दुर्ग : दुर्ग जिले में 40 से ज्यादा स्टील प्लांट बिजली दर के खिलाफ अपना मोर्चा खोला है. स्टील प्लांट को एक दिन बंद करके शटडाउन रखा गया. वहीं एमएसएमई के अध्यक्ष केके झा ने बताया कि सरकार का निर्णय उद्योगों के खिलाफ है. इससे सैकड़ों की संख्या में लोग बेरोजगार हो जाएंगे. कई कंपनी मालिक तो कंपनी बंद कर देंगे, क्योंकि बिजली दर बढ़ने से कंपनियों को ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा. उघोग बंद होने से फैक्ट्री संचालकों के साथ ही आम लोगों और राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान भी होगा.
क्यों विरोध कर रहे हैं उद्योग संचालक ?: आपको बता दें कि दुर्ग जिले में 40 से ज्यादा इस्पात फैक्ट्रियों और इससे जुडे़ अन्य उद्योगों का संचालन होता है. छत्तीसगढ़ में पहले 6.10 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली स्टील उद्योगों को मिलती थी. अब इसके रेट को बढ़ाकर 7.62 रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है. सभी टैक्स मिलाकर यह रकम करीब 9 रुपये तक पहुंच जा रही है.जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ के स्टील उद्योंगों ने मोर्चा खोल दिया है.
"उद्योग बंद करना चाहती है सरकार" : दुर्ग जिले के युवा उद्योगपति हरविंदर सिंह खुराना ने बताया कि आज उद्योग चलाने के लिए बहुत सारी कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है, बिजली घरों में 25 से 30 प्रतिशत का इजाफा होना से उद्योगों के लिए सही नहीं है. सरकार के बिजली दर बढ़ाने से एक ही राह दिखती है कि मैं अपनी कंपनी बंद कर दूं. या फिर कर्मचारियों को कम कर दूं.
''कंपनी में लगभग 300 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. उनको मैं निकाल नहीं सकता, उनका घर मेरे इसी कंपनी से ही चलता है. सरकार को उद्योगों को बचाने के लिए इस पर विचार करना चाहिए.आयरन ओर को गलाने के बाद लोहा निर्माण करने पर पहले 10000 रुपए प्रति टन की लागत आती थी. लेकिन बिजली की बढ़ी हुई दर के कारण 12500 रुपए प्रति टन खर्च करना पड़ रहा है. जिससे 2500 रुपए प्रति टन का अतिरिक्त भार पड़ रहा है.'' हरविंदर सिंह खुराना, उद्योगपति
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में पहले 5.75 पैसा प्रति यूनिट बिजली की आपूर्ति हो रही थी. लेकिन इस समय टैरिफ बढ़ाकर 7.60 रुपए प्रति यूनिट और 15 फीसदी तक एफपीपीएएस समेत 10 पैसे उपकर लिया जा रहा है. जबकि यही बिजली 2014 में 4.15 रुपए प्रति यूनिट के दर से मिलती थी.