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VIDEO : कानपुर के इस्कॉन मंदिर में 1008 प्रकार के भोग से तैयार की गई गिरिराज भगवान की आकृति - KANPUR ISKCON TEMPLE GOVARDHAN PUJA

ISKCON TEMPLE GOVARDHAN PUJA : गोवर्धन पूजा पर मंदिर में उमड़े भक्त. कथा में गोवर्धन लीला के प्रसंग ने किया भावविभोर.

कई भोग से तैयार की गई श्री गिरिराज जी की प्रतिमा.
कई भोग से तैयार की गई श्री गिरिराज जी की प्रतिमा. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 3, 2024, 7:48 AM IST

कानपुर : शहर में शनिवार को गोवर्धन पूजा की धूम रही. महिलाओं ने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. मैनावती मार्ग स्थित इस्कॉन मंदिर में भी गोवर्धन पूजा पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सुबह से ही मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों शुरुआत हो गई. वहीं करीब 1008 प्रकार के भोग से श्री गिरिराज जी की आकृति बनाकर पूजा की गई. मंदिर में इस खास मौके पर भक्तों में काफी उल्लास नजर आया.

गोवर्धन पूजा पर उमड़े भक्त : शहर के बिठूर स्थित इस्कॉन मंदिर में गोवर्धन पूजा पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई. सुबह श्रीमद्भागवत कथा सत्र में गोवर्धन लीला पर विस्तार से चर्चा की गई. वहीं श्री गिरिराज जी महाराज को समर्पित वैष्णव गीतों की भी गूंज रही. हरे रामा हरे कृष्णा की धुन के साथ अन्नकूट महोत्सव का शुभारंभ किया गया. भक्तों ने श्री गिरिराज जी के अद्भुत दर्शन कर उनकी विधि-विधान से पूजा अर्चना की. उनकी परिक्रमा भी लगाई. भक्तों ने हरे रामा हरे कृष्णा की धुन पर जमकर नृत्य किया.

कानपुर के इस्कॉन मंदिर में उमड़े भक्त. (Video Credit; ETV Bharat)

भगवान श्रीकृष्ण ने चूर किया था इंद्र का घमंड : इस बार मंदिर में भगवान गोवर्धन महाराज की 1008 प्रकार के भोग से अलौकिक और अद्भुत आकृति तैयार की गई. यहां पर आए सभी भक्तों को गोवर्धन पूजा के इतिहास के बारे में बताया गया. जानकारी दी गई कि किस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने इस लीला के माध्यम से ही भगवान इंद्र के घमंड को चकानचूर कर दिया था. यह संदेश भी दिया गया कि हमें भी धन और पद का अभिमान नहीं करना चाहिए. श्री कृष्ण की भक्ति करने से ही हमें स्थायी गोकुलधाम की प्राप्ति होती है. इसको हमें कलयुग में हरे कृष्ण महामंत्र के जाप और कीर्तन द्वारा प्राप्त कर सकते हैं.

मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया.
मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया. (Photo Credit; ETV Bharat)

गोवर्धन पूजा का महत्व : बता दें कि भगवान गोवर्धन की पूजा द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद से प्रारंभ हुई. इसमें हिंदू धर्म के अनुसार महिलाएं अपने घर के आंगन में गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन की कई विशेष प्रकार की अलग-अलग आकृतियां बनाकर उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं. भगवान गोवर्धन को भोग लगाकर उनसे अपनी हर मनोकामना मांगती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गोवर्धन की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सब की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

गोवर्धन पर्व को अन्नकूट का पर्व भी कहा जाता है. इस दिन गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त भगवान गोवर्धन की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है. वह उसके सभी दुख दर्द दूर कर देते हैं.

यह भी पढ़ें : सोनभद्र में गोवर्धन पूजा : खौलते दूध से स्नान देखने को उमड़े हजारों लोग, पुजारी ने कही ऐसी बात

कानपुर : शहर में शनिवार को गोवर्धन पूजा की धूम रही. महिलाओं ने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन बनाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. मैनावती मार्ग स्थित इस्कॉन मंदिर में भी गोवर्धन पूजा पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सुबह से ही मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों शुरुआत हो गई. वहीं करीब 1008 प्रकार के भोग से श्री गिरिराज जी की आकृति बनाकर पूजा की गई. मंदिर में इस खास मौके पर भक्तों में काफी उल्लास नजर आया.

गोवर्धन पूजा पर उमड़े भक्त : शहर के बिठूर स्थित इस्कॉन मंदिर में गोवर्धन पूजा पर सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई. सुबह श्रीमद्भागवत कथा सत्र में गोवर्धन लीला पर विस्तार से चर्चा की गई. वहीं श्री गिरिराज जी महाराज को समर्पित वैष्णव गीतों की भी गूंज रही. हरे रामा हरे कृष्णा की धुन के साथ अन्नकूट महोत्सव का शुभारंभ किया गया. भक्तों ने श्री गिरिराज जी के अद्भुत दर्शन कर उनकी विधि-विधान से पूजा अर्चना की. उनकी परिक्रमा भी लगाई. भक्तों ने हरे रामा हरे कृष्णा की धुन पर जमकर नृत्य किया.

कानपुर के इस्कॉन मंदिर में उमड़े भक्त. (Video Credit; ETV Bharat)

भगवान श्रीकृष्ण ने चूर किया था इंद्र का घमंड : इस बार मंदिर में भगवान गोवर्धन महाराज की 1008 प्रकार के भोग से अलौकिक और अद्भुत आकृति तैयार की गई. यहां पर आए सभी भक्तों को गोवर्धन पूजा के इतिहास के बारे में बताया गया. जानकारी दी गई कि किस तरह भगवान श्रीकृष्ण ने इस लीला के माध्यम से ही भगवान इंद्र के घमंड को चकानचूर कर दिया था. यह संदेश भी दिया गया कि हमें भी धन और पद का अभिमान नहीं करना चाहिए. श्री कृष्ण की भक्ति करने से ही हमें स्थायी गोकुलधाम की प्राप्ति होती है. इसको हमें कलयुग में हरे कृष्ण महामंत्र के जाप और कीर्तन द्वारा प्राप्त कर सकते हैं.

मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया.
मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया. (Photo Credit; ETV Bharat)

गोवर्धन पूजा का महत्व : बता दें कि भगवान गोवर्धन की पूजा द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद से प्रारंभ हुई. इसमें हिंदू धर्म के अनुसार महिलाएं अपने घर के आंगन में गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन की कई विशेष प्रकार की अलग-अलग आकृतियां बनाकर उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं. भगवान गोवर्धन को भोग लगाकर उनसे अपनी हर मनोकामना मांगती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गोवर्धन की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सब की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

गोवर्धन पर्व को अन्नकूट का पर्व भी कहा जाता है. इस दिन गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा करना काफी शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त भगवान गोवर्धन की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है. वह उसके सभी दुख दर्द दूर कर देते हैं.

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