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गोपालगंज में JDU ने मौजूदा सांसद पर जताया भरोसा, महागठबंधन कैंडिडेट पर सस्पेंस बरकरार, जानिए समीकरण - gopalganj lok sabha seat - GOPALGANJ LOK SABHA SEAT

Gopalganj Lok sabha Seat: गोपालगंज में एक बार फिर जेडीयू अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है तो महागठबंधन भी मजबूती के साथ चुनाव में जाने की तैयारी कर रहा है. फिलहाल जेडीयू ने अपने मौजूदा सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन की उम्मीदवारी का एलान कर शुरुआती बढ़त बना ली है तो अभी महागठबंधन ने कैंडिडेट को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, कैसा रहा है गोपालगंज लोकसभा सीट का इतिहास और क्या कहता है सियासी समीकरण, आप भी जानिये.

गोपालगंज लोकसभा सीट
गोपालगंज लोकसभा सीट
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 26, 2024, 6:03 AM IST

देखें रिपोर्ट-

गोपालगंजः2024 के लोकसभा चुनाव की जंग का बिगुल बज चुका है और सियासी पहलवान पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोकने लगे हैं. माहौल पूरी तरह चुनावी हो चुका है और चौक-चौराहों पर हार-जीत के समीकरणों पर चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है.इसी क्रम में आज हम आपको गोपालगंज लोकसभा सीट का सियासी इतिहास और समीकरण बताने जा रहे हैं.जहां इस बार छठे चरण में 25 मई को वोटिंग होगी.

गोपालगंज सीट का इतिहासः: कभी कांग्रेस का गढ़ रही गोपालगंज लोकसभा सीट 2009 में अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हो गयी.जिसके बाद अब तक हुए तीन लोकसभा चुनावों में जेडीयू-बीजेपी का कब्जा रहा है.2009 और 2019 में NDA के बैनर तले जेडीयू ने जीत हासिल की तो 2014 में बीजेपी ने इस सीट से बाजी मारी.

NDA Vs महागठबंधनः 2024 के लोकसभा चुनाव में भी गोपालगंज लोकसभा सीट पर NDA और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा. जेडीयू ने तो मौजूदा सांसद डॉ, आलोक कुमार सुमन की उम्मीदवारी का एलान भी कर दिया है वहीं महागठबंधन के कैंडिडेट को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है. वैसे इस सीट पर कांग्रेस कोटे का कैंडिडेट आलोक सुमन को चुनौती पेश कर सकता है.

गोपालगंज लोकसभा सीट
ईटीवी भारत GFX.

गोपालगंज लोकसभा सीटःः 2009 से अब तक : इस सीट पर 2009 में हुए पहले चुनाव में NDA प्रत्याशी के तौर पर जेडीयू के पूर्णमासी राम ने आरजेडी के अनिल कुमार को हराकर जीत दर्ज की तो 2014 में जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. इस बार इस सीट पर बीजेपी के जनक राम ने कांग्रेस की डॉ. ज्योति भारती को मात देकर कमल खिलाया. 2019 में एक बार फिर NDA के बैनर तले जेडीयू के आलोक कुमार सुमन ने आरजेडी के सुरेंद्र राम की चुनौती ध्वस्त कर डाली और जीत का परचम लहराया.

गोपालगंजः पश्चिम में उत्तर प्रदेश के देवरिया व कुशीनगर जनपद की सीमा से लगा और गंडक नदी के किनारे बसा गोपालगंज पूर्णत: खेती पर आश्रित है.कई छोटी बड़ी नदियों से घिरे होने के कारण ये इलाका खासा उपजाऊ है.गोपालगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत बैकुंठपुर, गोपालगंज, बरौली, कुचायकोट, हथुआ और भोरे ये 6 विधानसभा सीटें है.

कभी थी उद्योग-धंधों की भरमारःगोपालगंज में कभी उद्योग-धंधों की भरमार थी. चार चार चीनी मिल, डालडा फैक्ट्री, कड़ाही फैक्ट्री समेत कई लघु उद्योग हुआ करते थे, लेकिन सब एक-एक कर बंद होते चले गये. फिलहाल दो चीन मिल चालू हैं. ऐसे में इलाके की बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है. यही कारण है कि रोजगार के लिए हर साल बड़ी संख्या में युवाओं का पलायन होता है.

जातिगत समीकरण : गोपालगंज में मतदाताओं की कुल संख्याा 20 लाख 29 हजार 422 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 27 हजार 437 है जबकि 10 लाख 1 हजार 902 महिला मतदाता हैं.जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण वोटर्स की है. एक आंकड़े के मुताबिक 17 फीसदी ब्राह्मण, 14 फीसदी मुसलमान, 13 फीसदी यादव और 13 फीसदी राजपूत मतदाता हैं. इसके अलावा कोइरी 4 फीसदी, कुर्मी 3 फीसदी और भूमिहार 5 फीसदी हैं.

गोपालगंज लोकसभा सीट
ईटीवी भारत GFX.

कब कितना मतदानः गोपालगंज लोकसभा सीट पर पिछले चुनावों की बात करें तो ये देखने में आया है कि हर बार पिछले चुनाव की अपेक्षा वोटिंग प्रतिशत बढ़ता गया है. 2009 में यहां सिर्फ 37 फीसदी वोटिंग हुई थी वहीं 2014 में ये बढ़कर 54.6 फीसदी पर जा पहुंची. जबकि 2019 के चुनाव में ये आंकड़ा बढ़कर 55.44 फीसदी पर जा पहुंचा.

इस बार कौन मारेगा बाजीः जिले की सियासत पर गहरी नजर रखनेवाले विश्लेषकों का मानना है कि विकास के नाम पर वर्तमान सांसद के हिस्से में कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं है, सिवाय इसके कि सांसद की कोशिशों से सालों से उपेक्षित सबेया हवाई अड्डे के कायापलट की उम्मीद जगी है. फिर भी मोदी लहर और राममंदिर के भरोसे आलोक कुमार सुमन बाजी मार सकते हैं.

गोपालगंज लोकसभा सीट
गोपालगंज लोकसभा सीट

मतदाताओं की मिलीजुली प्रतिक्रियाः आम लोगों के बीच मौजूदा सांसद की छवि साफ-सुथरी तो है लेकिन जनता से दूरी के कारण इलाके के लोगों में कोई खास उत्साह नहीं है. वैसे कई लोगों का मानना है कि इलाके का विकास हुआ है वहीं कई लोग सांसद के कामकाज से खुश नहीं है. ऐसे में एक बात साफ है कि जातीय समीकरण और बड़े मुद्दों का असर गोपालगंज लोकसभा सीट के नतीजे पर देखने को मिल सकता है.

ये भी पढ़ेंःJDU के 16 संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट देखिए, पुराने OUT तो नये को मिलेगा मौका - JDU Candidate List

देखें रिपोर्ट-

गोपालगंजः2024 के लोकसभा चुनाव की जंग का बिगुल बज चुका है और सियासी पहलवान पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोकने लगे हैं. माहौल पूरी तरह चुनावी हो चुका है और चौक-चौराहों पर हार-जीत के समीकरणों पर चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है.इसी क्रम में आज हम आपको गोपालगंज लोकसभा सीट का सियासी इतिहास और समीकरण बताने जा रहे हैं.जहां इस बार छठे चरण में 25 मई को वोटिंग होगी.

गोपालगंज सीट का इतिहासः: कभी कांग्रेस का गढ़ रही गोपालगंज लोकसभा सीट 2009 में अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हो गयी.जिसके बाद अब तक हुए तीन लोकसभा चुनावों में जेडीयू-बीजेपी का कब्जा रहा है.2009 और 2019 में NDA के बैनर तले जेडीयू ने जीत हासिल की तो 2014 में बीजेपी ने इस सीट से बाजी मारी.

NDA Vs महागठबंधनः 2024 के लोकसभा चुनाव में भी गोपालगंज लोकसभा सीट पर NDA और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा. जेडीयू ने तो मौजूदा सांसद डॉ, आलोक कुमार सुमन की उम्मीदवारी का एलान भी कर दिया है वहीं महागठबंधन के कैंडिडेट को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है. वैसे इस सीट पर कांग्रेस कोटे का कैंडिडेट आलोक सुमन को चुनौती पेश कर सकता है.

गोपालगंज लोकसभा सीट
ईटीवी भारत GFX.

गोपालगंज लोकसभा सीटःः 2009 से अब तक : इस सीट पर 2009 में हुए पहले चुनाव में NDA प्रत्याशी के तौर पर जेडीयू के पूर्णमासी राम ने आरजेडी के अनिल कुमार को हराकर जीत दर्ज की तो 2014 में जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. इस बार इस सीट पर बीजेपी के जनक राम ने कांग्रेस की डॉ. ज्योति भारती को मात देकर कमल खिलाया. 2019 में एक बार फिर NDA के बैनर तले जेडीयू के आलोक कुमार सुमन ने आरजेडी के सुरेंद्र राम की चुनौती ध्वस्त कर डाली और जीत का परचम लहराया.

गोपालगंजः पश्चिम में उत्तर प्रदेश के देवरिया व कुशीनगर जनपद की सीमा से लगा और गंडक नदी के किनारे बसा गोपालगंज पूर्णत: खेती पर आश्रित है.कई छोटी बड़ी नदियों से घिरे होने के कारण ये इलाका खासा उपजाऊ है.गोपालगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत बैकुंठपुर, गोपालगंज, बरौली, कुचायकोट, हथुआ और भोरे ये 6 विधानसभा सीटें है.

कभी थी उद्योग-धंधों की भरमारःगोपालगंज में कभी उद्योग-धंधों की भरमार थी. चार चार चीनी मिल, डालडा फैक्ट्री, कड़ाही फैक्ट्री समेत कई लघु उद्योग हुआ करते थे, लेकिन सब एक-एक कर बंद होते चले गये. फिलहाल दो चीन मिल चालू हैं. ऐसे में इलाके की बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है. यही कारण है कि रोजगार के लिए हर साल बड़ी संख्या में युवाओं का पलायन होता है.

जातिगत समीकरण : गोपालगंज में मतदाताओं की कुल संख्याा 20 लाख 29 हजार 422 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 27 हजार 437 है जबकि 10 लाख 1 हजार 902 महिला मतदाता हैं.जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा संख्या ब्राह्मण वोटर्स की है. एक आंकड़े के मुताबिक 17 फीसदी ब्राह्मण, 14 फीसदी मुसलमान, 13 फीसदी यादव और 13 फीसदी राजपूत मतदाता हैं. इसके अलावा कोइरी 4 फीसदी, कुर्मी 3 फीसदी और भूमिहार 5 फीसदी हैं.

गोपालगंज लोकसभा सीट
ईटीवी भारत GFX.

कब कितना मतदानः गोपालगंज लोकसभा सीट पर पिछले चुनावों की बात करें तो ये देखने में आया है कि हर बार पिछले चुनाव की अपेक्षा वोटिंग प्रतिशत बढ़ता गया है. 2009 में यहां सिर्फ 37 फीसदी वोटिंग हुई थी वहीं 2014 में ये बढ़कर 54.6 फीसदी पर जा पहुंची. जबकि 2019 के चुनाव में ये आंकड़ा बढ़कर 55.44 फीसदी पर जा पहुंचा.

इस बार कौन मारेगा बाजीः जिले की सियासत पर गहरी नजर रखनेवाले विश्लेषकों का मानना है कि विकास के नाम पर वर्तमान सांसद के हिस्से में कोई बहुत बड़ी उपलब्धि नहीं है, सिवाय इसके कि सांसद की कोशिशों से सालों से उपेक्षित सबेया हवाई अड्डे के कायापलट की उम्मीद जगी है. फिर भी मोदी लहर और राममंदिर के भरोसे आलोक कुमार सुमन बाजी मार सकते हैं.

गोपालगंज लोकसभा सीट
गोपालगंज लोकसभा सीट

मतदाताओं की मिलीजुली प्रतिक्रियाः आम लोगों के बीच मौजूदा सांसद की छवि साफ-सुथरी तो है लेकिन जनता से दूरी के कारण इलाके के लोगों में कोई खास उत्साह नहीं है. वैसे कई लोगों का मानना है कि इलाके का विकास हुआ है वहीं कई लोग सांसद के कामकाज से खुश नहीं है. ऐसे में एक बात साफ है कि जातीय समीकरण और बड़े मुद्दों का असर गोपालगंज लोकसभा सीट के नतीजे पर देखने को मिल सकता है.

ये भी पढ़ेंःJDU के 16 संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट देखिए, पुराने OUT तो नये को मिलेगा मौका - JDU Candidate List

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