बाराबंकी: जिले में दलित किशोरी के साथ दुष्कर्म और जान से मारने की धमकी देने की झूठी गवाही देने के मामले में शिकायतकर्ता, पीड़िता और एक गवाह के खिलाख पोर्ट ने केस दर्ज करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया है. यह फैसला विशेष अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ज्ञान प्रकाश शुक्ल ने गुरुवार को सुनाया. यह फैसला करीब 10 साल बाद आया है.
मामले के अनुसार, टिकैतनगर थाना क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले वादी ने 13 फरवरी 2014 को थाने में तहरीर देकर बताया था कि उसकी बहन गांव के ही रिंकू पंडित उर्फ रत्नेश तिवारी के यहां बुलाने पर काम करने आती जाती थी. लगभग 6 महीने पहले वह काम करने गई थी तो रिंकू ने अकेला पाकर उसकी बहन के साथ दुष्कर्म किया. इसके साथ किसी को बताने पर उसको व उसके पिता को जान से मारने की धमकी दी थी. 13 फरवरी 2014 को दूसरी लड़कियों के माध्यम से पीड़िता को गर्भ ठहरने की जानकारी हुई. इस पर किशोरी ने रिंकू द्वारा दुष्कर्म किये जाने की बात अपने भाई को बताई. तहरीर के आधार पर टिकैतनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर विवेचना की गई.
न्यायालय में सुनवाई के दौरान वादी शिकायतकर्ता, पीड़िता और उसका एक और भाई बयान से मुकर गए. पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि उसकी शादी हो गई थी लेकिन गौना नहीं हुआ था. उसका पति आता-जाता रहता था, जिससे उसे गर्भ ठहर गया. रिंकू से पैसे के लेन देन का विवाद था. घर वालों के कहने पर उसने रिंकू तिवारी पर आरोप लगाया था.
वहीं, शिकायत दर्ज कराने वाले ने बताया कि मुझे बहका दिया गया था कि रिंकू का नाम ले लो, जिससे तुम्हारा उधार लिया हुआ पैसा वापस नहीं करना पड़ेगा. इस कारण उसने रिंकू पंडित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद विशेष अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो ऐक्ट ज्ञान प्रकाश शुक्ल ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी रिंकू पंडित उर्फ रत्नेश तिवारी को दोषमुक्त करार दिया. इसके साथ ही झूठा साक्ष्य गढ़ने और साक्ष्य प्रस्तुत करने पर शिकायतकर्ता, पीड़िता और दूसरे के विरुद्ध अलग-अलग केस दर्ज करने का आदेश दिया है.
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