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कोरबा में पीडीएस दुकानों से नहीं मिल रहा चना, चार महीने से हितग्राही परेशान - GRAM NOT AVAILABLE IN KORBA

कोरबा में गरीबों पर दोहरी मार पड़ रही है. महंगाई के दौर में उन्हें पीडीएस शॉप से चना नहीं मिल रहा है.

POOR PEOPLE FACING TROUBLE
कोरबा में गरीबों को नहीं मिल रहा चना (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 20, 2024, 8:03 PM IST

कोरबा: महंगाई की मार के बीच कोरबा के पीडीएस यानि की सरकारी राशन दुकानों से खाद्यान्न की सप्लाई लोगों को नहीं हो पा रही है. इससे निचले तबके के गरीबों पर दोहरी मार पड़ रही है. राशन दुकानों से बीपीएल और एपीएल राशनकार्डधारी हितग्राहियों को रियायती दरों पर सरकारी राशन प्रदान किया जाता है. बीते लंबे समय से उचित मूल्य की दुकानों से सरकारी चना गायब हो चुका है. पिछले तीन चार महीनों से राशनकार्ड धारकों को चना नहीं मिल रहा है.

कोरबा में गरीबों को नहीं मिल रहा चना: खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है. यहां खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को सरकारी राशन दुकान से ₹1 प्रति किलो की दर से चावल प्रदान किया जाता है. यहीं से नमक, शक्कर और चना भी गरीबों को मिल जाता है. कोरबा में पिछले कुछ समय से इन्हें चना नहीं मिल रहा है. जो कि गरीबों के लिए दिक्कत की बात है.

कोरबा के हितग्राहियों को नहीं मिल रहा चना (ETV BHARAT)

कितने दुकानों को हुआ चने का आवंटन?: कोरबा जिले में 553 सरकारी उचित मूल्य की दुकानें संचालित हो रही हैं. 436 दुकानों में नवंबर माह का सस्ता चना नहीं पहुंचा है. अधिकारियों का कहना है कि शासन से आवंटन नहीं होने की वजह से वितरण रूक गया है. 117 दुकानों में पिछला भंडारण बचे होने की वजह से चना का वितरण 56 हजार परिवारों को किया गया है. बाकी के बचे डेढ़ लाख हितग्राही परिवार सस्ते सरकारी चने से वंचित हो गए हैं. चने के लिए दुकानों के चक्कर काट रहे हैं. बीपीएल परिवारों को सस्ता राशन उपलब्ध कराना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है.

ETV Bharat Report
ईटीवी भारत ने हितग्राहियों से की बात (ETV BHARAT)

आदिवासी जिला होने से शक्कर का फ्री वितरण: छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में राशनकार्ड धारकों को चावल और नमक ही दिया जाता है. वहीं आदिवासी जिला होने की वजह कोरबा में राज्य शासन चना और शक्कर भी प्रदान कर रही है.उचित मूल्य की दुकान से बीपीएल वर्ग के हितग्राहियों को चना 5 रुपये प्रति किलो तो शक्कर17 रुपये प्रति किलो के दर से को प्रदान किया जाता है. योजना को और प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य के दुकानों का संचालन किया जा रहा है.

Korba PDS Shops
पीडीएस दुकानों से नहीं मिल रहा चना (ETV BHARAT)

कृषि संगठन से नहीं हो सका है अनुबंध: चना वितरण के लिए राज्य शासन की ओर से कृषि संगठन से प्रतिवर्ष अनुबंध किया जाता है. जानकारी है कि जिस संगठन ने चना वितरण का जिम्मा लिया था, अब उसका स्टॉक समाप्त हो गया है. इस वजह से गोदामों में चने का भंडारण नहीं हो सका है. पौष्टिक चना वितरण की योजना भाजपा के रमन सरकार ने शुरू की थी. तब से यह लगातार जारी है.चावल, नमक, शक्कर की तुलना में चना वितरण पर सबसे ज्यादा आर्थिक खर्चा होता है. कुछ दुकानों में चना वितरण हो चुका है. जिन दुकानों में हितग्राहियों को चना नहीं मिला है, वे संचालकों पर ही वितरण नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं. सामग्री वितरण के अभाव में दुकानों में विवाद की स्थिति भी होती है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने दुकान संचालकों को आवंटन मिलने पर चना वितरण की सूचना चस्पा करने के निर्देश दिए हैं.

राशन वितरण से जुड़ी जानकारी: कोरबा में हर महीने 1.36 लाख क्विंटल राशन का वितरण होता है. जिले में 553 दुकानों में प्रत्येक महीने नागरिक आपूर्ति के गोदाम से 1.36 लाख क्विंटल राशन की आपूर्ति होती है. इनमें आम हितग्राहियों के अलावा स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों के चावल भी शामिल हैं. कोरबा के वार्ड नंबर आठ की हितग्राही परमेश्वरी कहती हैं कि चना हम जैसे गरीब परिवार के लिए बड़ी राहत है. चना मिलने पर हम इसके छिलके अगल कर दाल की तरह इसका उपयोग करते हैं. जो कि हमारे लिए बड़ी राहत है. अब चना नहीं मिल रहा है, तो महंगी राहर की दाल खरीद रहे हैं. इससे आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है.

चना गरीबों के लिए काफी राहत वाला खाद्यान्न है. लेकिन वर्तमान में 4 महीने से भी ज्यादा समय से उचित मूल्य की दुकान से चना नहीं मिल रहा है. जो चना मिल रहा है. उसमें कीड़े लगे हुए हैं. चने के बदले शक्कर लेने को कहा जा रहा है. लेकिन शक्कर की सब्जी नहीं बनाई जा सकती, चना मिलता है तो इसकी सब्जी बनाकर उपयोग कर लेते हैं: महेश, हितग्राही

"कहीं चावल वितरण भी ना बंद कर दे सरकार" : मोती सागरपारा के पार्षद संतोष लांझेकर कहते हैं कि पिछले चार महीने से सरकारी उचित मूल्य की दुकानों से चने का वितरण नहीं हो रहा है. हितग्राही हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि चना नहीं मिल रहा है. जब मैंने अधिकारियों से बात की तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. वर्तमान की बीजेपी सरकार गरीबों के बारे में नहीं सोचती. गरीबों के खाद्यान्न पर भी उनकी नजर है.

आने वाले समय में कहीं चावल भी बंद न हो जाए, इसका डर है. सरकार को चाहिए कि चने का आवंटन तत्काल करें. चना गरीब हितग्राहियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. जिसे वह सब्जी और दाल की तरह उपयोग करते हैं. एक तो महंगाई और दूसरी तरफ सरकारी राशन नहीं मिलने से गरीबों की परेशानी बढ़ी हुई है: संतोष लांझेकर, पार्षद, मोती सागरपारा

राज्य शासन से ही नहीं हुआ आवंटन : इस विषय में जिला खाद्य अधिकारी घनश्याम कंवर का कहना है कि 436 उचित मूल्य दुकानों में चने का वितरण नहीं हुआ है. शासन स्तर पर चना आपूर्ति के नए वितरक से कॉन्ट्रैक्ट नहीं हो पाया है. इसे किया जा रहा है. जैसे ही आवंटन मिलेगा जो बचे हुए हितग्राही हैं उन्हें अगले महीने से एकमुश्त चना उपलबध कराया जाएगा.

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कोरबा में गरीबों को नहीं मिल रहा चना: खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है. यहां खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को सरकारी राशन दुकान से ₹1 प्रति किलो की दर से चावल प्रदान किया जाता है. यहीं से नमक, शक्कर और चना भी गरीबों को मिल जाता है. कोरबा में पिछले कुछ समय से इन्हें चना नहीं मिल रहा है. जो कि गरीबों के लिए दिक्कत की बात है.

कोरबा के हितग्राहियों को नहीं मिल रहा चना (ETV BHARAT)

कितने दुकानों को हुआ चने का आवंटन?: कोरबा जिले में 553 सरकारी उचित मूल्य की दुकानें संचालित हो रही हैं. 436 दुकानों में नवंबर माह का सस्ता चना नहीं पहुंचा है. अधिकारियों का कहना है कि शासन से आवंटन नहीं होने की वजह से वितरण रूक गया है. 117 दुकानों में पिछला भंडारण बचे होने की वजह से चना का वितरण 56 हजार परिवारों को किया गया है. बाकी के बचे डेढ़ लाख हितग्राही परिवार सस्ते सरकारी चने से वंचित हो गए हैं. चने के लिए दुकानों के चक्कर काट रहे हैं. बीपीएल परिवारों को सस्ता राशन उपलब्ध कराना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है.

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ईटीवी भारत ने हितग्राहियों से की बात (ETV BHARAT)

आदिवासी जिला होने से शक्कर का फ्री वितरण: छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में राशनकार्ड धारकों को चावल और नमक ही दिया जाता है. वहीं आदिवासी जिला होने की वजह कोरबा में राज्य शासन चना और शक्कर भी प्रदान कर रही है.उचित मूल्य की दुकान से बीपीएल वर्ग के हितग्राहियों को चना 5 रुपये प्रति किलो तो शक्कर17 रुपये प्रति किलो के दर से को प्रदान किया जाता है. योजना को और प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य के दुकानों का संचालन किया जा रहा है.

Korba PDS Shops
पीडीएस दुकानों से नहीं मिल रहा चना (ETV BHARAT)

कृषि संगठन से नहीं हो सका है अनुबंध: चना वितरण के लिए राज्य शासन की ओर से कृषि संगठन से प्रतिवर्ष अनुबंध किया जाता है. जानकारी है कि जिस संगठन ने चना वितरण का जिम्मा लिया था, अब उसका स्टॉक समाप्त हो गया है. इस वजह से गोदामों में चने का भंडारण नहीं हो सका है. पौष्टिक चना वितरण की योजना भाजपा के रमन सरकार ने शुरू की थी. तब से यह लगातार जारी है.चावल, नमक, शक्कर की तुलना में चना वितरण पर सबसे ज्यादा आर्थिक खर्चा होता है. कुछ दुकानों में चना वितरण हो चुका है. जिन दुकानों में हितग्राहियों को चना नहीं मिला है, वे संचालकों पर ही वितरण नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं. सामग्री वितरण के अभाव में दुकानों में विवाद की स्थिति भी होती है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने दुकान संचालकों को आवंटन मिलने पर चना वितरण की सूचना चस्पा करने के निर्देश दिए हैं.

राशन वितरण से जुड़ी जानकारी: कोरबा में हर महीने 1.36 लाख क्विंटल राशन का वितरण होता है. जिले में 553 दुकानों में प्रत्येक महीने नागरिक आपूर्ति के गोदाम से 1.36 लाख क्विंटल राशन की आपूर्ति होती है. इनमें आम हितग्राहियों के अलावा स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों के चावल भी शामिल हैं. कोरबा के वार्ड नंबर आठ की हितग्राही परमेश्वरी कहती हैं कि चना हम जैसे गरीब परिवार के लिए बड़ी राहत है. चना मिलने पर हम इसके छिलके अगल कर दाल की तरह इसका उपयोग करते हैं. जो कि हमारे लिए बड़ी राहत है. अब चना नहीं मिल रहा है, तो महंगी राहर की दाल खरीद रहे हैं. इससे आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है.

चना गरीबों के लिए काफी राहत वाला खाद्यान्न है. लेकिन वर्तमान में 4 महीने से भी ज्यादा समय से उचित मूल्य की दुकान से चना नहीं मिल रहा है. जो चना मिल रहा है. उसमें कीड़े लगे हुए हैं. चने के बदले शक्कर लेने को कहा जा रहा है. लेकिन शक्कर की सब्जी नहीं बनाई जा सकती, चना मिलता है तो इसकी सब्जी बनाकर उपयोग कर लेते हैं: महेश, हितग्राही

"कहीं चावल वितरण भी ना बंद कर दे सरकार" : मोती सागरपारा के पार्षद संतोष लांझेकर कहते हैं कि पिछले चार महीने से सरकारी उचित मूल्य की दुकानों से चने का वितरण नहीं हो रहा है. हितग्राही हमारे पास आते हैं और कहते हैं कि चना नहीं मिल रहा है. जब मैंने अधिकारियों से बात की तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. वर्तमान की बीजेपी सरकार गरीबों के बारे में नहीं सोचती. गरीबों के खाद्यान्न पर भी उनकी नजर है.

आने वाले समय में कहीं चावल भी बंद न हो जाए, इसका डर है. सरकार को चाहिए कि चने का आवंटन तत्काल करें. चना गरीब हितग्राहियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. जिसे वह सब्जी और दाल की तरह उपयोग करते हैं. एक तो महंगाई और दूसरी तरफ सरकारी राशन नहीं मिलने से गरीबों की परेशानी बढ़ी हुई है: संतोष लांझेकर, पार्षद, मोती सागरपारा

राज्य शासन से ही नहीं हुआ आवंटन : इस विषय में जिला खाद्य अधिकारी घनश्याम कंवर का कहना है कि 436 उचित मूल्य दुकानों में चने का वितरण नहीं हुआ है. शासन स्तर पर चना आपूर्ति के नए वितरक से कॉन्ट्रैक्ट नहीं हो पाया है. इसे किया जा रहा है. जैसे ही आवंटन मिलेगा जो बचे हुए हितग्राही हैं उन्हें अगले महीने से एकमुश्त चना उपलबध कराया जाएगा.

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