ETV Bharat / state

जिंदगी की ठोकरों से सबक लेकर बदली अपनी किस्मत, दर-दर भटकने वाला मनीष दूसरों को दे रहा रोजगार - Giridih youth Manish Kumar

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 12, 2024, 12:01 PM IST

Updated : Jul 12, 2024, 12:20 PM IST

Self reliant farmer. जिंदगी हमें जितना सीखाती है, उतना शायद ही कोई और हमें सीखा सके. जिंदगी से सबक सीखकर उसे आत्मसात करने वाले एक मुकाम हासिल करते हैं. कुछ ऐसा ही किया है गिरिडीह के मनीष कुमार ने. देखिए यह रिपोर्ट.

Giridih youth Manish Kumar became self reliant through farming
खेत में किसान मनीष कुमार (ईटीवी भारत)

गिरिडीह: कभी- कभी ठोकरें भी इंसान की जिंदगी को बदल देती है. बगोदर के मनीष कुमार इसका एक उदाहरण है. कुछ साल पहले तक वो बेरोजगार थे. नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाते थे. इन्हीं ठोकरों ने ऐसा सबक सिखाया कि आज वो आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ दूसरे लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं.

गिरिडीह के आत्मनिर्भर किसान मनीष के बारे में जानकारी देती रिपोर्ट (ईटीवी भारत)

दरअसल बगोदर के बेको के रहने वाले मनीष कुछ साल पहले भाग कर मुंबई पहुंच गए थे. वहां भी रोजगार के लिए दर- दर की ठोकरें खाई. इस दौरान उनकी एक बड़े किसान से मुलाकात हुई. वहां काम करने के दौरान उन्हें कृषि के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिली और फिर घर आने लौटने के कुछ सालों बाद कृषि कार्य की शुरुआत की. इसके बेहतर परिणाम निकले.

मनीष कुमार उर्फ तुलसी बगोदर के बेको के रहने वाले हैं. उनके द्वारा बंजर जमीन का सीना चीरकर सोना उपजाया जा रहा है. उनके द्वारा पिछले चार सालों से 5 एकड़ जमीन पर समेकित और जैविक खेती की जा रही. जिसमें दस मजदूर प्रतिदिन काम करते हैं. कृषि कार्य के लिए इनके पास आधुनिक उपकरण भी है, जिससे वे कृषि कार्य करते हैं.

जिस जगह पर इनके द्वारा खेती की जा रही है वह आबादी से दूर सुनसान और जंगली इलाका है. यह जगह कारीपहरी कहलाता है. फिलवक्त यहां केला, मिर्च, खीरा, कद्दू, भिंडी आदि की फसलें लहलहा रही हैं. मौसम के अनुसार इनके द्वारा अलग- अलग फसलों को लगाया जाता है. पटवन की सुविधा के लिए इस परिसर में डीप बोरिंग एवं सोलर सिस्टम हैं, जो सरकारी स्तर पर सब्सिडी में मिली है. इसके अलावा एक ग्रीन हाउस भी है. हालांकि बिजली नहीं रहने का इन्हें मलाल है. इन्हें इस बात की भी मलाल है कि जनप्रतिनिधियों के द्वारा उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं किया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः

कोयलांचल की काली धरती पर जापानी आम की खेती, लाखों में है अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मियाजाकी की कीमत - Cultivation of Miyazaki

हजारीबाग की चाय की चुस्की के साथ करें सुबह की शुरुआत, 25 एकड़ में हो रही है खेती - Tea farming

पोस्ता को ना-मड़ुआ को हां! इलाके में बदलाव के वाहक बनेंगे आदिम जनजाति के परिवार, जानें कैसे - Madua cultivation

गिरिडीह: कभी- कभी ठोकरें भी इंसान की जिंदगी को बदल देती है. बगोदर के मनीष कुमार इसका एक उदाहरण है. कुछ साल पहले तक वो बेरोजगार थे. नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खाते थे. इन्हीं ठोकरों ने ऐसा सबक सिखाया कि आज वो आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ दूसरे लोगों को रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं.

गिरिडीह के आत्मनिर्भर किसान मनीष के बारे में जानकारी देती रिपोर्ट (ईटीवी भारत)

दरअसल बगोदर के बेको के रहने वाले मनीष कुछ साल पहले भाग कर मुंबई पहुंच गए थे. वहां भी रोजगार के लिए दर- दर की ठोकरें खाई. इस दौरान उनकी एक बड़े किसान से मुलाकात हुई. वहां काम करने के दौरान उन्हें कृषि के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मिली और फिर घर आने लौटने के कुछ सालों बाद कृषि कार्य की शुरुआत की. इसके बेहतर परिणाम निकले.

मनीष कुमार उर्फ तुलसी बगोदर के बेको के रहने वाले हैं. उनके द्वारा बंजर जमीन का सीना चीरकर सोना उपजाया जा रहा है. उनके द्वारा पिछले चार सालों से 5 एकड़ जमीन पर समेकित और जैविक खेती की जा रही. जिसमें दस मजदूर प्रतिदिन काम करते हैं. कृषि कार्य के लिए इनके पास आधुनिक उपकरण भी है, जिससे वे कृषि कार्य करते हैं.

जिस जगह पर इनके द्वारा खेती की जा रही है वह आबादी से दूर सुनसान और जंगली इलाका है. यह जगह कारीपहरी कहलाता है. फिलवक्त यहां केला, मिर्च, खीरा, कद्दू, भिंडी आदि की फसलें लहलहा रही हैं. मौसम के अनुसार इनके द्वारा अलग- अलग फसलों को लगाया जाता है. पटवन की सुविधा के लिए इस परिसर में डीप बोरिंग एवं सोलर सिस्टम हैं, जो सरकारी स्तर पर सब्सिडी में मिली है. इसके अलावा एक ग्रीन हाउस भी है. हालांकि बिजली नहीं रहने का इन्हें मलाल है. इन्हें इस बात की भी मलाल है कि जनप्रतिनिधियों के द्वारा उन्हें किसी तरह का सहयोग नहीं किया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः

कोयलांचल की काली धरती पर जापानी आम की खेती, लाखों में है अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मियाजाकी की कीमत - Cultivation of Miyazaki

हजारीबाग की चाय की चुस्की के साथ करें सुबह की शुरुआत, 25 एकड़ में हो रही है खेती - Tea farming

पोस्ता को ना-मड़ुआ को हां! इलाके में बदलाव के वाहक बनेंगे आदिम जनजाति के परिवार, जानें कैसे - Madua cultivation

Last Updated : Jul 12, 2024, 12:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.