नई दिल्ली/गाजियाबाद: आम जनता को असुविधा से बचाने और उनकी शिकायतों के निवारण करने के लिए जिले के तीन अधिकारियों, नोडल ऑफिसर, निर्वाचन व्यय अनुवीक्षण (संयोजक), परियोजना निदेशक, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, गाजियाबाद और मुख्य कोषागार अधिकारी को मिलाकर एक समिति गठित की गई है.
गाजियाबाद जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक समिति, पुलिस, स्टेटिक निगरानी दल और उड़न दस्ते द्वारा की गई जब्ती के प्रत्येक मामले की अपनी ओर से जांच करेगी. जहां समिति यह पाती है कि मानक प्रचालन प्रक्रिया के अनुसार जब्ती के संबंध में कोई प्राथमिकी या शिकायत दर्ज नहीं की गई है या जहां जब्ती किसी प्रत्याशी या राजनीतिक दल या किसी निर्वाचन अभियान इत्यादि से जुड़ी हुई नहीं है. तो ऐसे व्यक्तियों को जिनसे नकदी जब्त की गई थी को उस नकदी रिलीज करने के बारे में आदेश जारी करेगी.
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शिकायतों के निस्तारण के लिए कलेक्ट्रेट स्तिथ एडीएम एफआर के कार्यालय में सम्पर्क किया जायेगा. व्यय अनुवीक्षण के नोडल अधिकारी द्वारा नकदी रिलीज करने के संबंध में सभी प्रकार की सूचना का एक रजिस्टर में रख-रखाव किया जाएगा. यदि रिलीज की गई नकदी 10 लाख से अधिक है, तो रिलीज किए जाने से पहले आयकर के नोडल अधिकारी को सूचित किया जाएगा. उड़न दस्ते, एसएसटी या पुलिस प्राधिकारियों द्वारा की गई नकदी की जब्ती के सभी मामले तत्काल जिले में गठित समिति के ध्यान में लाए जाएंगे.
प्रशासन के मुताबिक किसी भी परिस्थिति में जब्त की गई नकदी, जब्त की गई बहुमूल्य वस्तुओं से संबंधित मामले, मालखाना या कोषागार में मतदान की तारीख के पश्चात 7 दिनों से अधिक समय के लिए तब तक लंबित नहीं रखे जाएंगे जब तक कि कोई प्राथमिकी शिकायत दर्ज की गई हो.
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