नूंह: अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के अवसर पर जिला स्तरीय कार्यक्रम में वैसे तो दो दर्जन के करीब विभागों की प्रदर्शनी लगाई गई है, लेकिन बाल भवन सामुदायिक केंद्र बस अड्डा नूंह प्रांगण में लगाई गई प्रदर्शनी में जिला कारागार नूंह के बंदियों ने जो प्रदर्शनी लगाई है, वो सबसे खास है. वर्ष 2005 में नूंह जिला वजूद में आया था, लेकिन पहली बार जिला कारागार नूंह में बंद बंदियों ने प्रदर्शनी लगाई गई है, जिसमें पेंटिंग और लकड़ी का फर्नीचर सबको रास आ रहा है.
जिला कारागार नूंह में जेल विभाग के अधिकारियों के सहयोग से बंदी अच्छी लाइफ जी रहे हैं और स्वरोजगार को अपनाकर समाज में एक अच्छा संदेश दे रहे हैं. इस बात से ना केवल जेल में बंद बंदी पूरी तरह खुश हैं बल्कि जेल विभाग के कर्मचारी भी बंदियों के बनाए गए सामान की प्रदर्शनी में शामिल होकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.
बिक्री के लिए नहीं है ये प्रदर्शनी : उनका कहना है कि सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में भी जिला कारागार नूंह के बंदी अपने सामानों की प्रदर्शनी लगाते हैं, जिसे बिक्री के लिए रखा जाता है, लेकिन नूंह में लगाई गई प्रदर्शनी सिर्फ लोगों को जानकारी देने भर के लिए लगाई गई है. यहां पर बंदियों के द्वारा बनाया गया सामान बिक्री के लिए नहीं है, बल्कि लोगों को दिखाया जा रहा है.
"जेल नहीं सुधार गृह कहो" : गीता जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व विधायक चौधरी जाकिर हुसैन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि अपराध से जुड़े लोगों का भी हृदय परिवर्तन होता है. अपराधी कोई जन्म से नहीं होता है. हालात और मानसिकता की वजह से अपराध की तरफ इंसान चलता है. उन्होंने कहा कि जेल शब्द का प्रयोग अंग्रेजों ने किया था. आज जेल को सुधार गृह कहा जाता है. इंसान को सुधरने का मौका दिया जाए तो बड़े - बड़े डकैत भी साधु-संत बने हैं. मैं सरकार को और जेल विभाग के अधिकारियों को बधाई देता हूं कि उन्होंने आज कैदियों को कैदी की तरह नहीं बल्कि इस तरह का माहौल दिया है कि वो बाहर निकलने के बाद भी अपना व्यवसाय कर सकते हैं और तनाव में रहने के बजाय जीवन को अच्छे से जी सकते हैं. अपनी सोच को रचनात्मक कार्य में लगाएं इसके लिए जेल प्रशासन मुबारकबाद का पात्र है.
जेल प्रशासन के सहयोग से बनाई पेंटिंग : इसके अलावा नगर पालिका नूंह के वाइस चेयरमैन सद्दाम हुसैन ने भी कहा कि बंदियों के द्वारा बनाया गया सामान काबिले तारीफ है. उनके द्वारा न केवल पेंटिंग बल्कि लकड़ी का फर्नीचर भी बेहतरीन तरीके से बनाया गया है. इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी में रखा सामान ऐसा लग रहा था, जैसे किसी नामचीन दुकान से लाया गया हो, लेकिन जेल में बंद बंदियों के द्वारा बनाया गया है. जिसे देखकर काफी आश्चर्य हो रहा है. सामान बनाने वाले जमशेद ने कहा कि वो लड़ाई झगड़े के मामले में जेल गया था, जिसमें 10 साल की सजा हुई थी. आजकल वो जेल से बाहर जमानत पर है. उन्होंने कहा कि जेल में ही जेल प्रशासन के सहयोग से मैंने पेंटिंग के बारे में बताया. इसके बाद मुझे सामान जेल प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराया गया और सहयोग किया, जिसकी वजह से इतनी बेहतरीन पेंटिंग बना पाया.
इसे भी पढ़ें : अंबाला सेंट्रल जेल में रेप केस में सजा काट रहे कैदी पर जानलेवा हमला, कहासुनी के बाद दो कैदियों ने फोड़ा सिर
इसे भी पढ़ें : करनाल में गीता महोत्सव का आयोजन, विधानसभा स्पीकर हरविंदर कल्याण ने किया शुभारंभ