कोटा: कहा जाता है कि इंजीनियरिंग में छात्रों का दबदबा रहता है, यहां पर छात्राओं की संख्या कम रहती है. ऐसा ही रुझान छोटे इंजीनियरिंग कॉलेज से लेकर ट्रिपल आईटी, एनआईटी व आईआईटी तक देखने को मिलता है. हालांकि, अब हालात बदल चुके हैं और छात्राएं भी छात्रों को टक्कर देने लगी हैं. देश के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थान आईआईटीज में प्रवेश लेने वाली छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है.
इसके लिए होने वाली जेईई-एडवांस्ड परीक्षा में शामिल होने वाली व आईआईटीज में प्रवेश लेने वाली छात्राओं की संख्या साल-दर-साल बढ़ रही है. इससे साफ है कि बीते 7 साल में आईआईटी में प्रवेश लेने वाली छात्राओं की संख्या लगभग 4 गुना हो गई है. आईआईटी के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016 में महज 847 छात्राओं ने प्रवेश लिया था, जबकि 2023 में 3411 छात्राओं ने आईआईटी में प्रवेश लिया.
JEE ADVNACED में 8 साल में बढ़ी 75 फीसदी बढ़ी क्वालीफाई गर्ल्स की संख्या : दूसरी तरफ देखा जाए तो जेईई एडवांस्ड एक्जाम में बैठने वाली छात्राओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. साल 2016 में जहां पर 27778 छात्राओं ने परीक्षा दी थी. साल 2024 में सर्वाधिक 41020 छात्राओं ने परीक्षा दी है. इन 8 सालों में करीब 48 फीसदी छात्राओं की संख्या बढ़ी है. ये वे छात्राएं हैं, जो जेईई मेन से क्वालीफाई कर एडवांस्ड में गई हैं. हालांकि, क्वालीफाई होने वाली गर्ल्स की संख्या में ज्यादा अनुपात में बढ़ोतरी हुई है. साल 2016 में 4570 से बढ़कर 2024 में 7964 हो गई है. यह करीब 75 फीसदी के आसपास बढ़ी है.
2018 में लागू हुआ था फीमेल पूल कोटा, 2020 में बढ़कर 20 फीसदी हुआ : देश में इंजीनियरिंग एजुकेशन के प्रति लड़कियों का रुझान बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार ने किए गए प्रयासों के बाद यह स्थितियां बदल गईं हैं. सरकार ने साल 2018 से लड़कियों के प्रवेश उत्साह देने के लिए फीमेल पूल कोटे की घोषणा की थी, जिसमें 14 प्रतिशत सीटों पर फीमेल पूल कोटे से छात्राओं को प्रवेश दिया गया. इसके बाद साल 2019 में यह कोटा बढ़ाकर 17 प्रतिशत व 2020 से 20 फीसदी फीमेल पूल कोटा कर दिया गया. लगातार बढ़ रहे इस प्रयास से गत 9 साल में आईआईटी में एडमिशन लेने वाली छात्राओं की संख्या लगभग चार गुना हो चुकी है.
काफी पीछे की रैंक पर भी मिल जाती है आईआईटी : सरकार आईआईटी में प्रवेश के लिए छात्राओं की संख्या को बढ़ाने एवं आईआईटी में छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुपात को बैलेंस करने के लिए छात्राओं को सुपरन्यूमेरेरी सीटों पर प्रवेश देना शुरू किया गया था. इससे पीछे की रैंक वाली छात्राओं को भी आईआईटी में प्रवेश लेना आसान हो गया था. इस स्थिति को देखते हुए छात्राओं का आईआईटी की पढ़ाई की तरफ रूझान बढ़ा. अब स्थिति यह आ गई है कि फीमेल पूल कोटे की प्रत्येक सीट के लिए कम्पीटिशन लड़कों की तरह होता जा रहा है. सुपरन्यूमेरेरी फीमेल पूल सीटों के विकल्प मिलने के बाद इस वर्ष आईआईटी मुम्बई सीएस में छात्रों के प्रवेश का कटऑफ ओपन कैटेगिरी में 68 आल इंडिया रैंक रहा. वहीं, गर्ल्स के लिए फीमेल पूल कोटे से कटऑफ आल इंडिया रैंक 421 तक रहा.
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