गोरखपुर: NHAI गोरखपुर दफ्तर में तैनात परियोजना निदेशक के निजी सचिव विजेंद्र सिंह को गुरुवार को NOC देने के नाम पर रिश्वत लेते सीबीआई की टीम ने रंगे हाथों पकड़ा था. जिसके बाद से गिरफ्तार विजेन्द्र से ऐसे कई मामलों की पूछताछ की जा रही है, जिसमें उसके समय में दी गई NOC भी शामिल है. जिन फाइलों की शिकायत नहीं है वह फाइलें भी उसकी मुश्किलें बढ़ाएंगी. क्योंकि सीबीआई उन सभी फाइलों की जांच में जुट रही है, जो विजेंद्र सिंह की देखरेख में एनओसी दी गई है. यह वह फाइलें हैं जो NHAI के रोड के सटे हुए प्लॉट पर पेट्रोल पंप या अन्य कामर्शियल गतिविधियों को संचालित करने के लिए दी गई हैं.
पूर्व में प्रयागराज में भी तैनात रहने वाले विजेंद्र सिंह की वहां के कार्यकाल की भी जांच होगी. इसके साथ ही गोरखपुर में तैनाती के दौरान इस तरह के खेल में वह कब से जुटा हुआ था उसकी भी पड़ताल की जाएगी. प्रोजेक्ट डायरेक्टर के इस निजी सचिव का बुरा वक्त बुधवार को आ गया जब सीबीआई से एक पीड़ित उपभोक्ता द्वारा की गई शिकायत के बाद उसकी गिरफ्तारी हुई.
गुरुवार को सीबीआई की टीम विजेंद्र समेत तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार कर कुछ कागजात और करीब 3 लाख 50 हजार रुपए उसके आवास से बरामद करने के साथ उसे लखनऊ लेकर चली गई. सूत्रों के मुताबिक उसकी गिरफ्तारी और जांच से कई अन्य लोगों के भी नाम उजागर हो सकते हैं, जिनकी हिस्सेदारी इसमें बनती थी.
गोरखपुर NHAI के प्रोजेक्ट मैनेजर ललित पाल का कहना है कि, NOC से जुड़े मामले को लेकर विजेंद्र पाल की शिकायत विभाग के आरओ से की गई थी. अप्रैल 2024 में उसे नोटिस भी जारी किया गया था. और उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए मुख्यालय को पत्र भी भेजा गया था. लेकिन विभागीय कार्रवाई होने से पहले ही वह अपनी करतूत में फंस ही गया. अब सीबीआई की जांच में जो भी मामले और तथ्य सामने आएगी. फिलहाल उन्होंने साफ किया है कि, अगर किसी का मामला उनके कार्यालय में एनओसी के लिए लंबित है तो, वह उनसे सीधे मिलकर इस विषय पर बात कर सकते हैं उसका निस्तारण कराया जाएगा.
बताया जा रहा है कि, इस मामले में गिरफ्तारी के लिए सीबीआई के डीएसपी के नेतृत्व में 12 सदस्यीय टीम 2 जुलाई से ही गोरखपुर पहुंच चुकी थी. और NHAI कार्यालय की रेकी कर रही थी. बुधवार की सुबह शिकायतकर्ता को गोरखपुर बुलाया गया और फिर उसके सहारे प्रोजेक्ट डायरेक्टर के सचिव विजेंद्र सिंह को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया. इस मामले के षड्यंत्र में शामिल वाराणसी के डिप्टी मैनेजर जय प्रताप सिंह चौहान और कार्यालय सहायक मुकेश कुमार को भी हिरासत में लिया गया है.