ETV Bharat / state

पर्यावरण बचाने के लिए सारनाथ में महाजुटान; वैज्ञानिक-पर्यावरणविद् बोले- प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को रोकना होगा - environmental protection

बनारस (Banaras) में देश-विदेश के वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों (scientists and environmentalists) का जुटान हुआ. इसमें आधुनिकीकरण (modernization) से पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई गई.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 3, 2024, 10:27 PM IST

पर्यावरण बचाने के लिए एक मंच पर वैज्ञानिक और पर्यावरणविद्.

वाराणसी: तेजी से बदल नहीं आदतें और हाईटेक हो रहे जीवन के साथ ही अब हर कोई टेक्नोलॉजी पर ज्यादा निर्भर होता जा रहा है. लेकिन तेजी से हो रहे आधुनिकीकरण ने कहीं ना कहीं से पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा है. हमारी बुरी आदतें जैसे बेवजह पानी की बर्बादी, खाने की बर्बादी और अति से ज्यादा भूगर्भ जल का दोहन पर्यावरण को और भी नुकसान पहुंचा रहा है. इन्हीं विषयों पर मंथन करने के लिए रविवार को देश और विश्व के अलग-अलग हिस्सों से आए वैज्ञानिक और पर्यावरणविद, शिक्षाविद और वरिष्ठ पत्रकारों का जुटान हुआ. तथागत भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में इस फैमिली गेट टूगेदर आयोजन के जरिए ढाई सौ से ज्यादा लोगों ने एकजुट होकर पर्यावरण पर अपने विचार रखें. साहित्य, गीत - संगीत और हेल्दी चर्चा के साथ पर्यावरण संरक्षण पर हर किसी ने अपनी राय रखी.

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन रोकना जरुरी: पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसंख्या नियंत्रण और प्रकृति का अंधाधुंध दोहन रोका जाना आवश्यक है. अमेरिका से आए प्रवासी भारतीय डॉ. उत्सव चतुर्वेदी की पहल पर विशेषज्ञों का सम्मेलन हुआ. अमेरिका के भौतिक शास्त्री डॉ. उत्सव चतुर्वेदी ने आम लोगों का आह्वान किया कि वे देश और दुनिया के लगातार बर्बाद हो रहे पर्यावरण को बचाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण और प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को रोकने के अभियान में जुट जाएं. डॉ चतुर्वेदी ने सारनाथ के गेस्ट हाउस में देश भर से आए पर्यावरण विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, और साहित्यकारों के सम्मेलन अपनी बात रखी. डॉ. चतुर्वेदी पिछले तीन दशकों से अमेरिका में हैं और भौतिक वैज्ञानिक होने के साथ ही यूरोप में साइंटिस्ट भी रह चुके हैं. उनकी पत्नी अलका श्रीवास्तव जीव विज्ञानी हैं. सम्मेलन में इसरो के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार, पर्यावरणविद डॉ. प्रकाश सी.जे., साहित्यकार राकेश अचल विशेष रूप से उपस्थित थे.

'वृक्षम शरणम् गच्छामि': पर्यावरण के मुद्दे पर केंद्रित इस सम्मेलन में प्रो. कैसी सूद, प्रो. वायपी जोशी और प्रो. विजय चतुर्वेदी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए समाज को 'वृक्षम शरणम् गच्छामि और वृक्षो रक्षित रक्षित: का संदेश दिया. डॉ. चतुर्वेदी और राकेश अचल ने अपनी कविताओं के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. इस मौके पर अतिथियों ने वृक्षारोपण भी किया. सम्मेलन में अन्न के दुरुपयोग को रोकने के तौर तरीकों पर भी विमर्श किया गया.

ये भी पढ़ेंःआगरा, वाराणसी के बाद प्रयागराज में खुला प्रदेश का तीसरा पर्यटन थाना, महाकुम्भ 2025 में आने वाले सैलानियों को मिलेगी सहूलियत

पर्यावरण बचाने के लिए एक मंच पर वैज्ञानिक और पर्यावरणविद्.

वाराणसी: तेजी से बदल नहीं आदतें और हाईटेक हो रहे जीवन के साथ ही अब हर कोई टेक्नोलॉजी पर ज्यादा निर्भर होता जा रहा है. लेकिन तेजी से हो रहे आधुनिकीकरण ने कहीं ना कहीं से पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा है. हमारी बुरी आदतें जैसे बेवजह पानी की बर्बादी, खाने की बर्बादी और अति से ज्यादा भूगर्भ जल का दोहन पर्यावरण को और भी नुकसान पहुंचा रहा है. इन्हीं विषयों पर मंथन करने के लिए रविवार को देश और विश्व के अलग-अलग हिस्सों से आए वैज्ञानिक और पर्यावरणविद, शिक्षाविद और वरिष्ठ पत्रकारों का जुटान हुआ. तथागत भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ में इस फैमिली गेट टूगेदर आयोजन के जरिए ढाई सौ से ज्यादा लोगों ने एकजुट होकर पर्यावरण पर अपने विचार रखें. साहित्य, गीत - संगीत और हेल्दी चर्चा के साथ पर्यावरण संरक्षण पर हर किसी ने अपनी राय रखी.

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन रोकना जरुरी: पर्यावरण संरक्षण के लिए जनसंख्या नियंत्रण और प्रकृति का अंधाधुंध दोहन रोका जाना आवश्यक है. अमेरिका से आए प्रवासी भारतीय डॉ. उत्सव चतुर्वेदी की पहल पर विशेषज्ञों का सम्मेलन हुआ. अमेरिका के भौतिक शास्त्री डॉ. उत्सव चतुर्वेदी ने आम लोगों का आह्वान किया कि वे देश और दुनिया के लगातार बर्बाद हो रहे पर्यावरण को बचाने के लिए जनसंख्या नियंत्रण और प्रकृति के अंधाधुंध दोहन को रोकने के अभियान में जुट जाएं. डॉ चतुर्वेदी ने सारनाथ के गेस्ट हाउस में देश भर से आए पर्यावरण विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, और साहित्यकारों के सम्मेलन अपनी बात रखी. डॉ. चतुर्वेदी पिछले तीन दशकों से अमेरिका में हैं और भौतिक वैज्ञानिक होने के साथ ही यूरोप में साइंटिस्ट भी रह चुके हैं. उनकी पत्नी अलका श्रीवास्तव जीव विज्ञानी हैं. सम्मेलन में इसरो के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार, पर्यावरणविद डॉ. प्रकाश सी.जे., साहित्यकार राकेश अचल विशेष रूप से उपस्थित थे.

'वृक्षम शरणम् गच्छामि': पर्यावरण के मुद्दे पर केंद्रित इस सम्मेलन में प्रो. कैसी सूद, प्रो. वायपी जोशी और प्रो. विजय चतुर्वेदी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए समाज को 'वृक्षम शरणम् गच्छामि और वृक्षो रक्षित रक्षित: का संदेश दिया. डॉ. चतुर्वेदी और राकेश अचल ने अपनी कविताओं के जरिए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. इस मौके पर अतिथियों ने वृक्षारोपण भी किया. सम्मेलन में अन्न के दुरुपयोग को रोकने के तौर तरीकों पर भी विमर्श किया गया.

ये भी पढ़ेंःआगरा, वाराणसी के बाद प्रयागराज में खुला प्रदेश का तीसरा पर्यटन थाना, महाकुम्भ 2025 में आने वाले सैलानियों को मिलेगी सहूलियत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.