पटना: शिक्षा विभाग ने बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों को जींस टीशर्ट पहनकर स्कूल आने पर रोक लगा दी है. शिक्षा विभाग के निदेशक प्रशासन सुबोध कुमार चौधरी ने सभी जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र प्रेषित करते हुए विद्यालय में शिक्षकों के पोशाक संबंधित दिशा निर्देश जारी किए हैं.
शिक्षकों का नया ड्रेस कोड: निर्देश के माध्यम से उन्होंने कहा है कि विद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों की गतिविधियों में शालीनता प्रकट करने और मर्यादित व्यवहार करने का पूर्व से दिशा निर्देश है, लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा है. शिक्षा विभाग की ओर से फॉर्मल पोशाक में शिक्षकों को विद्यालय आने के लिए निर्देशित किया गया है.
कैजुअल ड्रेस में स्कूल नहीं आ पाएंगे शिक्षक : शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि अक्सर यह देखा जा रहा है कि विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में पदस्थापित शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी कार्यालय संस्कृति के विरूद्ध अनौपचारिक (Casual) परिधान (जींस-टी-शर्ट) में विद्यालयों / शैक्षणिक संस्थानों में आ रहे हैं.
स्कूल में डीजे डिस्को गाने पर रोक: साथ ही सोशल मीडिया (फेसबुक, यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम आदि) और अन्य माध्यमों से नृत्य, डीजे, डिस्को एवं अन्य निम्न स्तर की गतिविधियां विद्यालय परिसर में संचालित होते हुए पाया गया है. शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के विद्यालय परिसर में इस तरह का आचरण और व्यवहार शैक्षणिक माहौल को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करता है, जो कहीं से स्वीकार योग्य नहीं है.
''केवल शिक्षा कैलेण्डर के अनुसार विशेष दिनों में नृत्य, संगीत आदि का अनुशासित और शालीन कार्यक्रम ही मान्य है. इसलिए फिर से निर्देश दिया जाता है.'' - सुबोध कुमार चौधरी, निदेशक (प्रशासन) सह अपर सचिव, शिक्षा विभाग
DEO को निर्देश: निर्देश में कहा गया है कि विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में पदस्थापित शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मी शिक्षण या कार्यालय अवधि में गरिमायुक्त औपचारिक परिधान (Formal Dress) में ही विद्यालयों / शैक्षणिक संस्थानों में आएंगे. विभाग ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित किया है कि इस आदेश का अनुपालन करवाना सुनिश्चित किया जाए. इन नियमों का पालन नहीं करने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
क्यों लिया गया ये फैसला: बता दें कि शिक्षक स्कूल में जींस टॉप या कुछ कैजुअल पहनकर आते हैं और फिर फोटो वीडियो बनाकर उसे सोशल साइट पर डाल देते हैं. बीते कुछ समय से इस तरह का आचरण बहुत आम हो गया है. ऐसे में बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब अनुशासन में रहना होगा.
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