गोरखपुर : घरों और अस्पतालों समेत विभिन्न संस्थानों से निकलने वाले कचरे के निस्तारण के लिए गोरखपुर सहजनवा के सुथनी में निर्माणाधीन इंटीग्रेटेड गार्बेज सिटी का कार्य अंतिम चरण में हैं. गोरखपुर नगर निगम का दावा है कि इंटीग्रेटेड गार्बेज सिटी में अब प्लाज्मा प्लांट बनाए जाएगा. इसमें सभी भी प्रकार के कचरे को डिस्पोज किया जा सकेगा. इसके बाद वेस्ट का उपयोग किसी भी प्रकार की अन्य सामग्री को बनाने में किया जा सकेगा.
नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल ने बताया कि सहजनवा के सुथनी में एनटीपीसी द्वारा कचरा से चारकोल बनाने पर पहले से काम चल रहा है. जिसमें अब प्लाज्मा तकनीक पर इन विभिन्न तरह के कचरे के निस्तारण का भी प्लांट बहुत जल्द स्थापित होगा. इसके लिए पुणे मंबई की निजी फर्म को दायित्व सौंपा गया है. मार्च 2025 तक प्लांट का निर्माण फर्म को कर देना होगा.
नगर आयुक्त के मुताबिक प्लाज्मा तकनीक में किसी भी कचरे को 100 डिग्री के तापमान पर गर्म किया जाता है. जिससे वह तरल पदार्थ के रूप में बदल जाएगा. इसके बाद उससे कोई भी अन्य सामग्री बनाई जा सकेगी. इसमें पांच टन क्षमता का प्लाज्मा तकनीक पर आधारित डोमेस्टिक हेजर्ड प्लांट लगाया जाएगा. फर्म को शिलान्यास के साथ छह माह में संचालन शुरू कर देना होगा. बहरहाल प्लाज्मा प्लांट के शिलान्यास की तैयारी हो रही है.
नगर निगम के मुख्य अभियंता संजय चौहान के मुताबिक इस प्लांट के जरिए नगर निगम का उद्देश्य, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल-2016 के अंतर्गत घरेलू खतरनाक कूड़े कचरे को निस्तारित करना है. जिसके तहत मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा, गार्बेज फ्री सिटी का ओहदा और स्वच्छ भारत मिशन के तहत निगरानी तंत्र विकसित करना है. उन्होंने बताया कि प्रदूषण और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे उत्पादों को खरीदने और निश्चित करने में लोगों को खुद सावधानी बरतनी चाहिए. जिस पर कास्टिक, संक्षारक, खतरा, विस्फोटक, ज्वलनशील, विषाक्त, और वाष्पशील की चेतावनी लिखी हो. इसके अलावा अन्य उत्पाद हैं जो मानव जीवन के लिए हानिकारक हैं. उनके निस्तारण के लिए ही ऐसे प्लांट स्थापित हो रहे हैं.