नूंह: परंपरागत खेती को छोड़कर नूंह जिले का किसान अब तेजी से बागों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहा है. साल दर साल जिले में बैर, अमरूद, नींबू, पपीता इत्यादि फलों के बागों की संख्या लगातार बढ़ रही है. किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए केंद्र-राज्य सरकार सब्सिडी भी दे रही है. जिला बागवानी अधिकारी डॉक्टर दीन मोहमद नूंह ने बताया कि फलों की खेती हमारे यहां मुख्यतः चार प्रकार की उगाई जाती है, बेर, अमरूद, नींबू तथा पपीता की खेती यहां पर की जाती है,
ऐसे मिलेगी अनुदान राशि: उन्होंने कहा कि इसमें हमारे यहां के किसानों को समस्या आती है. सरकार ने नियम तय किया है कि जो भी राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से प्रमाणित नर्सरी होगी. उसी से किसान पौधे खरीदेगा, तभी अनुदान राशि दी जाएगी. उन्होंने कहा कि उसका फायदा भी है कि अगर किसान किसी भी नर्सरी से पौधे खरीद लेता है. तो उसकी किस्म का पता नहीं चलता. 3 साल बाद जब पौधा फल देने लायक होता है, वह ठीक नहीं निकलता तो किसान को मजबूरन वह काटना पड़ता है.
इन जिलों में नहीं है प्रमाणित नर्सरी: डॉ. दीन मोहम्मद डीएचओ ने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से प्रमाणित नर्सरी का पौधा बीमारियों सहित होगा और गुणवत्ता के मामले में भी अच्छा होगा. जिस वैरायटी का बताया जाएगा. उसके चलते किसानों के साथ धोखा नहीं होगा. एनएचबी से जो प्रमाणित नर्सरी हैं. उन्हीं से पौधे खरीदे जाएं. उन्होंने कहा कि दक्षिणी हरियाणा के नूंह, पलवल, फरीदाबाद, रेवाड़ी, गुरुग्राम, महेंद्रगढ़ इत्यादि ऐसे जिले हैं. जिसमें कोई भी प्रमाणित नर्सरी नहीं है. यह सारी नर्सरी हिसार, फतेहाबाद, जींद रोड तक इत्यादि जिलों में है. जिससे किसानों को पौधे लगाने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
कितने एकड़ पर कितना मिलता है अनुदान: यदि किसी किसान को एक एकड़ का बाग लगाना है, 110 पौधे लगाने हैं तो किराया काफी अधिक लगता है. इसलिए किसान इस स्कीम को उतनी तेजी से नहीं अपना रहे हैं. सरकार के अनुदान की बात की जाए तो 43000 से 120000 रुपए प्रति एकड़ अनुदान राशि बागवानी विभाग के द्वारा दी जाती है. 43 हजार नींबू, अमरूद, अनार, पपीता किस्म पर देते हैं. खजूर पर 1 लाख 20 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाती है. स्कीम किसान के लिए बहुत अच्छी है. जैसे ही पिनगवां का एक्सीलेंस सेंटर तैयार होगा, तो यहां फलदार पौधों की नर्सरी बनाई जाएगी. ताकि किसानों की समस्या दूर हो सके.
फलों पर लागत कम मुनाफा ज्यादा: जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने कहा कि नूंह जिले में फलदार पौधे 860 एकड़ के करीब भूमि में लगाए गए हैं. मुख्यतः 60-70 फीसदी बागों की खेती तावडू खंड में अधिक होती है. बाकि अन्य पांच-छः ब्लॉक में बहुत कम बाग की खेती है. सबसे कम पुनहाना खंड में बागों की खेती होती है. नूंह, नगीना, इंडरी, फिरोजपुर झिरका खंड में भी किसान बागों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. कई नए बाग नींबू इत्यादि फलों के खानपुर घाटी इत्यादि गांवों में लगाए गए हैं. किसानों का भी मानना है कि फलों की खेती में उनकी लागत कम है और मुनाफा अधिक है. इसलिए परंपरागत गेहूं-सरसों इत्यादि फसलों की खेती को छोड़कर किसान फलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहा है.