रांची: स्वास्थ्य विभाग के साथ बायोमेट्रिक अटेंडेंस सहित 15 सूत्री मांगों पर सहमति बनने के बाद राज्य के सरकारी डॉक्टरों का संगठन झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विसेस एसोसिएशन (झासा) ने बॉयोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम के बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया है. झासा के महासचिव डॉ मृत्यंजय ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा पूर्व में हुई वार्ता में बनी सहमति का लिखित पत्र तैयार होने के बाद बहिष्कार का फैसला वापस लिया गया है.
गौरतलब है कि राज्य के सरकारी डॉक्टरों के संगठन झासा और स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव एके सिंह के बीच 23 अगस्त को वार्ता हुई थी, जिसमें डॉक्टरों ने बताया था कि क्यों वर्तमान स्वरूप में वह बायोमेट्रिक अटेंडेंस का विरोध कर रहे हैं.
बायोमैट्रिक अटेंडेंस सिस्टम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं जो इस तरह हैं
- बायोमैट्रिक अटेंडेंस को वेतन से नहीं जोड़ा जाएगा.
- किसी भी चिकित्सक की उपस्थिति का नियंत्री पदाधिकारी उसका डीडीओ होगा.
- ड्यूटी आवर और ड्यूटी प्लेस फिक्स नहीं है, इसलिए अपनी ड्यूटी आवर में चिकित्सक द्वारा कभी भी एक बार बायोमेट्रिक से अपनी उपस्थित दर्ज कराना पर्याप्त होगा.
सरकार द्वारा सभी मांगें मान लेने के बाद हुआ है बहिष्कार वापस लेने का फैसला*
झासा के सचिव डॉ मृत्युंजय ने बताया कि 23 अगस्त 2024 को प्रधान सचिव के साथ संगठन की बैठक में उपरोक्त निर्णय लिए गए थे. इस बैठक की कार्यवाही बनकर तैयार होने पर विभाग के संयुक्त सचिव ललित शुक्ला ने प्रधान सचिव की तरफ से झासा को यह जानकारी दी कि आपकी सारी मांग मान ली गई है. बैठक का प्रोसिडिंग भी तैयार है. विभाग द्वारा इसके बाद बायोमेट्रिक अटेंडेंस बहिष्कार को वापस लेने के आग्रह पर बहिष्कार वापस ले लिया गया है.
झासा के सचिव डॉक्टर ठाकुर मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस सहित सभी मांगों पर प्रधान सचिव का सकारात्मक रुख रहा है. उन्होंने संगठन एवं सभी चिकित्सकों का विश्वास जीता है. सिर्फ यही कारण है कि हमने लिखित में बैठक की कार्यवाही का इंतजार नहीं करते हुए जनहित में बायोमेट्रिक अटेंडेंस बहिष्कार को वापस लिया है.
अब झारखंड के सभी सरकारी चिकित्सक 02 सितंबर 2024 से अपनी ड्यूटी आवर में कभी भी एक बार अपना बायोमैट्रिक अटेंडेंस दर्ज करेंगे. संगठन के अध्यक्ष डॉ पी पी शाह ने कहा कि अब विभाग की जिम्मेदारी है कि बैठक में लिए गए निर्णय को हू-ब-हू प्रोसिडिंग में ले और यथाशीघ्र जारी करें. झासा के संस्थापक सदस्य और संरक्षक डॉ विमलेश सिंह ने कहा कि विभाग एवं संगठन के बीच समन्वय के लिए जरूरी है, इससे पारदर्शिता बनी रहेगी.
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