जयपुर: मैकाले शिक्षा पद्धति को आजादी के समय ही बदल देते, तो आज सारा वातावरण और अच्छा होता. ये कहना है प्रदेश के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे का. बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर मंथन करने के लिए जुटे राजस्थान विश्वविद्यालय और कॉलेज आयुक्तालय से सम्बद्ध कॉलेजों के प्राचार्य और शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति से भारत आने वाले समय में वैश्विक ज्ञान में महाशक्ति बन सकेगा. लेकिन इसके लिए शिक्षकों को मन लगाकर विद्यार्थियों के साथ काम करना होगा.
झंडे के साथ शिक्षा नीति बदलती: नई शिक्षा नीति को प्रभावी रूप से लागू करने और शिक्षकों को इसमें अपनी महती भागीदारी निभाने का आह्वान करते हुए राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने बताया कि महात्मा गांधी के एक शिष्य विनोबा भावे ने कहा था कि जिस तरह देश का झंडा बदला, वैसे ही शिक्षा नीति बदलने की आवश्यकता थी. लेकिन दुर्भाग्य है कि वो बदली नहीं. क्योंकि वो शिक्षा नीति ब्रिटिशर्स ने दी थी. वो भारत देश के लिए नहीं, बल्कि उनके देश के लिए थी.
ये था मैकाले का मकसद: उन्होंने कहा कि मैकाले ने ये शिक्षा नीति रखी थी और कहा था कि भारत के लोगों पर अपना अधिकार जमाना है, तो अपनी शिक्षा नीति उन पर लागू करना जरूरी है. उसी तरह की नीति उन्होंने बनाई. लेकिन देश जब स्वतंत्र हुआ तब शिक्षा पंडितों ने मैकाले के वाक्य को पढ़ा नहीं होगा. अगर उस वक्त शिक्षा नीति बदल दी होती, तो आज सारा वातावरण और भी अच्छा होता.
रोजगार देने वाले बनेंगे छात्र: वहीं इस दौरान मौजूद रहे उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जल्द से जल्द धरातल पर लाएंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एजुकेशन के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट पर भी फोकस किया गया है. इससे छात्र शिक्षा पाकर बेरोजगार नहीं रहेगा. छात्र कोई व्यापार शुरू कर, किसी को रोजगार देने योग्य बनेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि ये शिक्षा नीति राज्य के सभी सरकारी कॉलेज में लागू की जाएगी. जो बच्चों के भविष्य और प्रतिभा को संवारने के लिए जरूरी होगा.
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पुरानी नीति की खामियों को किया दूर: वहीं कॉलेज शिक्षा आयुक्त ओपी बैरवा ने बताया कि लंबे समय बाद देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई. जिसमें पुरानी शिक्षा नीति की कमी खामियों को दूर किया गया है. इसका क्रियान्वयन राज्यों के द्वारा किया जाना है. शिक्षक और शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा किया जाना है. ऐसे में अब तक जो कंपोनेंट सामने आए हैं, उनकी समीक्षा की जा रही है. इसकी कार्य योजना बनाई जाएगी. ताकि समयबद्ध रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आयाम, पाठ्यक्रम के बदलाव, मल्टीपल डिसीप्लिनरी, मल्टीपल एग्जिट और एंट्री और रोजगार उन्मुख व्यावसायिक शिक्षा दी जाए.
टास्क फोर्स बनाने का करेंगे प्रयास: उन्होंने कहा कि लर्निंग के साथ अर्निंग विद्यार्थी की आदत डालें. इसके लिए विश्वविद्यालय, महाविद्यालय के कुलपति, प्राचार्य और शिक्षकों के साथ मंथन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि एनईपी को लागू करने के लिए जिला स्तर और राज्य स्तर पर काम किया जाएगा. इसके लिए राज्यपाल के निर्देश पर शिक्षकों को मन लगाकर विद्यार्थियों के साथ काम करना होगा. टास्क फोर्स बनाने का प्रयास करेंगे. फिलहाल कॉलेज में बीए, बीकॉम, बीएससी पढ़ाया जा रहा है. आगे स्किल डेवलपमेंट वोकेशनल ट्रेनिंग के पाठ्यक्रम लाए जाएंगे.