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एक दशक में पशुपालकों का पुष्कर पशु मेले से हुआ मोह भंग! क्या फिर से लौटेगा मेले का मूल स्वरूप और आकर्षण ? - Pushkar Cattle Fair 2024

अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला 2024 का आगाज 2 नवम्बर से होगा. प्रशासनिक स्तर पर मेले को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. बीते एक दशक से पुष्कर मेला अपना मूल स्वरूप और आकर्षण खोता जा रहा है. ऐसे में सरकार की ओर से अब सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि मेला अपने मूल रूप में लौट सके. पढ़िए ये रिपोर्ट...

अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला 2024
अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला 2024 (ETV BHarat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 28, 2024, 9:45 AM IST

अजमेर : इस बार 2 नवंबर से 17 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला 2024 का आयोजन होगा. मेले की तैयारी शुरू हो चुकी है. उन्होंने बताया कि मेले के मूल स्वरूप को लौटाने के लिए इस बार सरकार की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत पशु पालकों को मेले में परिवार सहित आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण परिवेश में पशुपालक और उनके परिवार मेले के मूल स्वरूप को फिर से लौटाने में मददगार साबित हो सकें.

इस तरह हुई पशु मेले की शुरुआत : अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पुष्कर की पहचान आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में है. जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. हिंदू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति ब्रह्मा ने की है. सदियों से तीर्थ दर्शन के लिए लोग यहां आते रहे हैं. परिवहन के संसाधन उसे वक्त पशु ही हुआ करते थे और धन भी पशुओं को ही कहा जाता था, यानी जिसके पास जितने पशु वह उतना ही धनी हुआ करता था. तीर्थ दर्शन के लिए ऊंट, घोड़े और पशुधन भी लाया करते थे. बताया जाता है कि जब उन्हें तीर्थ में धन की जरूरत होती तो वह अपने पशुओं का सौदा कर देते थे या उन्नत नस्ल का कोई पशु पसंद आया तो खरीद लेते थे. पुष्कर में कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक विशेष धार्मिक महत्व रहता है. इस दौरान तीर्थ स्नान के लिए बड़ी संख्या में लोग पुष्कर आते थे. इन पांच दिनों में पशुओं की खरीद फरोख्त भी बढ़ जाती थी. इस धार्मिक मेले के साथ पुष्कर पशु मेले की भी शुरुआत हो गई.

पशुपालकों का पशु मेले से हुआ मोह भंग! (ETV BHarat Ajmer)

पढ़ें. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला 2 से 17 नवंबर तक, पशुपालन विभाग और पर्यटन विभाग जुटा तैयारी में - Pushkar Mela 2024

धीरे-धीरे विदेशों तक पहुंचा पशु मेला : परिवहन के साधन होने के बाद लोग बस, ट्रेन और निजी साधन से पुष्कर आने लगे. पशु मेले में पशुओं के साथ पशुपालक परिवार के साथ आने लगे. दूर दराज से पशु खरीदने व्यापारी भी आने लगे. इस संस्कृति की चमक ने सात समुंदर पार विदेशी पावणों को भी आकर्षित किया. इस तरह विगत तीन दशक पहले से पुष्कर पशु मेला की ख्याति विदेश तक फैल गई. संचार के साधन आने के बाद तो भारत आने वाले विदेशी सैलानियों के लिए पुष्कर पसंदीदा पर्यटन स्थल बन गया और यहां पर्यटन उद्योग के पंख लग गए. पुष्कर पशु मेले में देसी विदेशी पर्यटकों को सतरंगी संस्कृति के अलावा बड़ी संख्या में ऊंट-घोड़े और अन्य पशु देखने को मिलते थे.

इस तरह बदला मेले का स्वरूप
इस तरह बदला मेले का स्वरूप (ETV BHarat GFX)

2011 के बाद मेले में घटी पशुओं की संख्या : पशुपालन विभाग के पुष्कर पशु मेले की शुरुआती आंकड़ों पर नजर डालें तो 2001 में 21 हजार 418 पशु पुष्कर में खरीद फरोख्त के लिए ले गए थे. सर्वाधिक पशु 2006 में मेले में आए थे. वर्ष 2006 में कुल पशु 23 हजार 852 आए थे. वर्ष 2011 तक पुष्कर मेले का स्वरूप सतरंगी संस्कृति से लबरेज था, लेकिन इसके बाद पशुओं की संख्या में गिरावट आने लगी. लिहाजा मेले का स्वरूप बिगड़ चला गया.

मेले में आने वाले वर्षवार आंकड़े :

  1. वर्ष 2001 में 21418 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 3366, भैंस की संख्या 653, ऊंटों की संख्या 15460, अश्व की संख्या 1923 , भेड़ की संख्या 6 और बकरा-बकरी की संख्या 10 थी.
  2. वर्ष 2002 में 18948 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 3928, भैंस की संख्या 2903, ऊंट की संख्या 10291, अश्व की संख्या 1795, भेड़ की संख्या 1, भेड़ मेढ़ा की संख्या 26, बकरा-बकरी की संख्या 4 थी.
  3. वर्ष 2003 में 21108 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 4373 थी, जबकि भैंस की संख्या 1179, ऊंट की संख्या 1242, अश्व की संख्या 3507, भेड़ मेढ़ा की संख्या 2, बकरा-बकरी की संख्या 5 थी.
  4. वर्ष 2004 में 23489 पशु मेले में खरीद फरोख्त के लिए आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 4722, भैंस की संख्या 725, ऊंट की संख्या 14997, अश्व की संख्या 335, भेड़ मेढा की संख्या 9, बकरा-बकरी की संख्या एक है.
  5. वर्ष 2005 में 23513 पशु मेले में खरीद फरोख्त के लिए आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 5826, भैंस की संख्या 123, ऊंट की संख्या 14142, अश्व की संख्या 2487, भेड़ मेढा शामिल थे.
  6. वर्ष 2006 में 23852 पशु मेले में बिकने के लिए आए थे. इनमें 5216 गोवंश, 1231 भैंस वंश, 14086 ऊंट वंश, 3304 अश्व वंश और 13 भेड़ मेढा शामिल थे.
  7. वर्ष 2007 में 19681 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश 2884, भैंस वंश 842, ऊंट वंश 11967, अश्व वंश 2973, भेड़ मेढ़ा 10 और बकरा बकरी 5 शामिल थे.
  8. वर्ष 2008 में 17649 पशु मेले में आए थे. इनमें 4177 गोवंश, 446 भैंस वंश, 9874 ऊंट वंश, 3144 अश्व वंश, भेड़ मेढ़ा 8 शामिल थे.
  9. वर्ष 2009 में 19204 कुल पशु मेले में आए थे. इनमें 5319 गोवंश, 902 भैंस वंश, 8762 ऊंट वंश, 4213 अश्व वंश, बकरा बकरी 4, गधा गधी 4 शामिल थे.
  10. वर्ष 2010 में 18582 कुल पशु मेले में आए थे. इनमें 3352 गोवंश, 472 भैंस वंश, 9419 ऊंट वंश, 5339 अश्व वंश शामिल थे.
  11. वर्ष 2011 में 17604 पशु मेले में आए थे. इनमें 4256 गोवंश, 703 भैंस वंश, 8238 ऊंट वंश, 4403 अश्व वंश शामिल थे.
  12. वर्ष 2012 में 15519 पशु मेले आए थे. इनमें 4270 गोवंश, 656 भैंस वंश, 6953 ऊंट वंश, 3639 अश्व वंश शामिल थे.
  13. वर्ष 2013 में 11150 पशु मेले में आए थे. इनमें 1518 गोवंश, 693 भैंस वंश, 5170 ऊंट वंश, 3767 अश्व वंश शामिल हैं.
  14. वर्ष 2014 में 9934 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश 642, भैंस वंश 233, ऊंट वंश 4772, अश्व वंश 4279 शामिल हैं.
  15. वर्ष 2015 में 10048 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश 452, भैंस वंश 61, ऊंट वंश 5215, अश्व वंश 4312 शामिल हैं.
  16. वर्ष 2016 में 8735 पशु मेले में आए थे. इनमें 461 गोवंश, 76 भैंस वंश, 3919 ऊंट वंश, 4259 अश्व वंश, 12 भेड वंश, भेड़ मेढ़ा 7, बकरा बकरी एक शामिल थे.
  17. वर्ष 2017 में 4200 पशु मेले में आए थे. इनमें 161 गोवंश, 70 भैंस वंश, 3954 ऊंट वंश, 15 बकरा बकरी शामिल थे. ब्लेंडर बीमारी की वजह से अश्व वंश मेले में नहीं आया था.
  18. वर्ष 2018 में 7435 पशु मेले में आए थे. इनमें 49 गोवंश, 67 भैंस वंश, 3954 ऊंट वंश, 3339 अश्व वंश, 25 बकरा बकरी, एक गधा गधी शामिल थे.
  19. वर्ष 2019 में 7176 पशु मेले में आए थे. इनमें 80 गोवंश, 64 भैंस वंश, 3298 ऊंट वंश, 3734 भैंस वंश शामिल थे.
  20. वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के कारण मेला नहीं भरा था.
  21. वर्ष 2021 में 4717 पशु मेले में आए थे. इसमें गोवंश 68, भैंस वंश 16, 2340 ऊंट वंश, 2291 अश्व वंश शामिल थे.
  22. वर्ष 2022 में लंपी बीमारी के कारण मेला नहीं भरा था.
  23. वर्ष 2023 में 8087 पशु मेले में आए थे. इसमें गोवंश 102, भैंस वंश 32, ऊंट वंश 3639, अश्व वंश 4152, भेड़ मेढ़ा 162 शामिल थे.

पढ़ें. अंतररार्ष्ट्रीय ऊंट दिवस : रियासत काल में भी महत्वपूर्ण था 'रेगिस्तान का जहाज', जानिए रोचक तथ्य - International camel day 2024

मेले में लगातार घटती रही पशुओं की संख्या : पशुपालन विभाग के आंकड़ें बताते हैं कि 2001 से 2011 तक मेला अपने मूल स्वरूप में था. इसके बाद रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट की संख्या पुष्कर मेले में लगातार कम होती गई और अश्व वंश की संख्या लगातार बढ़ती गई. गोवंश की बात करें तो 2012 के बाद से ही गोवंश में भारी कमी मेले में नजर आने लगी. सुप्रसिद्ध नागौरी बैल भी मेले से गायब होने लगे. 2016 आते-आते मेले से गोवंश गायब हो गया. केवल स्थानीय गायों को प्रदर्शनी और दूध प्रतियोगिता के लिए लाया जाने लगा. गोवंश की कमी का कारण तस्करी को रोकना था. मशीनरी पर ज्यादा निर्भरता होने से बैलों की उपयोगिता कम होना शामिल है. इसी तरह रेगिस्तान के जहाज ऊंट की बात की जाए तो 2012 के बाद से ही ऊंट की संख्या में भी भारी गिरावट देखी गई. खेती और परिवहन में ऊंट की उपयोगिता अब नहीं के बराबर रह गई है. हालांकि, ऊंट को राज्य पशु घोषित करने के बाद ऊंट को सरकार ने संरक्षण देने की कोशिश की है, लेकिन सरकार का यह प्रयास ऊंटों की संख्या बढ़ाने में सहायक साबित नहीं हुआ. भेड़, बकरी, गधा-गधी की संख्या मेले में 2001 से ही कम थी. वहीं, भैंस वंश की संख्या भी लगातार घटती रही.

पुष्कर पशु मेले में घोड़े
पुष्कर पशु मेले में घोड़े (ETV BHarat Ajmer)

इनका कहना है : पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील कुमार घीया ने बताया कि 2 नवंबर से 17 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय श्री पुष्कर मेला 2024 का आयोजन होगा. मेले की तैयारी शुरू हो चुकी है. उन्होंने बताया कि मेले के मूल स्वरूप को लौटाने के लिए इस बार कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत पशु पालकों को मेले में परिवार सहित आमंत्रित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि विदेशी सैलानी पशुपालकों के ग्रामीण परिवेश से काफी आकर्षित होते हैं. उन्होंने बताया कि सभी जिलों के संयुक्त निदेशकों को प्रचार प्रसार के लिए पंपलेट भी भेजे जा रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा पशुपालक मेले में आ सकें.

पुष्कर पशु मेले में रेगिस्तान का जहाज ऊंट
पुष्कर पशु मेले में रेगिस्तान का जहाज ऊंट (ETV BHarat Ajmer)

डॉ. घीया ने बताया कि विगत एक दशक से खेती और परिवहन के साधनों में बदलाव आ गया है. लोग मशीनरी पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं. ऐसे में ऊंट और बैलों की उपयोगिता काफी कम हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में बैलगाड़ियां और ऊंट गाड़ियां भी बहुत कम नजर आती हैं. ऊंट को राज्य पशु घोषित करने से संरक्षण मिला है. पुष्कर पशु मेले में पशुपालकों के परिवार की महिलाओं के नाम भी पंजीकृत किए जाएंगे. साथ ही उनके लिए भी अलग से प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी और विजेताओं को इनाम भी दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि पशुपालकों की सुविधा के लिए खाद्य सामग्री रसद विभाग की ओर से मिट्टी के दड़ो पर ही उपलब्ध करवाने के लिए अस्थाई दुकान खोली जाएगी. मेले की तैयारी को लेकर होने वाली आगामी बैठक में यह प्रस्ताव भी दिए जाएंगे.

अजमेर : इस बार 2 नवंबर से 17 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला 2024 का आयोजन होगा. मेले की तैयारी शुरू हो चुकी है. उन्होंने बताया कि मेले के मूल स्वरूप को लौटाने के लिए इस बार सरकार की ओर से कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत पशु पालकों को मेले में परिवार सहित आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण परिवेश में पशुपालक और उनके परिवार मेले के मूल स्वरूप को फिर से लौटाने में मददगार साबित हो सकें.

इस तरह हुई पशु मेले की शुरुआत : अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पुष्कर की पहचान आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में है. जगत पिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है. हिंदू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति ब्रह्मा ने की है. सदियों से तीर्थ दर्शन के लिए लोग यहां आते रहे हैं. परिवहन के संसाधन उसे वक्त पशु ही हुआ करते थे और धन भी पशुओं को ही कहा जाता था, यानी जिसके पास जितने पशु वह उतना ही धनी हुआ करता था. तीर्थ दर्शन के लिए ऊंट, घोड़े और पशुधन भी लाया करते थे. बताया जाता है कि जब उन्हें तीर्थ में धन की जरूरत होती तो वह अपने पशुओं का सौदा कर देते थे या उन्नत नस्ल का कोई पशु पसंद आया तो खरीद लेते थे. पुष्कर में कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक विशेष धार्मिक महत्व रहता है. इस दौरान तीर्थ स्नान के लिए बड़ी संख्या में लोग पुष्कर आते थे. इन पांच दिनों में पशुओं की खरीद फरोख्त भी बढ़ जाती थी. इस धार्मिक मेले के साथ पुष्कर पशु मेले की भी शुरुआत हो गई.

पशुपालकों का पशु मेले से हुआ मोह भंग! (ETV BHarat Ajmer)

पढ़ें. अंतरराष्ट्रीय पुष्कर पशु मेला 2 से 17 नवंबर तक, पशुपालन विभाग और पर्यटन विभाग जुटा तैयारी में - Pushkar Mela 2024

धीरे-धीरे विदेशों तक पहुंचा पशु मेला : परिवहन के साधन होने के बाद लोग बस, ट्रेन और निजी साधन से पुष्कर आने लगे. पशु मेले में पशुओं के साथ पशुपालक परिवार के साथ आने लगे. दूर दराज से पशु खरीदने व्यापारी भी आने लगे. इस संस्कृति की चमक ने सात समुंदर पार विदेशी पावणों को भी आकर्षित किया. इस तरह विगत तीन दशक पहले से पुष्कर पशु मेला की ख्याति विदेश तक फैल गई. संचार के साधन आने के बाद तो भारत आने वाले विदेशी सैलानियों के लिए पुष्कर पसंदीदा पर्यटन स्थल बन गया और यहां पर्यटन उद्योग के पंख लग गए. पुष्कर पशु मेले में देसी विदेशी पर्यटकों को सतरंगी संस्कृति के अलावा बड़ी संख्या में ऊंट-घोड़े और अन्य पशु देखने को मिलते थे.

इस तरह बदला मेले का स्वरूप
इस तरह बदला मेले का स्वरूप (ETV BHarat GFX)

2011 के बाद मेले में घटी पशुओं की संख्या : पशुपालन विभाग के पुष्कर पशु मेले की शुरुआती आंकड़ों पर नजर डालें तो 2001 में 21 हजार 418 पशु पुष्कर में खरीद फरोख्त के लिए ले गए थे. सर्वाधिक पशु 2006 में मेले में आए थे. वर्ष 2006 में कुल पशु 23 हजार 852 आए थे. वर्ष 2011 तक पुष्कर मेले का स्वरूप सतरंगी संस्कृति से लबरेज था, लेकिन इसके बाद पशुओं की संख्या में गिरावट आने लगी. लिहाजा मेले का स्वरूप बिगड़ चला गया.

मेले में आने वाले वर्षवार आंकड़े :

  1. वर्ष 2001 में 21418 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 3366, भैंस की संख्या 653, ऊंटों की संख्या 15460, अश्व की संख्या 1923 , भेड़ की संख्या 6 और बकरा-बकरी की संख्या 10 थी.
  2. वर्ष 2002 में 18948 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 3928, भैंस की संख्या 2903, ऊंट की संख्या 10291, अश्व की संख्या 1795, भेड़ की संख्या 1, भेड़ मेढ़ा की संख्या 26, बकरा-बकरी की संख्या 4 थी.
  3. वर्ष 2003 में 21108 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 4373 थी, जबकि भैंस की संख्या 1179, ऊंट की संख्या 1242, अश्व की संख्या 3507, भेड़ मेढ़ा की संख्या 2, बकरा-बकरी की संख्या 5 थी.
  4. वर्ष 2004 में 23489 पशु मेले में खरीद फरोख्त के लिए आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 4722, भैंस की संख्या 725, ऊंट की संख्या 14997, अश्व की संख्या 335, भेड़ मेढा की संख्या 9, बकरा-बकरी की संख्या एक है.
  5. वर्ष 2005 में 23513 पशु मेले में खरीद फरोख्त के लिए आए थे. इनमें गोवंश की संख्या 5826, भैंस की संख्या 123, ऊंट की संख्या 14142, अश्व की संख्या 2487, भेड़ मेढा शामिल थे.
  6. वर्ष 2006 में 23852 पशु मेले में बिकने के लिए आए थे. इनमें 5216 गोवंश, 1231 भैंस वंश, 14086 ऊंट वंश, 3304 अश्व वंश और 13 भेड़ मेढा शामिल थे.
  7. वर्ष 2007 में 19681 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश 2884, भैंस वंश 842, ऊंट वंश 11967, अश्व वंश 2973, भेड़ मेढ़ा 10 और बकरा बकरी 5 शामिल थे.
  8. वर्ष 2008 में 17649 पशु मेले में आए थे. इनमें 4177 गोवंश, 446 भैंस वंश, 9874 ऊंट वंश, 3144 अश्व वंश, भेड़ मेढ़ा 8 शामिल थे.
  9. वर्ष 2009 में 19204 कुल पशु मेले में आए थे. इनमें 5319 गोवंश, 902 भैंस वंश, 8762 ऊंट वंश, 4213 अश्व वंश, बकरा बकरी 4, गधा गधी 4 शामिल थे.
  10. वर्ष 2010 में 18582 कुल पशु मेले में आए थे. इनमें 3352 गोवंश, 472 भैंस वंश, 9419 ऊंट वंश, 5339 अश्व वंश शामिल थे.
  11. वर्ष 2011 में 17604 पशु मेले में आए थे. इनमें 4256 गोवंश, 703 भैंस वंश, 8238 ऊंट वंश, 4403 अश्व वंश शामिल थे.
  12. वर्ष 2012 में 15519 पशु मेले आए थे. इनमें 4270 गोवंश, 656 भैंस वंश, 6953 ऊंट वंश, 3639 अश्व वंश शामिल थे.
  13. वर्ष 2013 में 11150 पशु मेले में आए थे. इनमें 1518 गोवंश, 693 भैंस वंश, 5170 ऊंट वंश, 3767 अश्व वंश शामिल हैं.
  14. वर्ष 2014 में 9934 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश 642, भैंस वंश 233, ऊंट वंश 4772, अश्व वंश 4279 शामिल हैं.
  15. वर्ष 2015 में 10048 पशु मेले में आए थे. इनमें गोवंश 452, भैंस वंश 61, ऊंट वंश 5215, अश्व वंश 4312 शामिल हैं.
  16. वर्ष 2016 में 8735 पशु मेले में आए थे. इनमें 461 गोवंश, 76 भैंस वंश, 3919 ऊंट वंश, 4259 अश्व वंश, 12 भेड वंश, भेड़ मेढ़ा 7, बकरा बकरी एक शामिल थे.
  17. वर्ष 2017 में 4200 पशु मेले में आए थे. इनमें 161 गोवंश, 70 भैंस वंश, 3954 ऊंट वंश, 15 बकरा बकरी शामिल थे. ब्लेंडर बीमारी की वजह से अश्व वंश मेले में नहीं आया था.
  18. वर्ष 2018 में 7435 पशु मेले में आए थे. इनमें 49 गोवंश, 67 भैंस वंश, 3954 ऊंट वंश, 3339 अश्व वंश, 25 बकरा बकरी, एक गधा गधी शामिल थे.
  19. वर्ष 2019 में 7176 पशु मेले में आए थे. इनमें 80 गोवंश, 64 भैंस वंश, 3298 ऊंट वंश, 3734 भैंस वंश शामिल थे.
  20. वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के कारण मेला नहीं भरा था.
  21. वर्ष 2021 में 4717 पशु मेले में आए थे. इसमें गोवंश 68, भैंस वंश 16, 2340 ऊंट वंश, 2291 अश्व वंश शामिल थे.
  22. वर्ष 2022 में लंपी बीमारी के कारण मेला नहीं भरा था.
  23. वर्ष 2023 में 8087 पशु मेले में आए थे. इसमें गोवंश 102, भैंस वंश 32, ऊंट वंश 3639, अश्व वंश 4152, भेड़ मेढ़ा 162 शामिल थे.

पढ़ें. अंतररार्ष्ट्रीय ऊंट दिवस : रियासत काल में भी महत्वपूर्ण था 'रेगिस्तान का जहाज', जानिए रोचक तथ्य - International camel day 2024

मेले में लगातार घटती रही पशुओं की संख्या : पशुपालन विभाग के आंकड़ें बताते हैं कि 2001 से 2011 तक मेला अपने मूल स्वरूप में था. इसके बाद रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट की संख्या पुष्कर मेले में लगातार कम होती गई और अश्व वंश की संख्या लगातार बढ़ती गई. गोवंश की बात करें तो 2012 के बाद से ही गोवंश में भारी कमी मेले में नजर आने लगी. सुप्रसिद्ध नागौरी बैल भी मेले से गायब होने लगे. 2016 आते-आते मेले से गोवंश गायब हो गया. केवल स्थानीय गायों को प्रदर्शनी और दूध प्रतियोगिता के लिए लाया जाने लगा. गोवंश की कमी का कारण तस्करी को रोकना था. मशीनरी पर ज्यादा निर्भरता होने से बैलों की उपयोगिता कम होना शामिल है. इसी तरह रेगिस्तान के जहाज ऊंट की बात की जाए तो 2012 के बाद से ही ऊंट की संख्या में भी भारी गिरावट देखी गई. खेती और परिवहन में ऊंट की उपयोगिता अब नहीं के बराबर रह गई है. हालांकि, ऊंट को राज्य पशु घोषित करने के बाद ऊंट को सरकार ने संरक्षण देने की कोशिश की है, लेकिन सरकार का यह प्रयास ऊंटों की संख्या बढ़ाने में सहायक साबित नहीं हुआ. भेड़, बकरी, गधा-गधी की संख्या मेले में 2001 से ही कम थी. वहीं, भैंस वंश की संख्या भी लगातार घटती रही.

पुष्कर पशु मेले में घोड़े
पुष्कर पशु मेले में घोड़े (ETV BHarat Ajmer)

इनका कहना है : पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुनील कुमार घीया ने बताया कि 2 नवंबर से 17 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय श्री पुष्कर मेला 2024 का आयोजन होगा. मेले की तैयारी शुरू हो चुकी है. उन्होंने बताया कि मेले के मूल स्वरूप को लौटाने के लिए इस बार कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत पशु पालकों को मेले में परिवार सहित आमंत्रित किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि विदेशी सैलानी पशुपालकों के ग्रामीण परिवेश से काफी आकर्षित होते हैं. उन्होंने बताया कि सभी जिलों के संयुक्त निदेशकों को प्रचार प्रसार के लिए पंपलेट भी भेजे जा रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा पशुपालक मेले में आ सकें.

पुष्कर पशु मेले में रेगिस्तान का जहाज ऊंट
पुष्कर पशु मेले में रेगिस्तान का जहाज ऊंट (ETV BHarat Ajmer)

डॉ. घीया ने बताया कि विगत एक दशक से खेती और परिवहन के साधनों में बदलाव आ गया है. लोग मशीनरी पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं. ऐसे में ऊंट और बैलों की उपयोगिता काफी कम हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में बैलगाड़ियां और ऊंट गाड़ियां भी बहुत कम नजर आती हैं. ऊंट को राज्य पशु घोषित करने से संरक्षण मिला है. पुष्कर पशु मेले में पशुपालकों के परिवार की महिलाओं के नाम भी पंजीकृत किए जाएंगे. साथ ही उनके लिए भी अलग से प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी और विजेताओं को इनाम भी दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि पशुपालकों की सुविधा के लिए खाद्य सामग्री रसद विभाग की ओर से मिट्टी के दड़ो पर ही उपलब्ध करवाने के लिए अस्थाई दुकान खोली जाएगी. मेले की तैयारी को लेकर होने वाली आगामी बैठक में यह प्रस्ताव भी दिए जाएंगे.

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