लखनऊ: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या में राज्य सरकार व पुलिस की कोई भी भूमिका नहीं थी. प्रयागराज में हुई उमेश पाल की हत्या के आरोपी असद अहमद समेत चार अन्य का एनकाउंटर भी नहीं फर्जी था. इन दोनों मामलों के लिए गठित किए गए आयोग की रिपोर्ट गुरुवार को विधान सभा के पटल पर रखी गई. दोनों मामलों में गठित किए गए लोचन न्यायिक आयोग व भोसले आयोग ने मीडिया, पुलिस समेत कई विभागों के लिए अपनी रिपोर्ट में सुझाव भी दिए हैं.
300 लोगों के बयान दर्ज कर बनाई गई रिपोर्ट
15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा के दौरान अतीक अहमद और उसके भाई असरफ की चार शूटर ने गोलियों से भून कर हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड पर सवाल उठने के बाद योगी सरकार ने जांच के लिए रिटायर्ड जज दिलीप बी भोसले की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था. आयोग की जांच रिपोर्ट गुरुवार को विधान सभा के पटल पर रखी गई है. जांच आयोग ने अक्टूबर 2023 तक की अपनी जांच में प्रयागराज के धूमनगंज स्थित मोतीलाल नेहरू अस्पताल में अतीक अहमद और उसके भाई असरफ को हत्या के दौरान वहां मौजूद पुलिसकर्मियों, डॉक्टर, अस्पतालकर्मी और जेल कर्मियों समेत करीब 300 लोगों के बयान दर्ज करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है.
सरकार व पुलिस ने नहीं रची थी अतीक की हत्या के साजिश
आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 15 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ पर तीन हमलावालों ने पुलिस अभिरक्षा के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी थी. इस पूरे हत्याकांड की जांच करने और घटना स्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों, जेल व वरिष्ठ पुलिस अफसरों के बयान दर्ज होने के बाद निष्कर्ष निकला है कि अतीक व अशरफ की हत्या में राज्य या फिर सरकार की किसी भी प्रकार की को साजिश नहीं थी.
पुलिस नहीं टाल सकती थी अतीक अशरफ की हत्या
इसके अलावा आयोग ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि, 27 मार्च 2023 को अतीक अहमद व उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को साबरमती कारागार से प्रयागराज लाये जाने के समय से लेकर दोनों की हत्या के दिन तक पुलिस की कोई भी कमी नहीं थी. अतीक अहमद को साबरमती जेल से नैनी जेल तक, फिर नैनी जेल से धूमनगंज थाने तक और फिर अस्पताल ले जाने तक पुलिस ने किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरती थी. ऐसे में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या पुलिस की लापरवाही का नतीजा नहीं थी और न ही पुलिस उसे टाल सकती थी.
असद का एनकाउंटर नहीं था फेक
वहीं, प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को धूमनगंज में हुई राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी अतीक के बेटे असद, अरबाज, उस्मान चौधरी और गुलाम के एनकाउंटर की जांच के लिए गठित किए गए राजीव लोचन की अध्यक्षता में दो सदस्यीय आयोग की भी रिपोर्ट विधान सभा के सदन में पेश की गई. आयोग की रिपोर्ट के अनुसार चारों आरोपियों के एनकाउंटर फेक नहीं थे. पुलिस ने आत्मरक्षा में चारों पर क्रॉस फायर किया था, जिसमें उनकी मौत हुई थी. चारों आरोपी उमेश पाल हत्याकांड में शामिल भी थे.
असद समेत चारों के परिजनों ने आयोग के सामने बोलने से किया था मना
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि चारों के अलग-अलग हुए तीन एकनाउंटर की जांच के दौरान सभी पुलिसकर्मियों के साक्ष्य इकट्ठा किए गए थे. इसके अलावा विभिन्न माध्यमों से आयोग ने यह अपील की थी कि किसी को भी यदि इस एनकाउंटर से जड़े तथ्य या जानकारी देनी हो तो आयोग के सामने पेश कर सकते हैं. इसके लिए आयोग झांसी और प्रयागराज में कैंप भी लगा चुक थी ताकि लोग साक्ष्य प्रस्तुत कर सकें. हालांकि किसी ने भी एनकाउंटर के संबंध में कोई भी जानकारी नहीं साझा की थी. इतना ही नहीं आयोग ने मारे गए सभी चारों के परिजन को भी नोटिस जारी कर एनकाउंटर के संबंध में अपनी बात कहने के लिए कहा था. लेकिन सभी ने जवाब देते हुए कहा था कि वो कुछ भी नहीं कहना चाहते है न ही गवाही देना चाहते हैं. आयोग की रिपोर्ट के अनुसार तीनों एनकाउंटर से जुड़े सभी साक्ष्यों, बयानों और चिकित्सीय परीक्षण व पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी को चोटें दूर से आई है. आरोपियों के पास से जो हथियार बरामद हुए थे, उनसे पुलिस पार्टी पर गोलियां चलाई गई थी. इसके जवाब में आत्मरक्षा में पुलिस ने फायर किए. आयोग ने रिपोर्ट में माना है कि चारों का एनकाउंटर सत्य था.
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