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एमएलबी के पूर्व प्राचार्य का शरीर पुत्रियों ने किया दान, प्रोफेसर ने जीते जी लिया था फैसला - ग्वालियर प्रोफेसर का देहदान

Gwalior Professor Body Donation: ग्वालियर में कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर के निधन के बाद उनका देहदान किया गया. बेटियों ने पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए छात्रों के हित के लिए देहदान किया.

Gwalior Professor Body Donation
एमएलबी के पूर्व प्राचार्य का शरीर पुत्रियों ने किया दान
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 9:59 PM IST

एमएलबी के पूर्व प्राचार्य का शरीर पुत्रियों ने किया दान

ग्वालियर। महारानी लक्ष्मीबाई स्वशासी कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर एचएच श्रीवास्तव का मंगलवार को निधन हो गया. वे दिल की बीमारी से पीड़ित थे. मंगलवार को उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था. उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक उनके शरीर को मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए एनाटॉमी विभाग को सौंप दिया गया है. उनकी दो बेटियां सुष्मिता और प्रीति हैं. सुष्मिता केआरजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है और प्रीति ग्रहणी है. प्रोफेसर श्रीवास्तव बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे. अपने जीवित रहते हुए उन्होंने देह दान का फैसला किया था.

निधन के बाद पूर्व प्रोफेसर का देहदान

ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज को देहदान देने वाले प्रोफेसर हरिहर श्रीवास्तव शहर के प्रतिष्ठित एमएलबी कॉलेज में प्रिंसिपल थे. वह 6 वर्ष पूर्व इस पद से रिटायर्ड हो चुके थे, लेकिन अपनी पूरी जिंदगी उन्होंने छात्रों के बीच रहकर उन्हें अच्छे कामों के लिए हमेशा प्रेरित किया. दुनिया से जाते-जाते भी वह छात्रों के हित के लिए बड़ा काम कर गए हैं. प्रोफेसर श्रीवास्तव लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे, लेकिन आज अचानक ब्रेन हेमरेज से अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. उनके परिवार में उनकी पत्नी की पूर्व में ही मौत हो चुकी है और उनकी दो बेटियां सुष्मिता और प्रीति हैं.

Gwalior Professor body donation
प्रोफेसर एचएच का देहदान

पिता की अंतिम इच्छा को बेटियों ने किया पूरा

सुष्मिता केआरजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रीति ग्रहणी है. ऐसे में पिता की मौत के बाद दोनों बेटियों ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए उनके मृत शरीर को गजराराजा मेडिकल कॉलेज को मेडिकल छात्रों की शिक्षा के लिए सौंप दिया है. जिसके बाद मृतक प्रोफेसर एचएच श्रीवास्तव के देहदान करने की सराहना करते हुए मेडिकल कॉलेज की एनाटॉमी डिपार्टमेंट में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर गजरा राजा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि चिकित्सा छात्रों को शिक्षा देने के लिए प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेज में केडेवर (डेड बॉडी)की कमी है. ऐसे में यह एक सराहनीय और बड़ा कदम है.

एमएलबी के पूर्व प्राचार्य का शरीर पुत्रियों ने किया दान

ग्वालियर। महारानी लक्ष्मीबाई स्वशासी कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रोफेसर एचएच श्रीवास्तव का मंगलवार को निधन हो गया. वे दिल की बीमारी से पीड़ित थे. मंगलवार को उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था. उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक उनके शरीर को मेडिकल कॉलेज के छात्रों की पढ़ाई के लिए एनाटॉमी विभाग को सौंप दिया गया है. उनकी दो बेटियां सुष्मिता और प्रीति हैं. सुष्मिता केआरजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है और प्रीति ग्रहणी है. प्रोफेसर श्रीवास्तव बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे. अपने जीवित रहते हुए उन्होंने देह दान का फैसला किया था.

निधन के बाद पूर्व प्रोफेसर का देहदान

ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज को देहदान देने वाले प्रोफेसर हरिहर श्रीवास्तव शहर के प्रतिष्ठित एमएलबी कॉलेज में प्रिंसिपल थे. वह 6 वर्ष पूर्व इस पद से रिटायर्ड हो चुके थे, लेकिन अपनी पूरी जिंदगी उन्होंने छात्रों के बीच रहकर उन्हें अच्छे कामों के लिए हमेशा प्रेरित किया. दुनिया से जाते-जाते भी वह छात्रों के हित के लिए बड़ा काम कर गए हैं. प्रोफेसर श्रीवास्तव लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे, लेकिन आज अचानक ब्रेन हेमरेज से अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. उनके परिवार में उनकी पत्नी की पूर्व में ही मौत हो चुकी है और उनकी दो बेटियां सुष्मिता और प्रीति हैं.

Gwalior Professor body donation
प्रोफेसर एचएच का देहदान

पिता की अंतिम इच्छा को बेटियों ने किया पूरा

सुष्मिता केआरजी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रीति ग्रहणी है. ऐसे में पिता की मौत के बाद दोनों बेटियों ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए उनके मृत शरीर को गजराराजा मेडिकल कॉलेज को मेडिकल छात्रों की शिक्षा के लिए सौंप दिया है. जिसके बाद मृतक प्रोफेसर एचएच श्रीवास्तव के देहदान करने की सराहना करते हुए मेडिकल कॉलेज की एनाटॉमी डिपार्टमेंट में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. इस मौके पर गजरा राजा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि चिकित्सा छात्रों को शिक्षा देने के लिए प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेज में केडेवर (डेड बॉडी)की कमी है. ऐसे में यह एक सराहनीय और बड़ा कदम है.

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