मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : सिद्धबाबा धाम में वैसे तो साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ आती है.लेकिन सावन के महीने में मंदिर का दृश्य अनुपम होता है. सावन में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. सिद्धबाबा को मनेन्द्रगढ़ के लोग ग्रामदेवता के रूप में मानते हैं. इन दिनों यहां पर विकास कार्य तेजी से चल रहा है. इस धाम को केदारनाथ की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है. पहले यहां लोग ऊंची पहाड़ी पर पैदल ही आ पाते थे.लेकिन अब पहाड़ी पर रास्ता बन गया है. यहां आकर श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं.
छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसा है धाम : मध्यप्रदेश राज्य की सीमा इस क्षेत्र को छूती है.इसलिए दूसरे राज्य के भी भक्त यहां पर आकर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं.प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित अनूपपुर जिले के बिजुरी और राजनगर से भी यहां पर श्रद्धालु भोलेनाथ का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.शिवभक्त अलग-अलग स्थानों पर स्थापित पवित्र शिवलिंगों में जलाभिषेक कर, भगवान गौरीशंकर के प्रति अपनी अटूट आस्था भी प्रकट करते हैं.
सिद्धबाबा में पैदल आते हैं कावड़िएं : आपको बता दें कि कोयलांचल नगरी बिजुरी से हर वर्ष सावन माह में सैकड़ों शिवभक्त कांवड़ लिए झारखंड के बैद्यनाथ धाम जाते हैं.जहां भगवान भोलेशंकर का जलाभिषेक करते हैं.लेकिन हर कोई बाबाधाम नहीं जा सकता.इसलिए सिद्धनाथ धाम आकर अपनी मनोकामना भोलेनाथ के सामने रखता है.सावन के महीने में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा करते हुए सिद्धबाबा धाम पहुंचते हैं. सिद्धनाथ धाम में हर सोमवार को यहां भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार और महाआरती भी की जाती है. सोमवार को यहां कावड़िएं पैदल जल चढ़ाने आते हैं.