गोरखपुर: अगर आप इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के बाद कम खर्च में कोई ऐसी डिग्री और डिप्लोमा करना चाहते हैं जो आपको रोजगार का भी अवसर उपलब्ध करा दे, तो इसके लिए आप कंपोजिट रिहैबिलिटेशन सेंटर (CRC) में चलने वाले कुछ पाठ्यक्रमों में एडमिशन ले सकते हैं. एक से दो वर्षीय कोर्स में अधिकतम 20 से 25 हजार की फीस देकर आप पढ़ाई कर डिग्री और ट्रेनिग दोनों हासिल कर लेंगे.
इससे सरकार की दिव्यांग पुनर्वास योजना के अलावा एनजीओ, अस्पताल आदि में आपको रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. यूपी में इस तरह की पढ़ाई के दो केंद्र हैं. एक लखनऊ और दूसरा गोरखपुर में. गोरखपुर केंद्र भी वर्ष 2024 में पूरी तरह से स्थापित होने के बाद इस तरह का प्रशिक्षण देने के लिए तैयार है. इस केंद्र में सभी प्रकार की सुविधाएं मौजूद हैं, जिससे लोगों को जोड़ने की पहल यह केंद्र कर रहा है.
प्रत्येक वर्ष में जून-जुलाई में होने वाली प्रवेश परीक्षा के माध्यम से इसमें प्रवेश के लिए केंद्र लोगों को अभी जागरूक करने में जुटा है. इस प्रवेश में सबसे अधिक लाभ दिव्यांग युवक और युवतियां या फिर उनके परिजन को मिलेगा, जिन्हें मुफ्त में शिक्षा दी जाएगी. इसके अलावा सामान्य और किसी भी प्रकार की दिव्यांगता से दूर रहने वाले लोग भी, प्रवेश प्रकार भविष्य में अपने आपको रोजगार के लिए तैयार कर सकते हैं.
समेकित क्षेत्रीय दिव्यांगजन केंद्र गोरखपुर में अगर चलने वाले कोर्सों की बात करें तो D.Ed विशेष शिक्षा, जिसमें कुल 30 सीटे हैं. इसमें प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश लिया जा सकता है, जिसकी प्रत्येक वर्ष की कुल फीस ₹25000 है. दो वर्षीय इस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए 50% अंक इंटरमीडिएट में पाना अनिवार्य है. इसी प्रकार 'सर्टिफिकेट इन केयर गिविंग' कोर्स में भी कुल 30 सीट हैं और इसमें भी अध्ययन 2 वर्षों के लिए होगा. प्रतिवर्ष ₹25000 फीस चुकानी होगी. योग्यता इंटरमीडिएट में 50% अंकों से उतीर्ण होना अनिवार्य है.
इसी प्रकार डिप्लोमा इन साइन लैंग्वेज और डिप्लोमा इन हियरिंग लैंग्वेज एंड स्पीच में दाखिला लेकर इंटरमीडिएट पास युवा अपना भविष्य संवार सकते हैं. इस संबंध में गोरखपुर समेकित दिव्यांग केंद्र के निदेशक डॉ. जितेंद्र यादव कहते हैं कि इन विधाओं में प्रशिक्षण लेने के बाद युवा सरकारी सेवाओं के अतिरिक्त गैर सरकारी संगठनों में भी रोजगार पा सकते हैं. यह विशेष शिक्षक दिव्यांगजनों को पढ़ने-लिखने, बोलने में मदद पहुंचा सकते हैं.
सीआरसी केंद्र गोरखपुर के निदेशक डॉ. जितेन्द्र यादव ने बताया कि यह परीक्षा भारतीय पुनर्वास परिषद आयोजित करती है. देश में कुल आबादी का करीब चार प्रतिशत दिव्यांगों की जनसंख्या है, जिनको पढ़ाई, लिखाई सिखाये जाने के साथ बोलने- चालने में दक्ष बनाने के लिए कुशल लोगों की आवश्यकता है. इसलिए सीआरसी केंद्रों के माध्यम से ऐसे पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं.
पहले दिव्यांगजनों की श्रेणी 2014-15 तक मात्र 7 प्रतिशत हुआ करती थी लेकिन, अब दिव्यांगों की श्रेणी में कुल 21 टाइप के दिव्यांग शामिल किए गए हैं, जिससे इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त लोगों की आवश्यकता और अधिक बढ़ गई है. डिप्लोमा इन साइन लैंग्वेज एंड इंस्पेक्शन में प्रशिक्षण लेने वाले अभ्यर्थियों को ₹2000 इस्टाइपेंड भी 2 साल तक दिया जाता है.
उन्होंने बताया कि हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, स्पेसिफिक डिस आर्डर और एसिड अटैक की पीड़ित भी दिव्यांगों की श्रेणी में आ चुके हैं. उत्तर भारत में दिव्यांगजनों के प्रशिक्षण का यह बहुत बड़ा केंद्र अपने आप में साबित होगा, जहां पूर्वांचल के साथ पश्चिम बिहार, नेपाल और अन्य क्षेत्रों के बच्चे भी प्रशिक्षण ले सकेंगे. क्योंकि, कुल पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या 258 है.
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