झालावाड़. झालावाड़ में शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस पर भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया. इसमें भील, मीणा और आदिवासी समाज के लोग अपने पारंपरिक परिधान में नजर आए. एक ओर पुरुष धोती कुर्ता तो महिलाएं घाघरा, लुगड़ी और ओढ़नी पहने दिखीं. वहीं, शोभायात्रा में शामिल सभी आदिवासी महिला-पुरुषों ने संथाली लोक नृत्य का अद्भुत प्रदर्शन किया. इसमें थाली की थाप पर कदम और रिदम का अनोखा संगम देखने को मिला.
संथाली नृत्य के दौरान पुरुषों और महिलाओं ने अपने शरीर को पेड़ों की शाखाओं, पत्तियों और फूलों से सजा रखा था. वहीं, इस नृत्य को देखने के लिए शहर के प्रमुख चौराहों पर लोगों की भारी भीड़ एकत्रित हुई. इधर, शोभायात्रा में भील और मीणा समाज के लोग अपने परंपरागत प्राचीन शस्त्र तीर-धनुष, तलवार और भाला लिए नजर आए.
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शोभायात्रा शहर के खेल संकुल स्टेडियम से शुरू होकर बस स्टैंड मंगलपुरा, बड़ा बाजार होते हुए राड़ी के बालाजी मैदान के पास स्थित मीणा समाज छात्रावास पहुंची. वहां आदिवासी समाज की परंपराओं और उनकी संस्कृति को जीवित रखने को लेकर वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया. साथ ही आदिवासी समाज की प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया.
...तो इसलिए मनाया जाता है आदिवासी दिवस : वहीं, आपको बता दें कि विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत 1982 में हुई थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आदिवासियों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में घोषित किया था. आदिवासी समुदाय सदियों से सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है. इस दिवस को मनाकर आदिवासियों के योगदान को याद किया जाता है और उनके अधिकारों के लिए काम करने का संकल्प लेते हैं.