गोड्डा: करमा पर्व के अवसर पर रविवार को गोड्डा में भव्य शोभा यात्रा निकाली गई. जिसमें सैकड़ों की संख्या में कुड़मी समाज के लोग शामिल हुए. दरअसल, कुड़मी समाज की ओर से करमा पर्व के अवसर पर डहरे करम का आयोजन किया गया था.
शहीद चानकु महतो और वीरेंद्र महतो को दी श्रद्धांजलि
इस दौरान कुड़मी समाज के लोगों ने शहीद चानकु महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया इसके बाद शोभा यात्रा निकाली गई. शोभा यात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए शहीद वीरेंद्र महतो की समाधि स्थल पर पहुंची, यहां फिर समाधि स्थल पर माल्यार्पण कर वीरेंद्र महतो को नमन किया गया.
झारखंड कला संस्कृति मंच की ओर से आयोजन
बता दें कि झारखंड कला संस्कृति मंच की ओर से गोड्डा में पहली बार करमा पर्व के अवसर पर शोभा यात्रा निकाली गई है. इस मौके पर जिला परिषद की पूर्व चेयरमैन बसंती देवी ने कहा कि शोभा यात्रा में झारखंड की संस्कृति की झलक दिखी है. उन्होंने बताया कि झारखंड में करमा पर्व का विशेष महत्व है. इस पर्व में समाज के सभी लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है.
शोभा यात्रा में दिखी झारखंड की संस्कृति की झलक
वहीं इस मौके पर कुड़मी विकास मोर्चा के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने बताया कि झारखंडी अपनी संस्कृति के महत्व को समझते हैं. जिसका परिणाम है कि गोड्डा में ऐतिहासिक डहरे करम बेड़हा का आयोजन सफल रहा. भविष्य में और भी बेहतर तरीके से कुड़मी समाज करमा पर कार्यक्रम का आयोजन करेगा.
कुड़मी जनजाति का महत्वपूर्ण पर्व है करमा
इस संबंध में अखिल भारतीय आदिवासी कुड़मी महासभा के संयोजक संजीव कुमार महतो ने बताया कि करम पर्व कुड़मी जनजाति का महत्वपूर्ण पर्व है. उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से समाज की कुंवारी लड़कियों और नई शादी हुई लड़कियों के द्वारा सामूहिक रूप से पर्व में नृत्य और पूजा की जाती है.
उन्होंने कहा कि करमा पर्व पारिवारिक जुड़ाव के साथ ही संस्कृति और हमारे अतीत से भी जुड़ा है. इस पर्व के माध्यम से युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं. आदि काल से मनाया जाने वाला करमा पर्व के सूत्रधार कुड़मी ही हैं. इसलिए इस पर्व को विश्व पटल पर सम्मान दिलाने की भी जिम्मेदारी इसी समुदाय की है.
प्रकृति से जुड़ा पर्व है करमा
वहीं डहरे करम बेड़हा के संयोजक रवींद्र महतो ने बताया कि करम परब जीने के तौर-तरीके की नई पीढ़ी को सीख देता है और संस्कारवान बनता है. इस पर्व के माध्यम से समाज के लोग झारखंड की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड का करमा पर्व प्रकृति से जुड़ा पर्व है. यह पर्व हमें प्रकृति का आदर करने, उसका संरक्षण और संवर्धन करने की सीख देता है. इसलिए ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए.
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