जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र सोमवार को जयपुर की पिंजरापोल गौशाला स्थित वैदिक वन औषधीय पौध केंद्र पहुंचे. यहां उन्होंने गौ माता की पूजा कर गौ सेवा के लिए किए जा रहे कार्यों, दुर्लभ औषधीय पौधों, गौ-माता की विभिन्न प्रजातियों और गौ-उत्पादों के निर्यात के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी ली. साथ ही वन औषधियों के संरक्षण, जैविक फसल उत्पादन, वनों के संरक्षण और पारिस्थितिकी संतुलन के लिए कार्य करने का आह्वान किया. इस दौरान उन्होंने गौ माता के गोबर से बनी लकड़ी, अन्य उत्पादों का उपयोग करने और गौ-धन संरक्षण के लिए सबको मिलकर प्रयास करने पर भी जोर दिया.
अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के निमंत्रण पर राज्यपाल कलराज मिश्र पिंजरापोल गौशाला स्थित वैदिक वन औषधीय पार्क पहुंचे. इस अवसर पर राज्यपाल के हाथों से गौ माता की सवामणी का कार्यक्रम किया गया, जिसमें सूखे मेवे, खज़ूर, फल, सब्जी, गुड़, हरा चारा और दूसरे खाद्य पदार्थ अर्पित किए गए. राज्यपाल ने राज्यस्तरीय स्वयं सहायता समूहों की ओर से गाय के गोबर और लाख से बने चूड़े, दीपक, राखी बनाने का लाइव प्रदर्शन भी देखा.
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इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि गौमाता हमारे हृदय में वास करती हैं. गौमाता का संवर्धन तभी संभव है जब गाय का गोबर खेतों में डाला जाए और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाए. राज्य और देश में गौ आधारित खेती के जरिए राज्य को विशेष राज्य बनाया जाएगा और किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. वहीं अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के संयोजक डॉ. अतुल गुप्ता ने राज्य को जैविक राज्य बनाने के लिए गौ आधारित प्रदेश बनाने की मांग की.
इस मौके पर प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र भी सौंपा गया, जिसमें गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने की मांग की गई. वहीं इस दौरान राज्यपाल ने मिलेट्स और ऑर्गेनिक सब्जियों से बने भोजन का भी आनंद लिया. साथ ही पिंजरापोल गौशाला में स्थित प्राचीन श्री काल भैरव मंदिर के दर्शन कर पूजा-अर्चना भी की.