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एक्सपर्ट से जानें आलू और चावल खाने से भी कैसे नहीं बढ़ेगा शुगर लेवल ? - Good news for sugar patients

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 15, 2024, 8:40 PM IST

Updated : Sep 17, 2024, 3:04 PM IST

अगर आप भी शुगर के पेशेन्ट हैं और चावल, आलू जैसी चीजों को खाने से परहेज नहीं कर पा रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है. इन खास टिप्स को अपनाकर आप भी चावल, आलू जैसी चीजें खा सकते हैं. ये बातें डायबिटीज के जाने माने डॉक्टरों ने कही है.

GOOD NEWS FOR SUGAR PATIENTS
शुगर के मरीज क्या खा सकते हैं ? (ETV Bharat)
शुगर के मरीजों के लिए नई खबर (ETV BHARAT)

रायपुर: आज के दौर में शुगर एक आम बीमारी हो गई है. इस बीमारी के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जो कि चिंता का विषय है. एक बार डायबिटीज होने के बाद मरीज के जीवन में कई तरह की समस्याएं आती रहती है. साथ ही मानसिक रूप से भी वो परेशान होते हैं. इसके अलावा उनके रहन-सहन, खान-पान जैसी सारी गतिविधियों पर इसका असर पड़ता है.

शुगर की बीमारी से कैसे बचा जाए? यदि किसी को डायबिटीज बीमारी हो जाए तो उसे क्या करना चाहिए? किस तरह के खान-पान का इस्तेमाल होना चाहिए? या कौन सी गतिविधि की जाए, जिससे मरीज को राहत मिल सके? इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत ने कुछ डायबिटीज विशेषज्ञों से बातचीत की.रायपुर में दो दिवसीय मधुमेह पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देश-विदेश के डॉक्टर शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने मधुमेह से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की.

शुगर मरीजों के लिए खुशखबरी (ETV Bharat)

खाने की क्वांटिटी बदल सकते हैं: इस कार्यशाला में शामिल डॉक्टरों ने बताया कि शुगर होने पर आलू, चावल नहीं खाना है, ऐसा जरूरी नहीं है, लेकिन इसकी क्वांटिटी आप बदल सकते हैं. इसके अलावा दिनचर्या में कई ऐसी चीजें हैं, जिसका इस्तेमाल करके शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है. इस दौरान डॉक्टर ने यह भी माना कि अलग-अलग क्षेत्र के मरीजों के लिए अलग-अलग गाइडलाइन होनी चाहिए. जैसे छत्तीसगढ़ में चावल की फसल काफी उगाई जाती है. ऐसे में यहां के लोगों को शुगर होने पर चावल खाने से नहीं रोका जा सकता, लेकिन उसका स्वरूप बदलकर जरूर उनको खाने को कहा जा सकता है.

खाने की शैली बदलनी होगी: इस बारे में ग्लोबल डायबिटीज फोरम के प्रेसिडेंट डॉक्टर राका शिवहरे ने कहा कि, "इस कार्यशाला में देश-विदेश के डॉक्टरों ने अपने व्याख्यान पढ़े. इस दौरान पता चला कि डायबिटीज की मुख्य वजह हम स्वयं हैं. हम दिनों दिन पुरानी शैली को छोड़ते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां पर हर तरह का मौसम है. हमें सब पता है लेकिन हम यदि मधुमेह को लेकर विदेश की गाइडलाइन फॉलो करेंगे, तो वह यहां के वातावरण के लिए फिट नहीं बैठेगा. ऐसे में हमें अपनी खुद की गाइडलाइन बनानी होगी."

"चावल को किस तरीके से पकाया जाए, उससे कितना फायदा मिलेगा? ये हमें तय करना होगा. क्योंकि छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा चावल होता है. हम किसी को चावल खाने से नहीं रोक सकते है. उस समय डायबिटीज की समस्या इतनी बड़ी नहीं थी, इसलिए हमें डायबिटीज को लेकर गाइडलाइन बनाने के लिए ऐसे संगठन की जरूरत है, जो इसके बारे में सोचे. इन बातों को ध्यान रखते हुए डायबिटीज को लेकर सभी तरह की समस्या की जानकारी के लिए सेमिनार में स्पेशलिस्ट को बुलाया था." -डॉक्टर राका शिवहरे, अध्यक्ष, ग्लोबल डायबिटीज फोरम

मरीजों को तनाव न लेनें की नसीहत: डॉक्टर राका शिवहरे ने आगे बताया कि, "डायबिटीज में उपयोग होने वाली सारी गोलियों का किस तरीके से सेवन कर सकते हैं? छोटे-छोटे बच्चों में होने वाली डायबिटीज में इंसुलिन को कैसे और कब यूज करना है? इन सारी बातों की जानकारी होनी चाहिए. डायबिटीज एक बहुत बड़ी क्रॉनिक बीमारी है. यह एक दिन की बीमारी नहीं है. जब किसी को पता चलता है कि उसे डायबिटीज है तो वह सोचता है कि मरने के बाद ही ये बीमारी जाएगी. इससे कई बार मरीज तनाव में चला जाता है. ऐसे में डॉक्टर को मरीजों को न डरने की सलाह देनी चाहिए."

"जैसे ही हम खाना खाते हैं, वैसे ही हमारा इंसुलिन रिलीज होता है.ऐसे में आप कितनी बार खाना खा रहे हैं? चावल खाने से ज्यादा इंपोर्टेंट है कि उसे कितनी बार खा रहे हैं. चावल के मीठेपन को कम करने का तरीका बोरे-बासी है. यदि हम बचे हुए चावल को पानी में भिगो देते हैं, दूसरे दिन खाते हैं तो धीरे-धीरे उसका मीठापन कम हो जाता है. उसमें अच्छे बैक्टीरिया आ जाते हैं. चाय पीने की बात है तो दिन भर में आप कितनी बार चाय पीते हैं. पहले उपवास से फायदा होता था. ऐसा कहा जाता था जब तक आपको भूख ना लगे तब तक खाना नहीं खाना चाहिए. यदि बिना भूखे खाना खाया जाता है, तो वह बेकार है." -डॉक्टर राका शिवहरे, अध्यक्ष, ग्लोबल डायबिटीज फोरम

जानिए क्या कहते हैं मधुमेह विशेषज्ञ: मधुमेह विशेषज्ञ डॉ शिखा शिवहरे ने कहा,"डायबिटीज होने पर ऐसा नहीं है कि हमें कुछ नहीं खाना है. हमें सब कुछ खाना है, लेकिन उसे मॉडिफाई रूप में खाना है. यदि चावल की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा चावल होता है. हम चावल खा सकते हैं, लेकिन हमें उसे कोदो से रिप्लेस करना होगा. हम दूसरे सामान्य चावल खाते हैं, उसकी जगह में कोदो राइस खाना होगा. गेहूं की रोटी की जगह लाल गेहूं की रोटी खा सकते हैं, जौ खा सकते हैं, ज्वार की रोटी खा सकते हैं. ऐसा नहीं गेहूं को मॉडिफाई नहीं किया जा सकता है,उसे भी किया जा सकता है."

"आजकल देखा जा रहा है कि सुबह से लेकर शाम तक लोग खाने में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा खाते हैं. प्रोटीन की मात्रा कम होती है, इसलिए हमें प्रोटीन युक्त खाना खाना चाहिए. ब्रेकफास्ट में दाल का इस्तेमाल किया सकता है. ऐसा भी नहीं है कि आलू को बिल्कुल नहीं खाना है. आलू लिया जा सकता, लेकिन उसकी मात्रा कम होनी चाहिए." -डॉ शिखा शिवहरे, मधुमेह विशेषज्ञ

ऐसे में अगर आप भी शुगर के मरीज हैं और आप भी आलू और चावल के साथ चाय से परहेज कर रहे हैं तो आज से ही ये खाना शुरू कर दीजिए, लेकिन चिकित्सक की राय और गाइडलाइन जरूरी है.

डिसक्लेमर और नोट: खबर में प्रकाशित बातें चिकित्सक की ओर से कही गई बातें है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता. आप कोई भी फैसला लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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शुगर के मरीजों के लिए नई खबर (ETV BHARAT)

रायपुर: आज के दौर में शुगर एक आम बीमारी हो गई है. इस बीमारी के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जो कि चिंता का विषय है. एक बार डायबिटीज होने के बाद मरीज के जीवन में कई तरह की समस्याएं आती रहती है. साथ ही मानसिक रूप से भी वो परेशान होते हैं. इसके अलावा उनके रहन-सहन, खान-पान जैसी सारी गतिविधियों पर इसका असर पड़ता है.

शुगर की बीमारी से कैसे बचा जाए? यदि किसी को डायबिटीज बीमारी हो जाए तो उसे क्या करना चाहिए? किस तरह के खान-पान का इस्तेमाल होना चाहिए? या कौन सी गतिविधि की जाए, जिससे मरीज को राहत मिल सके? इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत ने कुछ डायबिटीज विशेषज्ञों से बातचीत की.रायपुर में दो दिवसीय मधुमेह पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देश-विदेश के डॉक्टर शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने मधुमेह से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की.

शुगर मरीजों के लिए खुशखबरी (ETV Bharat)

खाने की क्वांटिटी बदल सकते हैं: इस कार्यशाला में शामिल डॉक्टरों ने बताया कि शुगर होने पर आलू, चावल नहीं खाना है, ऐसा जरूरी नहीं है, लेकिन इसकी क्वांटिटी आप बदल सकते हैं. इसके अलावा दिनचर्या में कई ऐसी चीजें हैं, जिसका इस्तेमाल करके शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है. इस दौरान डॉक्टर ने यह भी माना कि अलग-अलग क्षेत्र के मरीजों के लिए अलग-अलग गाइडलाइन होनी चाहिए. जैसे छत्तीसगढ़ में चावल की फसल काफी उगाई जाती है. ऐसे में यहां के लोगों को शुगर होने पर चावल खाने से नहीं रोका जा सकता, लेकिन उसका स्वरूप बदलकर जरूर उनको खाने को कहा जा सकता है.

खाने की शैली बदलनी होगी: इस बारे में ग्लोबल डायबिटीज फोरम के प्रेसिडेंट डॉक्टर राका शिवहरे ने कहा कि, "इस कार्यशाला में देश-विदेश के डॉक्टरों ने अपने व्याख्यान पढ़े. इस दौरान पता चला कि डायबिटीज की मुख्य वजह हम स्वयं हैं. हम दिनों दिन पुरानी शैली को छोड़ते जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां पर हर तरह का मौसम है. हमें सब पता है लेकिन हम यदि मधुमेह को लेकर विदेश की गाइडलाइन फॉलो करेंगे, तो वह यहां के वातावरण के लिए फिट नहीं बैठेगा. ऐसे में हमें अपनी खुद की गाइडलाइन बनानी होगी."

"चावल को किस तरीके से पकाया जाए, उससे कितना फायदा मिलेगा? ये हमें तय करना होगा. क्योंकि छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा चावल होता है. हम किसी को चावल खाने से नहीं रोक सकते है. उस समय डायबिटीज की समस्या इतनी बड़ी नहीं थी, इसलिए हमें डायबिटीज को लेकर गाइडलाइन बनाने के लिए ऐसे संगठन की जरूरत है, जो इसके बारे में सोचे. इन बातों को ध्यान रखते हुए डायबिटीज को लेकर सभी तरह की समस्या की जानकारी के लिए सेमिनार में स्पेशलिस्ट को बुलाया था." -डॉक्टर राका शिवहरे, अध्यक्ष, ग्लोबल डायबिटीज फोरम

मरीजों को तनाव न लेनें की नसीहत: डॉक्टर राका शिवहरे ने आगे बताया कि, "डायबिटीज में उपयोग होने वाली सारी गोलियों का किस तरीके से सेवन कर सकते हैं? छोटे-छोटे बच्चों में होने वाली डायबिटीज में इंसुलिन को कैसे और कब यूज करना है? इन सारी बातों की जानकारी होनी चाहिए. डायबिटीज एक बहुत बड़ी क्रॉनिक बीमारी है. यह एक दिन की बीमारी नहीं है. जब किसी को पता चलता है कि उसे डायबिटीज है तो वह सोचता है कि मरने के बाद ही ये बीमारी जाएगी. इससे कई बार मरीज तनाव में चला जाता है. ऐसे में डॉक्टर को मरीजों को न डरने की सलाह देनी चाहिए."

"जैसे ही हम खाना खाते हैं, वैसे ही हमारा इंसुलिन रिलीज होता है.ऐसे में आप कितनी बार खाना खा रहे हैं? चावल खाने से ज्यादा इंपोर्टेंट है कि उसे कितनी बार खा रहे हैं. चावल के मीठेपन को कम करने का तरीका बोरे-बासी है. यदि हम बचे हुए चावल को पानी में भिगो देते हैं, दूसरे दिन खाते हैं तो धीरे-धीरे उसका मीठापन कम हो जाता है. उसमें अच्छे बैक्टीरिया आ जाते हैं. चाय पीने की बात है तो दिन भर में आप कितनी बार चाय पीते हैं. पहले उपवास से फायदा होता था. ऐसा कहा जाता था जब तक आपको भूख ना लगे तब तक खाना नहीं खाना चाहिए. यदि बिना भूखे खाना खाया जाता है, तो वह बेकार है." -डॉक्टर राका शिवहरे, अध्यक्ष, ग्लोबल डायबिटीज फोरम

जानिए क्या कहते हैं मधुमेह विशेषज्ञ: मधुमेह विशेषज्ञ डॉ शिखा शिवहरे ने कहा,"डायबिटीज होने पर ऐसा नहीं है कि हमें कुछ नहीं खाना है. हमें सब कुछ खाना है, लेकिन उसे मॉडिफाई रूप में खाना है. यदि चावल की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा चावल होता है. हम चावल खा सकते हैं, लेकिन हमें उसे कोदो से रिप्लेस करना होगा. हम दूसरे सामान्य चावल खाते हैं, उसकी जगह में कोदो राइस खाना होगा. गेहूं की रोटी की जगह लाल गेहूं की रोटी खा सकते हैं, जौ खा सकते हैं, ज्वार की रोटी खा सकते हैं. ऐसा नहीं गेहूं को मॉडिफाई नहीं किया जा सकता है,उसे भी किया जा सकता है."

"आजकल देखा जा रहा है कि सुबह से लेकर शाम तक लोग खाने में कार्बोहाइड्रेट ज्यादा खाते हैं. प्रोटीन की मात्रा कम होती है, इसलिए हमें प्रोटीन युक्त खाना खाना चाहिए. ब्रेकफास्ट में दाल का इस्तेमाल किया सकता है. ऐसा भी नहीं है कि आलू को बिल्कुल नहीं खाना है. आलू लिया जा सकता, लेकिन उसकी मात्रा कम होनी चाहिए." -डॉ शिखा शिवहरे, मधुमेह विशेषज्ञ

ऐसे में अगर आप भी शुगर के मरीज हैं और आप भी आलू और चावल के साथ चाय से परहेज कर रहे हैं तो आज से ही ये खाना शुरू कर दीजिए, लेकिन चिकित्सक की राय और गाइडलाइन जरूरी है.

डिसक्लेमर और नोट: खबर में प्रकाशित बातें चिकित्सक की ओर से कही गई बातें है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता. आप कोई भी फैसला लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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Last Updated : Sep 17, 2024, 3:04 PM IST
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