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दैत्य गुरु शुक्राचार्य के प्रतिनिधि पेड़ में बिना फूल लगते हैं फल, खाएं तो पास नहीं फटकेगा बुढ़ापा - Magical tree of Gular - MAGICAL TREE OF GULAR

दुनिया रहस्यों से भरी हुई है, प्रकृति में ऐसी-ऐसी चीजें मौजूद हैं जिन्हें जानने के लिए एक जीवन भी कम है. एक ऐसा ही रहस्यमयी पेड़ है गूलर जिसे ज्योतिष और आर्युर्वेद का कॉम्बो कहा जाता है. दरअसल, चमत्कारिक औषधीय गुणों के साथ-साथ इस पेड़ को दैत्य गुरु शुक्राचार्य का प्रतिनिधि भी माना जाता है और यह तंत्र-मंत्र में भी उपयोग होता है.

MAGICAL TREE OF GULAR
गूलर का पेड़ (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 31, 2024, 9:27 AM IST

Updated : May 31, 2024, 10:03 AM IST

छिन्दवाड़ा. गवर्नमेंट कॉलेज चौरई के वनस्पति शास्त्र विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि इस पेड़ को ऊमर या गूलर कहते हैं. ये बेहद रहस्यमयी और कमाल का पेड़ है. ये अकेला वृक्ष कॉम्बो पैक है जो अपने आपमें एक इकोसिस्टम है, जो घरेलू लकड़ियों से लेकर आयुर्वेद का खजाना है और जरूरत पड़ने पर ये ज्योतिष कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है.

MAGICAL TREE OF GULAR
गूलर का पेड़ (ETV BHARAT)

नहीं दिखते इसके फूल, सीधे मिलता है फल

डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि गूलर के फूल आमतौर पर दिखाई नहीं देते हैं और सीधे फल ही मिलते हैं. एक देशी कहावत के अनुसार अगर ऊमर/गूलर को फोड़ कर खाया जाए तो हवा लगते ही इसमें कीड़े पड़ जाते हैं. इसीलिए इसे बिना फोड़े ही खाया जाता है. लेकिन सच तो यह है, कि इसमें छोटे-छोटे कीड़े पहले से ही मौजूद रहते हैं.

इसके फल में रहते हैं कीड़े

वनस्पति विज्ञान की भाषा में गूलर का फल हाइपेन्थोडियम कहलाता है, जिसमें फूल पुष्पक्रम के आधारीय भाग मिलकर एक बड़े कटोरे या बॉल जैसी संरचना बना लेते हैं और इस गोलाकार फल जैसी संरचना के भीतर कई नर और मादा पुष्प जननांग रहते हैं, जिनमें परागण और संयुग्मन के बाद बीज बन जाते हैं. फल के परिपक्व होने के पहले उस पर विशेष प्रकार की मक्खी सहित कई कीट प्रवेश कर जाते हैं. कई बार वे अपना जीवन चक्र भी यहीं पूर्ण करते हैं. जैसे ही फल टूटकर जमीन से टकराता है, यह फट जाता है, और कीड़े मुक्त हो जाते हैं. ऐसा न भी हो तो कीट एक छेद करके बाहर निकल जाते हैं.

MAGICAL TREE OF GULAR
गूलर का पेड़ (ETV BHARAT)

थम जाता है बुढ़ापा, पाईल्स में भी अचूक

इसके औषधीय महत्व के बारे में डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा,'' इसके फलों को खाने से गजब की ताकत मिलती है, और बुढापा थम सा जाता है. मतलब अंजीर की तरह ही इसे भी प्रयोग किया जाता है. इसकी छाल को जलाकर राख को कंजई के तेल के साथ पाइल्स के उपचार में प्रयोग करते हैं. दूध का प्रयोग चर्म रोगों में रामबाण माना जाता है. दाद होने पर उस स्थान पर इसका ताजा दूध लगाने से आराम मिलता है. वहीं कच्चे फल मधुमेह को समाप्त करने की ताकत रखते हैं. पेट खराब हो जाने पर इसके 4 पके फल खा लेना इलाज की गारंटी माना जाता है.''

दैत्य गुरु शुक्राचार्य का है प्रतिनिधि, घरों में लगाने से बचें

भले ही ये पेड़ चमत्कारिक गुणों से भरा हुआ हो पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गूलर के पेड़ को घरों में लगाना वर्जित माना गया है. यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य का प्रतिनिधि है. वास्तु के अनुसार दूध और कांटे वाले पौधे घर पर लगाना उचित नहीं होता.

तांत्रिक क्रियाओं में सबसे ज्यादा इस्तेमाल

ज्योतिषाचार्य पंडित आत्माराम शास्त्री बताते हैं, गूलर का पेड़ शुक्र ग्रह का प्रतिनिधि पौधा है. तो इस नाते अनेकों तांत्रिक शक्तिओं का स्वामी भी है. कहते हैं कि इसकी नित्य पूजन करने से सम्मोहन की शक्ति प्राप्त की जा सकती है. प्रेम और यौवन शक्ति तो जैसे इस पेड़ के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है. नव ग्रह वाटिका के पेड़ों में यह भी एक है। वृषभ राशि वालों का तो यह मित्र पौधा है. ऐसा कहा जाता है, कि दुनिया मे किसी ने गूलर का फूल नहीं देखा है.

छिन्दवाड़ा. गवर्नमेंट कॉलेज चौरई के वनस्पति शास्त्र विशेषज्ञ डॉक्टर विकास शर्मा ने बताया कि इस पेड़ को ऊमर या गूलर कहते हैं. ये बेहद रहस्यमयी और कमाल का पेड़ है. ये अकेला वृक्ष कॉम्बो पैक है जो अपने आपमें एक इकोसिस्टम है, जो घरेलू लकड़ियों से लेकर आयुर्वेद का खजाना है और जरूरत पड़ने पर ये ज्योतिष कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है.

MAGICAL TREE OF GULAR
गूलर का पेड़ (ETV BHARAT)

नहीं दिखते इसके फूल, सीधे मिलता है फल

डॉ. विकास शर्मा ने बताया कि गूलर के फूल आमतौर पर दिखाई नहीं देते हैं और सीधे फल ही मिलते हैं. एक देशी कहावत के अनुसार अगर ऊमर/गूलर को फोड़ कर खाया जाए तो हवा लगते ही इसमें कीड़े पड़ जाते हैं. इसीलिए इसे बिना फोड़े ही खाया जाता है. लेकिन सच तो यह है, कि इसमें छोटे-छोटे कीड़े पहले से ही मौजूद रहते हैं.

इसके फल में रहते हैं कीड़े

वनस्पति विज्ञान की भाषा में गूलर का फल हाइपेन्थोडियम कहलाता है, जिसमें फूल पुष्पक्रम के आधारीय भाग मिलकर एक बड़े कटोरे या बॉल जैसी संरचना बना लेते हैं और इस गोलाकार फल जैसी संरचना के भीतर कई नर और मादा पुष्प जननांग रहते हैं, जिनमें परागण और संयुग्मन के बाद बीज बन जाते हैं. फल के परिपक्व होने के पहले उस पर विशेष प्रकार की मक्खी सहित कई कीट प्रवेश कर जाते हैं. कई बार वे अपना जीवन चक्र भी यहीं पूर्ण करते हैं. जैसे ही फल टूटकर जमीन से टकराता है, यह फट जाता है, और कीड़े मुक्त हो जाते हैं. ऐसा न भी हो तो कीट एक छेद करके बाहर निकल जाते हैं.

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गूलर का पेड़ (ETV BHARAT)

थम जाता है बुढ़ापा, पाईल्स में भी अचूक

इसके औषधीय महत्व के बारे में डॉक्टर विकास शर्मा ने कहा,'' इसके फलों को खाने से गजब की ताकत मिलती है, और बुढापा थम सा जाता है. मतलब अंजीर की तरह ही इसे भी प्रयोग किया जाता है. इसकी छाल को जलाकर राख को कंजई के तेल के साथ पाइल्स के उपचार में प्रयोग करते हैं. दूध का प्रयोग चर्म रोगों में रामबाण माना जाता है. दाद होने पर उस स्थान पर इसका ताजा दूध लगाने से आराम मिलता है. वहीं कच्चे फल मधुमेह को समाप्त करने की ताकत रखते हैं. पेट खराब हो जाने पर इसके 4 पके फल खा लेना इलाज की गारंटी माना जाता है.''

दैत्य गुरु शुक्राचार्य का है प्रतिनिधि, घरों में लगाने से बचें

भले ही ये पेड़ चमत्कारिक गुणों से भरा हुआ हो पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गूलर के पेड़ को घरों में लगाना वर्जित माना गया है. यह दैत्य गुरु शुक्राचार्य का प्रतिनिधि है. वास्तु के अनुसार दूध और कांटे वाले पौधे घर पर लगाना उचित नहीं होता.

तांत्रिक क्रियाओं में सबसे ज्यादा इस्तेमाल

ज्योतिषाचार्य पंडित आत्माराम शास्त्री बताते हैं, गूलर का पेड़ शुक्र ग्रह का प्रतिनिधि पौधा है. तो इस नाते अनेकों तांत्रिक शक्तिओं का स्वामी भी है. कहते हैं कि इसकी नित्य पूजन करने से सम्मोहन की शक्ति प्राप्त की जा सकती है. प्रेम और यौवन शक्ति तो जैसे इस पेड़ के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है. नव ग्रह वाटिका के पेड़ों में यह भी एक है। वृषभ राशि वालों का तो यह मित्र पौधा है. ऐसा कहा जाता है, कि दुनिया मे किसी ने गूलर का फूल नहीं देखा है.

Last Updated : May 31, 2024, 10:03 AM IST
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