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करोड़ों की जीएसटी चोरी के आरोपी कमर काजमी की जमानत मंजूर, 25 लाख रुपए जमा करने की शर्त पर होंगे रिहा - अहमद काजमी को जमानत

जीएसटी चोरी के आरोपी मेरठ के व्यापारी कमर अहमद काजमी की जमानत इलाहाबाद कोर्ट ने मंजूर कर ली है. लेकिन कोर्ट ने इसके लिए शर्त रखी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 1, 2024, 8:24 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी के आरोपी मेरठ के व्यापारी कमर अहमद काजमी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने 25 लाख रुपये अवर न्यायालय के समक्ष जमा करने की शर्त पर काजमी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. काजमी की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने यह आदेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी को सुनकर दिया. कमर अहमद काजमी के खिलाफ मेरठ के सिविल लाइंस थाने में वर्ष 2023 में एसटीएफ इंचार्ज ने धोखाधड़ी करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने सहित तमाम धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. इस पर चार करोड़ 28 लाख 37000 रूपये से अधिक टैक्स क्रेडिट लेकर उसका दुरुपयोग करने और 17 करोड़ 33 लाख रुपये से अधिक के ई वे बिल को बिना कोई कारण दिए निरस्त कर टैक्स चोरी करने का आरोप है.

फर्जी फर्मों को माल सप्लाई करने का आरोप
जांच एजेंसी का कहना है कि काजमी ने वर्ष 2017-18 से वर्ष 2022-23 तक के लिए चार करोड़ से अधिक की टैक्स क्रेडिट ली थी. लेकिन इस दौरान माल का वास्तविक आवागमन न करके सिर्फ कागजों पर ही दिखाया गया. माल सप्लाई बहुत सी ऐसी फार्मों को की गई जो वास्तव में है ही नहीं. इसी प्रकार से ई वे बिल पोर्टल शुरू होने के बाद याची की फर्म द्वारा 17 करोड़ 33 लाख से अधिक के ई वे बिल निरस्त किए गए और इसका कोई कारण नहीं बताया गया. जिन फर्मों को सप्लाई की बात कही गई या जहां से माल खरीदने की बात कही जा रही थी उनके सत्यापन पर पता चला कि वहां फर्म कोई व्यवसाय ही नहीं कर रही है. जिन गाड़ियों या ट्रैकों से माल ढुलाई का जिक्र किया गया, जांच में वह भी बताए गए रूट के किसी भी टोल प्लाजा पर उनका ब्यौरा नहीं मिला.

जांच एजेंसी को सर्वे में नहीं मिले पुख्ता सबूत

वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची एक पंजीकृत फर्म का प्रोपराइटर है, जो कि जीएसटी में पंजीकृत है. यह पंजीकरण आज की तारीख तक निरस्त नहीं हुआ है. सभी खरीदारी पंजीकृत फर्म से ही की गई. जिनकी की बाकायदा जीएसटी पोर्टल पर जांच की गई थी. आवश्यक जीएसटी के साथ टैक्स इनवॉइस काटी गई. याची के खिलाफ इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर अब तक कोई आदेश नहीं हुआ है. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि जांच एजेंसी ने याची के फर्म के परिसर का सर्वे किया, जिसमें कोई भी आपत्तिजनक बात नहीं पाई गई.जीएसटी एक्ट अपने आप में संपूर्ण एक्ट है तथा सभी तरह की परिस्थितियों में कार्रवाई करने में सक्षम है. इसलिए आपराधिक कार्रवाई चलाने की आवश्यकता नहीं है.

महाधिवक्ता ने अर्जी का किया विरोध

वहीं, जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि यह आर्थिक अपराध का एक बेहतरीन उदाहरण है, इसलिए इसमें आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है. याची ने फर्जी कंपनियों से माल खरीदा तथा सरकार को करोड़ों रुपए के टैक्स का नुकसान पहुंचाया है. यह सिर्फ जीएसटी चोरी का मामला नहीं है बल्कि फर्जी दस्तावेज बनाकर फ्रॉड करने का भी मामला है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद याची कमर अहमद काजमी को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

इसे भी पढ़ें-100 करोड़ की GST चोरी में आठ कंपनियों और होटल के मालिक ने थाने में कंबल में काटी रात, जेल भेजा गया, अतीक अहमद का दूर का रिश्तेदार है


प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी के आरोपी मेरठ के व्यापारी कमर अहमद काजमी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने 25 लाख रुपये अवर न्यायालय के समक्ष जमा करने की शर्त पर काजमी को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. काजमी की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने यह आदेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी को सुनकर दिया. कमर अहमद काजमी के खिलाफ मेरठ के सिविल लाइंस थाने में वर्ष 2023 में एसटीएफ इंचार्ज ने धोखाधड़ी करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने सहित तमाम धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था. इस पर चार करोड़ 28 लाख 37000 रूपये से अधिक टैक्स क्रेडिट लेकर उसका दुरुपयोग करने और 17 करोड़ 33 लाख रुपये से अधिक के ई वे बिल को बिना कोई कारण दिए निरस्त कर टैक्स चोरी करने का आरोप है.

फर्जी फर्मों को माल सप्लाई करने का आरोप
जांच एजेंसी का कहना है कि काजमी ने वर्ष 2017-18 से वर्ष 2022-23 तक के लिए चार करोड़ से अधिक की टैक्स क्रेडिट ली थी. लेकिन इस दौरान माल का वास्तविक आवागमन न करके सिर्फ कागजों पर ही दिखाया गया. माल सप्लाई बहुत सी ऐसी फार्मों को की गई जो वास्तव में है ही नहीं. इसी प्रकार से ई वे बिल पोर्टल शुरू होने के बाद याची की फर्म द्वारा 17 करोड़ 33 लाख से अधिक के ई वे बिल निरस्त किए गए और इसका कोई कारण नहीं बताया गया. जिन फर्मों को सप्लाई की बात कही गई या जहां से माल खरीदने की बात कही जा रही थी उनके सत्यापन पर पता चला कि वहां फर्म कोई व्यवसाय ही नहीं कर रही है. जिन गाड़ियों या ट्रैकों से माल ढुलाई का जिक्र किया गया, जांच में वह भी बताए गए रूट के किसी भी टोल प्लाजा पर उनका ब्यौरा नहीं मिला.

जांच एजेंसी को सर्वे में नहीं मिले पुख्ता सबूत

वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची एक पंजीकृत फर्म का प्रोपराइटर है, जो कि जीएसटी में पंजीकृत है. यह पंजीकरण आज की तारीख तक निरस्त नहीं हुआ है. सभी खरीदारी पंजीकृत फर्म से ही की गई. जिनकी की बाकायदा जीएसटी पोर्टल पर जांच की गई थी. आवश्यक जीएसटी के साथ टैक्स इनवॉइस काटी गई. याची के खिलाफ इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेकर अब तक कोई आदेश नहीं हुआ है. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि जांच एजेंसी ने याची के फर्म के परिसर का सर्वे किया, जिसमें कोई भी आपत्तिजनक बात नहीं पाई गई.जीएसटी एक्ट अपने आप में संपूर्ण एक्ट है तथा सभी तरह की परिस्थितियों में कार्रवाई करने में सक्षम है. इसलिए आपराधिक कार्रवाई चलाने की आवश्यकता नहीं है.

महाधिवक्ता ने अर्जी का किया विरोध

वहीं, जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल का कहना था कि यह आर्थिक अपराध का एक बेहतरीन उदाहरण है, इसलिए इसमें आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है. याची ने फर्जी कंपनियों से माल खरीदा तथा सरकार को करोड़ों रुपए के टैक्स का नुकसान पहुंचाया है. यह सिर्फ जीएसटी चोरी का मामला नहीं है बल्कि फर्जी दस्तावेज बनाकर फ्रॉड करने का भी मामला है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद याची कमर अहमद काजमी को सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

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