ETV Bharat / state

गुप्त नवरात्र में 5वे दिन स्कंदमाता की पूजा से होता विशुद्धि चक्र जागृत

Gupt Navratri 2024, गुप्त नवरात्र 2024 के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाती है. मान्यता है कि देवी स्कंदमाता की उपासना से महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है. जीवन में खुशियों का संचार होता है. पहाड़ों पर रहने वाली और सांसारिक जीवों में नवचेतना का बीज बोने वाली देवी को ही मां स्कंदमाता कहते हैं. स्कंदमाता की सवारी सिंह है.

Gupt Navratri 2024
गुप्त नवरात्र में छठे दिन स्कंदमाता की पूजा
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 14, 2024, 7:23 AM IST

Updated : Feb 15, 2024, 7:38 AM IST

बीकानेर. गुप्त नवरात्र 2024 के पांचवे दिन देवी मां के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा होती है. इनकी पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. निःसंतान दंपती यदि संतान की कामना के साथ देवी स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसे संतान सुख अवश्य ही मिलता है.

विशुद्धि चक्र जागृत : स्कंदमाता विशुद्धि चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं. विशुद्धि चक्र हमारे गले के उभरे हुए भाग के ठीक नीचे स्थित होता है. मां स्कंदमाता की सच्चे मन से पूजा करने से विशुद्धि चक्र जागृत हो जाता है, जिससे वरी की सिद्धि प्राप्त होती है. मां स्कंदमाता का वाहन मयूर भी हैं, इसलिए इन्हें मयूरवाहन के नाम से भी जाना जाता है.

भगवान स्कंद की माता : गृहस्थ लोग और साल में चारों नवरात्र पूजन करने वाले पारिवारिक लोग पांचवे दिन देवी मां की स्कंदमाता स्वरूप की पूजा करते हैं. स्कंद का अर्थ भगवान कार्तिकेय से है. मां को अपने बेटे के नाम से पुकारा जाना प्रिय है. शिव गौरी पुत्र भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है. इसलिए देवी मां के पांचवे स्वरूप का नाम स्कंदमाता के रूप में प्रचलित हुआ. प्रथम दिन मां पार्वती के ही स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन होता है. पांचवे दिन स्कंदमाता का पूजन होता है.

पढ़ें : आज है बसंत पंचमी, मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए करें ये जरूरी काम

गुप्त नवरात्र में पांचवी महाविद्या मां छिन्नमस्ता : आमतौर पर गृहस्थ साधक भी गुप्त नवरात्र में दुर्गा के पांचवे स्वरूप रूप में स्कंदमाता की पूजा करते हैं, लेकिन तंत्र और सिद्धि प्राप्त करने के लिए जो लोग पूजा करते हैं, वे पांचवे दिन देवी मां के छिन्नमस्ता स्वरूप की पूजा करते हैं. पांचवी महाविद्या के रूप में मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती हैं और शत्रु विजय की प्राप्ति और रोग का शमन होता है. इस दिन रूद्राक्ष माला का जप करना चाहिए. इसके अलावा राहू से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा मिलता है. इस दिन मां छिन्नमस्ता को पलाश के फूल अर्पित करने चाहिए.

कुमुद के पुष्प का अर्पण : मां स्कंदमाता को कुमुद पुष्प देवी को अति प्रिय है. वैसे तो देवी पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी प्रकार के पुष्पों का अपना महत्व है. देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं, लेकिन यदि शास्त्रसम्मत बात करें तो स्कंदमाता के पूजन में कुमुद के पुष्प से पूजन-अर्चन और मंत्र अर्चन करना उत्तम होता है.

खीर मालपुआ और ऋतुफल का भोग : अपने आराध्य को भाव से सामर्थ्य अनुसार अर्पित भोग का फल मिलता है. साधक को भी पूजा करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए. शास्त्रों में अलग-अलग दिन देवी की अलग-अलग शुरू के लिए इस बात की व्याख्या की गई है. पांचवे दिन स्कंदमाता के स्वरूप की पूजा में देवी को खीर, मालपुआ का भोग लगाना चाहिए.

बीकानेर. गुप्त नवरात्र 2024 के पांचवे दिन देवी मां के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा होती है. इनकी पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. निःसंतान दंपती यदि संतान की कामना के साथ देवी स्कंदमाता की पूजा करता है तो उसे संतान सुख अवश्य ही मिलता है.

विशुद्धि चक्र जागृत : स्कंदमाता विशुद्धि चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं. विशुद्धि चक्र हमारे गले के उभरे हुए भाग के ठीक नीचे स्थित होता है. मां स्कंदमाता की सच्चे मन से पूजा करने से विशुद्धि चक्र जागृत हो जाता है, जिससे वरी की सिद्धि प्राप्त होती है. मां स्कंदमाता का वाहन मयूर भी हैं, इसलिए इन्हें मयूरवाहन के नाम से भी जाना जाता है.

भगवान स्कंद की माता : गृहस्थ लोग और साल में चारों नवरात्र पूजन करने वाले पारिवारिक लोग पांचवे दिन देवी मां की स्कंदमाता स्वरूप की पूजा करते हैं. स्कंद का अर्थ भगवान कार्तिकेय से है. मां को अपने बेटे के नाम से पुकारा जाना प्रिय है. शिव गौरी पुत्र भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद है. इसलिए देवी मां के पांचवे स्वरूप का नाम स्कंदमाता के रूप में प्रचलित हुआ. प्रथम दिन मां पार्वती के ही स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन होता है. पांचवे दिन स्कंदमाता का पूजन होता है.

पढ़ें : आज है बसंत पंचमी, मां सरस्वती की कृपा पाने के लिए करें ये जरूरी काम

गुप्त नवरात्र में पांचवी महाविद्या मां छिन्नमस्ता : आमतौर पर गृहस्थ साधक भी गुप्त नवरात्र में दुर्गा के पांचवे स्वरूप रूप में स्कंदमाता की पूजा करते हैं, लेकिन तंत्र और सिद्धि प्राप्त करने के लिए जो लोग पूजा करते हैं, वे पांचवे दिन देवी मां के छिन्नमस्ता स्वरूप की पूजा करते हैं. पांचवी महाविद्या के रूप में मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती हैं और शत्रु विजय की प्राप्ति और रोग का शमन होता है. इस दिन रूद्राक्ष माला का जप करना चाहिए. इसके अलावा राहू से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा मिलता है. इस दिन मां छिन्नमस्ता को पलाश के फूल अर्पित करने चाहिए.

कुमुद के पुष्प का अर्पण : मां स्कंदमाता को कुमुद पुष्प देवी को अति प्रिय है. वैसे तो देवी पूजन में प्रयुक्त होने वाले सभी प्रकार के पुष्पों का अपना महत्व है. देवी को सभी प्रकार के पुष्प अर्पित किए जाते हैं, लेकिन यदि शास्त्रसम्मत बात करें तो स्कंदमाता के पूजन में कुमुद के पुष्प से पूजन-अर्चन और मंत्र अर्चन करना उत्तम होता है.

खीर मालपुआ और ऋतुफल का भोग : अपने आराध्य को भाव से सामर्थ्य अनुसार अर्पित भोग का फल मिलता है. साधक को भी पूजा करते समय इन बातों का विशेष तौर पर ख्याल रखना चाहिए. शास्त्रों में अलग-अलग दिन देवी की अलग-अलग शुरू के लिए इस बात की व्याख्या की गई है. पांचवे दिन स्कंदमाता के स्वरूप की पूजा में देवी को खीर, मालपुआ का भोग लगाना चाहिए.

Last Updated : Feb 15, 2024, 7:38 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.