते हैं. ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से पिछले 5 सालों से ग्वालियर के PHE विभाग में घोटाले का सिलसिला जारी था. असल में विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने मिलकर रिटायर हो चुके और मृतक कर्मचारियों के खातों में फर्जीवाड़ा कर इस बड़ी रकम को ट्रांसफर किया था. साथ ही कई फर्मों में फर्जी बिलों के माध्यम से भी भुगतान कराए गए थे. जिसकी शिकायत पीएचई विभाग के अधिकारी संजय सोलंकी ने की थी. ट्रेजरी विभाग की ऑडिट के बाद मामला खुलकर सामने आ गया. पता चला की करीब 81 अलग-अलग खातों में यह पैसा ट्रांसफर किया गया था.

फरियादी समेत 9 पर दर्ज थी FIR

पीएचई विभाग का यह घोटाला सामने आने के बाद इस मामले में जांच बैठाई गई और 2 लोगों पर नामजद और 7 अज्ञात लोगों के खिलाफ ग्वालियर क्राइम ब्रांच में FIR दर्ज की गई थी. जिसमें घोटाले का मास्टरमाइंड हीरालाल और इस मामले की शिकायत करने वाले फरियादी संजय सोलंकी का नाम भी शामिल था. दोनों के खातों में ही फर्जीवाड़े का पैसा ट्रांसफर किया गया था, लेकिन जब मामले की जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि 84 करोड़ की राशि गबन करने में ये 9 लोग ही नहीं बल्कि करीब 74 और लोग शामिल हैं. जिनमें 6 अधिकारी कर्मचारी पीएचई के भी शामिल हैं. इन सभी खातों को ट्रेजरी से ब्लॉक कराया गया और जांच आगे बढ़ाई गई.

कलेक्टर ने दिये कार्रवाई के निर्देश

शुरुआती 9 आरोपियों में से 6 लोगों की गिरफ्तारी भी कर ली गई थी. जिसमें फरियादी रहा PHE विभाग का इंजीनियर संजय सोलंकी भी शामिल था और अब जब जांच के बाद 74 लोगों के भी इस घोटाले में शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है. इस पर ग्वालियर कलेक्टर ने जांच कमेटी को इन सभी लोगों पर और FIR कराने के निर्देश दिए हैं. ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि "फाइनेंशियल टीम के द्वारा जांच के बाद यह प्रपोज किया गया है कि जिन अधिकारियों-कर्मचारियों की इस घोटाले में संलिप्तता साफ दिखाई दे रही है, ऐसे लगभग 74 लोगों की पहचान की गई है. इसमें कुछ ईपीएचई और पीएचई विभाग के साथ ही 3-4 ट्रेजरी विभाग के कर्मचारी-अधिकारी भी शामिल हैं. इनके साथ ही कुछ ऐसी फर्म भी हैं जिनके रिपीट पेमेंट भी किए गए हैं. ट्रेज़री विभाग के लोगों पर विभागीय कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा है"

ये भी पढ़ें:

18 करोड़ के घोटाले में लिप्त पूर्व DDO सहित 4 क्लर्क गिरफ्तार, वेतन और भत्तों के नाम पर फर्जीवाड़ा

ग्वालियर में हुए पीएचई घोटाले में ट्रेजरी ने पुलिस को जांच रिपोर्ट सौंपी. 7 इंजीनियर सहित 74 पर FIR

जिन लोगों की सीधी संलिप्तता उन पर होगी FIR

कलेक्टर चौहान का कहना है कि "वेतन के लिए लगाए गए बिलों में सामग्री का भुगतान नहीं होना चाहिए. ऐसे में इन ट्रेज़री अधिकारियों ने क्यों इनकी जांच नहीं की, ये बिल क्यों आगे बढ़ाए. यह जांच का विषय है, लेकिन PHE विभाग के जिन लोगों की संलिप्तता सीधे तौर पर दिखाई दे रही है, उन पर हमें लगता है कि FIR में उनका नाम भी होना चाहिए, इसलिए FIR का प्रस्ताव भेजा गया है."

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में आए दिन नए-नए फर्ज़ीवाड़ों के खुलासे होते रहते हैं. कभी नर्सिंग घोटाला सामने आता है तो कहीं पटवारी घोटाला. कभी व्यापम तो कभी नगर निगम के घोटालों ने सुर्खियां बटोरीं, लेकिन ग्वालियर में 84 करोड़ के पीएचई घोटाले ने सबका ध्यान खींचा है क्योंकि यहां एक-दो नहीं बल्कि जिला कलेक्टर ने मामले में 74 लोगों पर और FIR कराने के आदेश दिए हैं.

ग्वालियर पीएचई विभाग घोटाला (Etv Bharat)

5 सालों से इस तरह किया जा रहा था घोटाला

भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के तमाम दावे खुद सरकारी सिस्टम के आगे ही फेल हो जाते हैं. ये इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से पिछले 5 सालों से ग्वालियर के PHE विभाग में घोटाले का सिलसिला जारी था. असल में विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने मिलकर रिटायर हो चुके और मृतक कर्मचारियों के खातों में फर्जीवाड़ा कर इस बड़ी रकम को ट्रांसफर किया था. साथ ही कई फर्मों में फर्जी बिलों के माध्यम से भी भुगतान कराए गए थे. जिसकी शिकायत पीएचई विभाग के अधिकारी संजय सोलंकी ने की थी. ट्रेजरी विभाग की ऑडिट के बाद मामला खुलकर सामने आ गया. पता चला की करीब 81 अलग-अलग खातों में यह पैसा ट्रांसफर किया गया था.

फरियादी समेत 9 पर दर्ज थी FIR

पीएचई विभाग का यह घोटाला सामने आने के बाद इस मामले में जांच बैठाई गई और 2 लोगों पर नामजद और 7 अज्ञात लोगों के खिलाफ ग्वालियर क्राइम ब्रांच में FIR दर्ज की गई थी. जिसमें घोटाले का मास्टरमाइंड हीरालाल और इस मामले की शिकायत करने वाले फरियादी संजय सोलंकी का नाम भी शामिल था. दोनों के खातों में ही फर्जीवाड़े का पैसा ट्रांसफर किया गया था, लेकिन जब मामले की जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि 84 करोड़ की राशि गबन करने में ये 9 लोग ही नहीं बल्कि करीब 74 और लोग शामिल हैं. जिनमें 6 अधिकारी कर्मचारी पीएचई के भी शामिल हैं. इन सभी खातों को ट्रेजरी से ब्लॉक कराया गया और जांच आगे बढ़ाई गई.

कलेक्टर ने दिये कार्रवाई के निर्देश

शुरुआती 9 आरोपियों में से 6 लोगों की गिरफ्तारी भी कर ली गई थी. जिसमें फरियादी रहा PHE विभाग का इंजीनियर संजय सोलंकी भी शामिल था और अब जब जांच के बाद 74 लोगों के भी इस घोटाले में शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है. इस पर ग्वालियर कलेक्टर ने जांच कमेटी को इन सभी लोगों पर और FIR कराने के निर्देश दिए हैं. ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि "फाइनेंशियल टीम के द्वारा जांच के बाद यह प्रपोज किया गया है कि जिन अधिकारियों-कर्मचारियों की इस घोटाले में संलिप्तता साफ दिखाई दे रही है, ऐसे लगभग 74 लोगों की पहचान की गई है. इसमें कुछ ईपीएचई और पीएचई विभाग के साथ ही 3-4 ट्रेजरी विभाग के कर्मचारी-अधिकारी भी शामिल हैं. इनके साथ ही कुछ ऐसी फर्म भी हैं जिनके रिपीट पेमेंट भी किए गए हैं. ट्रेज़री विभाग के लोगों पर विभागीय कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा है"

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जिन लोगों की सीधी संलिप्तता उन पर होगी FIR

कलेक्टर चौहान का कहना है कि "वेतन के लिए लगाए गए बिलों में सामग्री का भुगतान नहीं होना चाहिए. ऐसे में इन ट्रेज़री अधिकारियों ने क्यों इनकी जांच नहीं की, ये बिल क्यों आगे बढ़ाए. यह जांच का विषय है, लेकिन PHE विभाग के जिन लोगों की संलिप्तता सीधे तौर पर दिखाई दे रही है, उन पर हमें लगता है कि FIR में उनका नाम भी होना चाहिए, इसलिए FIR का प्रस्ताव भेजा गया है."

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